नयी दिल्ली : चुनावी हलफनामों में कथित रुप से गलत जानकारी देने की शिकायतें बडी संख्या में मिलने के बाद निर्वाचन आयोग ने कहा है कि लोग नामांकन पत्रों में जानकारी छुपाने के मामलों में उम्मीदवारों के खिलाफ सीधे अदालत जाने को स्वतंत्र हैं. निर्वाचन आयोग ने कहा कि पहले लोग जानकारी छुपाने या चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी देने के मामले में किसी उम्मीदवार के खिलाफ शिकायत करने के लिए निर्वाचन अधिकारी से संपर्क कर सकते थे लेकिन अब वे इस मामले पर उचित अदालत में सीधे याचिका दायर कर सकते हैं.
आयोग ने सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को पिछले सप्ताह यह परिपत्र जारी किया था. चुनाव पैनल को विभिन्न उम्मीदवारों के खिलाफ हलफनामों में गलत जानकारी देने की शिकायतें बडी संख्या में मिल रही हैं. इसी के मद्देनजर यह परिपत्र जारी किया गया है. आयोग से अधिकतर शिकायतों में अनुरोध किया गया है कि या तो निर्वाचन अधिकारी को उम्मीदवारों के खिलाफ अदालत में जाने का निर्देश दिया जाए या संबंधित मजिस्ट्रेटों को झूठे शपथ पत्रों पर संज्ञान लेने का निर्देश दिया जाए.
आयोग ने जून 2004 में कहा था कि यदि निर्वाचन अधिकारी के समक्ष झूठे हलफनामे को लेकर शिकायतें दायर की जाती हैं, तो अधिकारी आरोपों के प्रथमदृष्ट्या सही पाए जाने पर उम्मीदवार के खिलाफ कार्रवाई के लिए अदालत में जाएगा. शपथ पत्रों से संबंधित नियमों में अगस्त 2012 में संशोधन किया गया था जिसके तहत जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 125 ए के तहत किसी व्यक्ति को झूठा शपथ पत्र दाखिल करने या जानकारी छुपाने के मामले में किसी उम्मीदवार के खिलाफ सीधे अदालत में जाने की इजाजत दी गई थी.
चुनाव पैनल ने कहा कि 2012 संशोधन के अनुसार, ‘‘ऐसा नियम नहीं है कि धारा :125ए: के तहत शिकायतें सरकारी सेवक :निर्वाचन अधिकारी: को करनी होंगी.’’ इससे पहले कांग्रेस नरेंद्र मोदी की वैवाहिक स्थिति के मामले में निर्वाचन आयोग के पास गई थी और उसने पूर्व में मोदी द्वारा दायर चुनावी हलफनामों में तथ्य ‘छुपाने’ के लिए भाजपा नेता के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी चांदनी चौक से कांग्रेस के उम्मीदवार कपिल सिब्बल के खिलाफ यह आरोप लगाते हुए हाल में आयोग के पास गए थे कि उन्होंने अपने शपथ पत्र में अपनी पत्नी के मालिकाना हक वाली कंपनियों की जानकारी का ‘‘जानबूझकर’’ खुलासा नहीं किया.