नयी दिल्ली : लोकसभा चुनाव में विकास के गुजरात, बिहार, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश मॉडलों पर विभिन्न दलों एवं नेताओं के दावे प्रति दावे के बीच जाने माने चिंतक के एन गोविंदाचार्य ने कहा कि लोकतंत्र के लिए विकास के बारे में चर्चा सुखद बात है लेकिन यह बहस तब तक अधूरी रहेगी जब तक इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, कानून व्यवस्था जैसे सामाजिक संकेतक के साथ पर्यावरण, पारिस्थितिकी के विषय नहीं जुडेंगे. गोविंदाचार्य ने कहा, ‘‘ यह सुखद बात है कि विकास के बारे में बात चल पडी है. जीडीपी, विकास दर के अलावा सामाजिक संकेतक भी विकास के पैमाने का हिस्सा बने. यह माना जाने लगा है. इसके तहत गुजरात बनाम तमिलनाडु के विकास की बहस अर्थपूर्ण हुई है.’’
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु और गुजरात दोनों देश के समुद्र तटीय क्षेत्र है. आर्थिक मूभमंडलीकरण का किसी भी देश में ज्यादा लाभ समुद्र तटीय क्षेत्रों को मिलता है, न कि अंदरुनी इलाकों को. आर्थिक उदारीकरण की नीतियों के कारण केंद्रीय शासन अंदरुनी क्षेत्रों के पक्ष में हस्तक्षेप नहीं कर पाता है. गोविंदाचार्य ने कहा, ‘‘ यह बहस तब तक अधूरी ही रहेगी जब तक इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, कानून व्यवस्था जैसे सामाजिक संकेतक के साथ पर्यावरण, पारिस्थितिकी के विषय नहीं जुडेंगे. जमीन, जल, जानवर, जैव विविधता सरीखे तत्वों के साथ खनिज संपदा का अंधाधुंध दोहन एवं उससे उत्पन्न समस्याओं पर भी विचार करना होगा. इसके तहत निवेश और समृद्धि उत्पादन एवं स्नेतों के ह्रास की कीमत को भी आंकना होगा.’’
गोविंदाचार्य ने कहा, ‘‘तमिलनाडु और गुजरात की भौतिक उन्नति ने यह सिद्ध किया है कि आर्थिक विकास में सामाजिक पूंजी और सांस्कृतिक परंपराओं का विशेष योगदान होता है. सांस्कृतिक परंपराओं में विदेश व्यापार संबंधी सदियों के अनुभवों को भी इन प्रदेशों में काम में लाया जाए.’’ उन्होंने कहा कि विकास के लिए मूल्य परक पैमाने भी जुडे यह जरुरी होगा और यह भी महत्वपूर्ण पहलु होगा कि मनुष्य और स्वस्थ्य समाज की आंतरिक अमीरी को कैसे नापा जाए और इसमें संतुलन कैसे साधा जाए.
जमीन, जंगल और जानवर के महत्व को रेखांकित करते हुए गोविंदाचार्य ने केंद्र से गोविकास मंत्रलय गठित करने की मांग की. उन्होंने कहा कि गो.चारागाह विकास हेतु नदी, नाले, गोचर, पहाड एवं वन भूमियों को गोशालाओं को उपलब्ध कराये जाएं. उन्होंने कहा कि कृषि एवं गाय को पूरक के रुप में स्वीकार करने, शिक्षा के पाठ्यक्रम में गोविज्ञान को शामिल करने, देश के सभी राज्यों में कामधेनु विश्वविद्यालय स्थापित करने की पहल की जाए. गोविंदाचार्य ने गोमांस के व्यापार पर पूर्ण प्रतिबंध लगाये जाने की भी मांग की.