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कांग्रेस ने बनाया ‘मोदी को रोकने’ का प्लान

नयी दिल्ली:लोकसभा चुनावों के तहत 196 सीटों के लिए वोटिंग होनी बाकी है, लेकिन कांग्रेस ने अभी से ही ‘मोदी को रोकने’ के लिए कई तरह के प्लानों पर काम करना शुरू कर दिया है. इनमें से एक प्लान के तहत कांग्रेस चुनावों के बाद एनडीए से बाहर की पार्टियों के साथ गंठबंधन बनाने या […]

नयी दिल्ली:लोकसभा चुनावों के तहत 196 सीटों के लिए वोटिंग होनी बाकी है, लेकिन कांग्रेस ने अभी से ही ‘मोदी को रोकने’ के लिए कई तरह के प्लानों पर काम करना शुरू कर दिया है. इनमें से एक प्लान के तहत कांग्रेस चुनावों के बाद एनडीए से बाहर की पार्टियों के साथ गंठबंधन बनाने या ऐसे किसी गंठबंधन में शामिल होने के विकल्प को खुला रख रही है. हालांकि, कांग्रेस के रणनीतिकारों को भी पता है कि पार्टी अपनी इन तैयारियों पर उसी सूरत में काम कर पायेगी, जब चुनावों के बाद एनडीए कुल मिला कर 220-230 सीटों पर ही सीमित हो जाये. पार्टी रणनीतिकारों के अनुमान के मुताबिक अगर एनडीए 272 के आंकड़े से दूर रहा जाता है और कांग्रेस को 100 से 120 सीटें भी मिल जाती हैं तो उसे गैर-भाजपा, गैर-एनडीए गंठबंधन को खड़ा करने का सुनहरा मौका मिल जायेगा.

तो ऐसे बन जायेगी सरकार
कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक, अगर कांग्रेस 140 के करीब सीटें जीतती है, तो वह 2004 की तरह एनडीए विरोधी गंठबंधन की अगुआई करने की स्थिति में आ जायेगी. पार्टी ऐसा नहीं होने की स्थिति से निबटने के लिए भी तैयार है और पीएम पद को लेकर अपना रु ख काफी लचीला रख कर वह खुद को क्षेत्रीय दलों के लिए भाजपा के मुकाबले एक बेहतर विकल्प के तौर पर पेश करना चाहती है. कांग्रेस और पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी पहले की यह स्पष्ट कर चुके हैं कि पीएम पद को लेकर उनका रु ख बिलकुल लचीला है.

एंटनी ने दिये संकेत
पहले चरण की वोटिंग से पहले कांग्रेस नेतृत्व के काफी भरोसेमंद माने जानेवाले रक्षा मंत्री एके एंटनी ने भी इस तरह की नीति के संकेत दिये थे. एंटनी ने लेफ्ट और अन्य क्षेत्रीय पार्टियों पर डोरे डालने की पूरी कोशिश करते हुए कहा था कि भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए वामपंथी पार्टियों को यूपीए-3 के साथ आने के बारे में सोचना चाहिए. साथ ही एंटनी ने यह भी कहा था कि वैसी पार्टियां जो अभी कांग्रेस से हाथ मिलाने को तैयार नहीं हैं, उन्हें चुनावों के बाद भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए फिर से सोचना होगा. इसके साथ ही कांग्रेस क्षेत्रीय पार्टियों को इस तरह के संकेत भी दे रही है कि उन्हें मोदी के नेतृत्व से कहीं ज्यादा तवज्जो कांग्रेस के नेतृत्व में मिलेगा. कांग्रेस के कई नेताओं का यह भी मानना है कि पार्टी ने राहुल गांधी को अपना पीएम उम्मीदवार घोषित नहीं करके एक बेहद समझदारी भरा कदम उठाया है.

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