श्रीनगर/अहमदाबाद : सांप्रदायिकता पर नरेंद्र मोदी और फारुक अब्दुल्ला के बीच जारी जंग में अब उनके बेटे उमर अब्दुल्ला भी कूद पड़े हैं. फारुक अब्दुल्ला के बेटे और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर ने मोदी पर हमला बोलते हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उन्हें कश्मीर के इतिहास की जानकारी नहीं है और लगातार उन मुद्दों पर बोलकर मोदी अपनी अज्ञानता दिखाते रहते हैं, जिनके बारे में उन्हें कुछ नहीं पता होता.
उन्होंने कहा, शुक्र है मोदी ने हमें सेक्युलर होने का सर्टिफिकेट नहीं दिया, नहीं तो हमें सियासत छोड़नी पड़ जाती. अब्दुल्ला ने कहा कि मोदी जैसा व्यक्ति देश का प्रधानमंत्री बनना चाहता है, यह बहुत खतरनाक बात है. उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी में कश्मीर आकर प्रचार करने की हिम्मत नहीं है. उन्होंने कहा, मोदी साहब में हिम्मत नहीं है कि यहां से अपने तीन-तीन प्रत्याशी होने के बावजूद यहां आकर उनके लिए कैंपेनिंग कर सकें.
भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी को वोट देने वाले को समुद्र में डूबने संबंधी फारुक अब्दुल्ला की टिप्पणी पर करारा प्रहार करते हुए नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत में धर्मनिरपेक्षता को सबसे बडा आघात कश्मीर में लगा जहां कश्मीरी पंडितों को धर्म के कारण बाहर जाने पर विवश किया गया.
मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी वीडियो संदेश में अब्दुल्ला पर करारा हमला करते हुए मोदी ने कहा कि केंद्रीय मंत्री को साम्प्रदायिकता पर उपदेश देने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है क्योंकि उनके पिता शेख अब्दुल्ला, वह स्वयं और उनके पुत्र एवं जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की नीतियां राज्य की राजनीति को साम्प्रदायिक रंग देने के लिए जिम्मेदार हैं.
मोदी ने आने तीखे बयान में कहा, ‘‘अगर किसी को डूबना चाहिए तो आपको :अब्दुल्ला: अपना चेहरा आइने में देखना चाहिए. अपने पिता का चेहरा आइने के सामने रखिये और यह सवाल पूछिये. जिन लोगों ने कश्मीरी पंडितों को खदेड दिया, उन लोगों को साम्प्रदायिकता पर उपदेश देने का हक नहीं है.’’धर्मनिरेक्षता तथा अनेकता में एकता की सदियों पुरानी परंपरा का जिक्र करते हुए भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ने कहा कि ये उच्च मूल्य भारत के लिए सर्वश्रेष्ठ नीतियां हैं और उनकी प्रतिबद्धता सभी लोगों को साथ लेकर चलने और सबों का विकास है.
मोदी ने कहा, ‘‘ मैं फारुक अब्दुल्ला को बता देना चाहता हूं कि भारत में हजारों वर्ष पुरानी धर्मनिरपेक्षता की महान परंपरा को कश्मीर में ही सबसे बडा और गहरा आघात लगा. यह आपके पिता की राजनीति के कारण, आपकी राजनीति और आपके पुत्र की राजनीति के कारण हुआ.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ कश्मीर देश में एकमात्र ऐसा स्थान है जहां पंडितों को धर्म के कारण बाहर किया गया. कश्मीर सूफी परंपराओं की भूमि है. यह आपके स्वार्थी हितों के कारण साम्प्रदायिक रंग में रंग गई है.’’ चुनाव अभियान के दौरान अपने कई सहयोगियों के विवादास्पद बयान का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि भारतीय धर्मनिरपेक्षता इतनी कमजोर नहीं है कि कुछ बयानों से इस पर प्रतिकूल प्रभाव पडे. उन्होंने कहा, ‘‘ देश जय जगत और वसुधैव कुटुम्बकम के मूल्यों से विचलित नहीं होने जा रहा है.’’अब्दुल्ला के उस बयान पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिसमें उन्होंने कहा था कि मोदी को वोट देने वालों को समुद्र में डूब जाना चाहिए और उन्होंने यह धमकी दी कि अगर देश साम्प्रदायिक हुआ तो कश्मीर भारत के साथ नहीं रह पायेगा.
दिल्ली में भाजपा प्रवक्ता निर्मला सीमारमण ने अब्दुल्ला पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘स्पष्ट है कि डा. अब्दुल्ला को पहले यह जवाब देना चाहिए कि आपातकाल के दौर में हुए संवैधानिक संशोधन थे जिसमें भारत को धर्मनिरपेक्ष गणतंत्र बनाया गया, उन्हें जम्मू कश्मीर में स्वीकार्य नहीं है.’’ उन्होंने सवाल किया कि नेशनल कांफ्रेंस जिसके अध्यक्ष अब्दुल्ला है, उन्होंने जम्मू कश्मीर के संविधान में यह संशोधन करने के लिए अब तक कोई पहल क्यों नहीं की. सीतारमण ने कहा, ‘‘अगर ऐसा नहीं है, तो मैं समझती हूं कि उन्हें साम्प्रदायिकता के बारे में बात करने से बचना चाहिए. उन्होंने कश्मीरी पंडितों को वापस लाने की पहल नहीं की जिन्हें घाटी से खदेड दिया गया था.’’