विभाजन के 70 साल बाद भी 72 फ़ीसदी लोग पाकिस्तान विरोधी : प्यू का सर्वे
नयी दिल्ली : विभाजन के 70 साल बाद कश्मीर के सीमा विवाद को लेकर भारत-पाकिस्तान के रिश्तों के बीच आज भी कड़वाहट मौजूद है. पाकिस्तान के बारे में भारत में रखे जाने वाली सोच और कश्मीर विवाद को लेकर अभी हाल ही में प्यू रिसर्च सेंटर की ओर से एक सर्वे रिपोर्ट पेश की गयी […]
नयी दिल्ली : विभाजन के 70 साल बाद कश्मीर के सीमा विवाद को लेकर भारत-पाकिस्तान के रिश्तों के बीच आज भी कड़वाहट मौजूद है. पाकिस्तान के बारे में भारत में रखे जाने वाली सोच और कश्मीर विवाद को लेकर अभी हाल ही में प्यू रिसर्च सेंटर की ओर से एक सर्वे रिपोर्ट पेश की गयी है, जिसमें भारत में पाकिस्तान के बारे में रखी जाने वाली सोच को मुख्य विषय बनाया गया है. आइये, हम जानते हैं कि आखिर भारत के लोग विभाजन के 70 साल बाद भी पाकिस्तान के बारे में क्या सोचते हैं…
भारत के लोगों में पाकिस्तान के प्रति नकारात्मक सोच में हुई है वृद्धि
वर्ष 2013 से प्यू रिसर्च सेंटर की ओर से लेकर 2017 तक किये गये सर्वे की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2017 की शुरुआत में भारत के करीब 72 फीसदी लोग पाकिस्तान के प्रति विरोधी सोच रखते हैं. करीब-करीब दो तिहाई यानी करीब 64 फीसदी लोग तो पाकिस्तान के प्रति बहुत ही नकारात्मक सोच रखते हैं. रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि अगर राजनीतिक पार्टी के स्तर पर बात की जाये, तो भाजपा और उसकी विरोधी कांग्रेस पार्टी के समर्थक बहुत ही नकारात्मक सोच रखते हैं. इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में केवल 10 फीसदी ही लोग ऐसे हैं, जो पाकिस्तान के पक्षधर दिखायी देते हैं.
पाकिस्तान को लेकर पीएम मोदी का दृष्टिकोण नहीं है स्पष्ट, मगर कश्मीर नीति चर्चा में
प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान को साधे रखने के लिए कूटनीति और सेना दोनों का बखूबी इस्तेमाल करते हैं. हालांकि, इस बीच भारत में कुल मिलाकर प्रधानमंत्री मोदी सबसे आिक लोकप्रिय हैं, लेकिन भारत में करीब 21 फीसदी लोग ही ऐसे हैं, जो पाकिस्तान के साथ रिश्तों को लेकर अपनायी जा रही उनकी नीति को पसंद करते हैं. यह स्थिति करीब 2015 से बनी हुई है, जब पाकिस्तान के साथ संबंधों को लेकर पहली बार सवाल खड़े किये गये थे.
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रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि इस संदर्भ में यदि आप देखेंगे, तो करीब 60 फीसदी लोग या फिर स्पष्ट बहुमत कश्मीर मसले को लेकर पीएम मोदी की नीति का समर्थन करते हैं. इसमें यदि देखा जाये, तो 50 और इससे अधिक आयुवर्ग के लोगों के बनिस्पत 18 से 29 आयुवर्ग के लोग कश्मीर पर पीएम मोदी की नीति को कुछ अधिक ही पसंद करते हैं.
अमूमन 10 में से छह व्यक्ति कश्मीर में स्थिति को बहुत बड़ी समस्या मानते हैं
हालांकि, 2015 में ऐसी सोच रखने वालों की संख्या हल्की गिरावट के साथ 98 फीसदी तक पहुंच गयी. ज्यादातर भारतीयों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर की स्थिति में सुधार के लिए सरकार को अधिक से अधिक सेना का इस्तेमाल करना चाहिए. कश्मीर क्षेत्र में उपजे तनाव को लेकर करीब 63 फीसदी लोगों ने अधिक से अधिक सेना के इस्तेमाल करने पर जोर दिया, जबकि करीब आठ फीसदी लोगों ने ही कहा कि वहां सेना का इस्तेमाल कम करना चाहिए.
पाकिस्तान और कश्मीर मसले पर अलग तरह से सोचते हैं उत्तर भारत के लोग
सर्वे रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि पाकिस्तान और कश्मीर मसले पर देश के बाकी हिस्से की तुलना में उत्तर भारत के लोगों का नजरिया कुछ अलग ही है. पाकिस्तान से सटे राज्य दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के करीब 69 फीसदी लोग उसके प्रति बहुत ही नकारात्मक सोच रखते हैं, जबकि देश के दूसरे हिस्से में करीब 61 फीसदी लोग ही उसके प्रति अच्छी सोच नहीं रखते. ऐसी सोच रखने के पीछे पाकिस्तान की ओर से दी जा रही धमकियों या फिर कश्मीर विवाद का होना भी संभव है.
उत्तर भारत में रहने वाले करीब 81 फीसदी लोग आतंकवाद को सबसे बड़ी समस्या मानते हैं, जबकि देश के दूसरे हिस्से में रहने वाले करीब 74 फीसदी लोग ही ऐसी सोच रखते हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जब कश्मीर की बात आती है, तो उत्तर भारत के लोग अधिक सख्त हो जाते हैं. भारत के बाकी हिस्सों में करीब दो तिहाई यानी करीब 65 फीसदी की तुलना में करीब आधे यानी 51 फीसदी लोगों ने कश्मीर की स्थिति को संभालने के मामले में पीएम मोदी का समर्थन किया.