नफा नहीं देखता, सिर्फ काम करता हूं

यूपी में भारतीय जनता पार्टी के प्रभारी अमित शाह को गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का चाणक्य कहा जाता है. भाजपा में चुनाव की रणनीति बनाने से लेकर नरेंद्र मोदी की इमेज बिल्डिंग तक में अमित शाह की अहम भूमिका रहती है. इसी वजह से आये दिन वह खबरों में सुर्खियां बटोरते हैं, लेकिन शाह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 27, 2014 9:15 AM

यूपी में भारतीय जनता पार्टी के प्रभारी अमित शाह को गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का चाणक्य कहा जाता है. भाजपा में चुनाव की रणनीति बनाने से लेकर नरेंद्र मोदी की इमेज बिल्डिंग तक में अमित शाह की अहम भूमिका रहती है. इसी वजह से आये दिन वह खबरों में सुर्खियां बटोरते हैं, लेकिन शाह खुद बोलते बेहद कम हैं. इंटरव्यू भी वह कम ही देते हैं. जितना तय कर रखा है सिर्फ उतना ही बोलना और फिर खामोशी. न एक शब्द कम-न अधिक. कभी पाइप के व्यापारी रहे और कम बोलने वाले अमित शाह ने बीते दिनों एक विवादित बयान दे दिया था. चुनाव आयोग ने उनके इस बयान को लेकर उनके चुनाव प्रचार करने पर रोक लगा दी थी. इस मामले में चुनाव आयोग ने अमित शाह का पक्ष सुन कर जब उन पर लगाये गये प्रतिबंध हटाये तो वह सीधे लखनऊ आये. यहां उनसे चुनावी सरगर्मियों को लेकर राजेंद्र कुमार ने विस्तार से चर्चा की. उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश..

यूपी में भाजपा का प्रभारी बनने के बाद आप राज्य के कई इलाकों में गये. जनता की नाराजगी की क्या-क्या वजहें आप ने महसूस की?
लोगों की नाराजगी के तमाम वजहें हैं. बीते कई सालों से यहां की सरकारों ने विकास कार्य कराने में भेदभाव किया है. यहां बसपा सत्ता में आती है तो अंबेडकर गांवों में सरकार विकास कार्य कराने लगती है और जैसे ही सपा की सरकार बनती है, लोहिया ग्रामों में काम होने लगता है. यहां विकास कार्य कराने में भी तुष्टीकरण हो रहा है . कानून-व्यवस्था का भी हाल खराब है. सपा-बसपा सरकारों के इस रवैये से जनता आजीज आ गई है.

आप यूपी में भाजपा के प्रभारी हैं, लेकिन यूपी में तो भाजपा तीसरे और चौथे नंबर की लड़ाई लड़ती रही है. वहां अब क्या स्थिति है?
यूपी में पिछले दो चुनाव से यह साफ हो चुका है कि वहां की जनता स्पष्ट राय देती है. इस बार यूपी में लोग यूपीए सरकार को बदलने के लिए तैयार हैं. पहले के चरणों में हुए मतदान में सभी ने यह देखा है कि बसपा और सपा का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा. इसकी वजह यह है कि लोग बसपा सरकार का करप्शन अभी भूले नहीं हैं और अखिलेश सरकार से सभी लोग नाराज हैं क्योंकि यह सरकार अब तक मुसलिम तुष्टीकरण में ही जुटी रही है .

चुनाव आयोग ने आप पर लगा प्रतिबंध हटा लिया है. कैसे हुआ यह सब?
मेरे जिस भाषण पर विवाद हुआ, मेरे हिसाब से उस बयान में आचार संहिता को भंग करने वाली कोई बात नहीं थी. चुनाव आयोग ने मेरे बयान को गलत माना. मैं आयोग का सम्मान करता हूं. मैंने आयोग के निर्णय पर कोई टिप्पणी नहीं की और एक पत्र लिखकर आयोग से प्रतिबंध पर पुनíवचार करने का आग्रह किया, जिसे आयोग ने स्वीकार कर लिया.

कहा जा रहा है कि आप ने आयोग को आश्वासन दिया है कि आप कोई विवादित बयान नहीं देंगे?
देखिए आयोग ने माना कि मेरा बयान गलत था तो मैंने भी चुनाव आयोग को जवाब भेजकर कहा कि कभी-कभी नो बॉल हो जाता है. कोई जानबूझ कर नोल बॉल नही डालता. आयोग ने मेरे ऊपर लगाया प्रतिबंध हटा लिया और मैं भी आयोग के नियम कायदों के मुताबिक प्रचार करने में जुट गया हूं.

यूपी भाजपा में टिकटों को लेकर नाराजगी है.

भाजपा इस बार केन्द्र में सरकार बनाने का दावा कर रही है. इस कारण हर संसदीय सीट पर टिकट पाने की मारामारी हुई. सीटें सीमित हैं और मांग अधिक होने के चलते कुछ लोगों की नाराजगी होनी ही थी. यह स्वाभाविक है.

किसी दल के साथ समझौता कर चुनाव ना लड़ने की बात कहने के बाद भी अपना दल से भाजपा ने समझौता किया, क्यों?

पिछड़े वर्ग को आगे लाने में अपना दल के नेताओं ने काफी मेहनत की है. भाजपा भी पिछड़ेवर्ग को एक राजनीति ताकत बनाना चाहती है. पार्टी की इस सोच के तहत अपना दल से समझौता किया गया.

चुनाव के कई चरण हो चुके हैं. अपने अनुसार कितनी सीटें जीत सकता है राजग?
चुनावी सर्वे पर मैं विश्वास नहीं करता और ना ही मैं सर्वे आधारित खबरों पर टिप्पणी करता हूं. एक चरण और हो जाए तो तसवीर बिल्कुल साफ होगी. संख्या बताने का अभी कोई अर्थ नहीं लेकिन ये जरूर है कि बहुत आश्चर्यजनक परिणाम आने वाले हैं.

पर भाजपा को ही क्यों चुनें लोग?
बहुत से कारण हैं. लोग हमारी अलग सोच और नीतियों के कारण हम पर भरोसा करते हैं जबकि केंद्र सरकार से उनका विश्वास हट गया है. देश में भ्रष्टाचार और महंगाई बढ़ाने की जिम्मेदार कांग्रेस को लोग माफ करने को तैयार नहीं हैं। इसलिए इन सबको नजरअंदाज कर जनता भाजपा की तरफ देख रही है।

अवध और काशी क्षेत्र में भाजपा कमजोर है, फिर क्यों नरेंद्र मोदी और राजनाथ सिंह इन क्षेत्रों से चुनाव लड़ रहे हैं?

यह जरूर है कि अवध और काशी क्षेत्र में पार्टी का प्रदर्शन बहुत बेहतर नहीं रहा है . पर पार्टी के दो प्रमुख नेताओं के इन क्षेत्रों से चुनाव लड़ने पर स्थिति बदलेगी. वाराणसी से नरेंद्र मोदीजी के चुनाव लड़ने का लाभ सिर्फ पूर्वी उत्तर प्रदेश में ही पार्टी को नहीं मिलेगा, बल्कि, वाराणसी से सटी बिहार की आठ सीटों पर भी हमें लाभ मिलेगा. वाराणसी देश की सांस्कृतिक राजधानी है और पूरे भोजपुरी भाषी क्षेत्र में इस बार नरेंद्र मोदी का असर दिखेगा. इसी तरह राजनाथ सिंह के लखनऊ से लड़ने का लाभ भी अवध की सीटों पर भाजपा को मिलेगा.

देश में मोदी की लहर है या भाजपा की?
आप यह सवाल विवाद खड़ा करने के लिए पूछ रहे हैं. आपलोग भलीभांति जानते हो कि किसकी लहर है. मैं कहूंगा मोदीजी की लहर है तो आपलोग (मीडिया) कहेंगे कि मोदीजी भाजपा से बड़े हो गए. और यदि मैं कहूंगा कि भाजपा की लहर है तो मीडिया कहेगा कि मोदी जी देशभर में रोज पांच छह सभाएं कर रहे हैं और पार्टी उनको क्र ेडिट नहीं दे रही. तो भाई ,मुङो इस सवाल को कोई दो टूक जवाब नहीं देना.

गुजरात दंगे को लेकर नरेंद्र मोदी और आप पर आरोप लगते रहे हैं. विपक्ष इस सवाल को लगातार उठा रहा है.

गुजरात दंगों को लेकर विपक्ष तमाम तरह के आरोप लगा रहा है. मुसलिम तुष्टिकरण करने वाले राजनेता व दल कांग्रेस और सपा अल्पसंख्यकों में दहशत पैदा करने के लिए ऐसा करते हैं, ताकि मुसलमान उनका वोट बैंक बना रहे. गुजरात का मुसलमान कांग्रेस की हर चाल समझ चुका है. वह भाजपा और नरेन्द्र मोदी की विकास की धारा से जुड़ा है. मुसलमानों को कांग्रेस व सपा के भय से मुक्ति दिलाने की जरूरत है. एक बार मुसलमान इन दलों की चाल समझ गये तो वह भाजपा की समरसता के साथ होंगे.

अगर मोदी पीएम बने तो आपकी भूमिका दिल्ली में होगी या गुजरात में?

मेरी भूमिका के बारे में तो पार्टी को तय करना है. पार्टी जो काम सौंपेगी, वही करुंगा.

आपको मोदी का राइट हैंड कहा जाता है. इससे आपको फायदा हुआ या नुकसान?

मैं पब्लिक लाइफ में काम करता हूं. ऐसे में मीडिया परसेप्शन से बचना मुश्किल हो जाता है. मैं अच्छा काम करने में यकीन करता हूं और कोशिश होती है कि बेहतर काम करूं. जब काम करता हूं तो नफा नुकसान नहीं सोचता.

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