गुजरात पर मणिशंकर खामोश! अखबार पढ़ना ही उचित समझा

नयी दिल्ली/कोलकाता : गुजरात चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए नीच शब्द का उपयोग करने वाले मणिशंकर अय्यर ने नतीजों पर खामोश रहना ही उचित समझा. शुक्रवार को न्यूज एजेंसी के पत्रकार ने कोलकाता में उनसे गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर सवाल पूछा, लेकिन मणिशंकर ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और टेबल पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 22, 2017 2:40 PM

नयी दिल्ली/कोलकाता : गुजरात चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए नीच शब्द का उपयोग करने वाले मणिशंकर अय्यर ने नतीजों पर खामोश रहना ही उचित समझा. शुक्रवार को न्यूज एजेंसी के पत्रकार ने कोलकाता में उनसे गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर सवाल पूछा, लेकिन मणिशंकर ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और टेबल पर बैठकर अखबार पढ़ने में व्यस्त नजर आये. यदि आपको याद हो तो पिछले दिनों कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता वीरप्पा मोइली ने अय्यर के बयान से पार्टी को भारी नुकसान की बात कही थी. गौर हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए गलत भाषा का इस्तेमाल करने पर कांग्रेस मणिशंकर को पार्टी से निलंबित कर चुकी है.

पढ़ें क्या बोल गये थे मणिशंकर
7 दिसंबर को मणिशंकर ने कहा था कि जो अंबेडकरजी की सबसे बड़ी चाहत थी, उसे साकार करने में एक शख्‍स ने सबसे बड़ा योगदान दिया था. उनका नाम था जवाहरलाल नेहरू… अब इस परिवार के बारे में ऐसी गंदी बातें करें, वो भी ऐसे मौके पर जब अंबेडकरजी की याद में बहुत बड़ी इमारत का उद्घाटन किया गया हो. मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि यह आदमी बहुत नीच किस्म का है, इसमें कोई सभ्यता नहीं है. ऐसे मौके पर इस प्रकार की गंदी राजनीति की क्या जरूरत है.
अय्यर को मोदी ने ऐसे दिया था जवाब
बयान के कुछ देर बाद ही सूरत की चुनावी रैली में मोदी ने मणिशंकर अय्यर को जवाब दिया. पीएम मोदी ने कहा कि एक नेता हैं. बड़ी-बड़ी यूनिवर्सिटी से उन्होंने डिग्री प्राप्त की है. वे भारत के राजदूत रहे हैं. फॉरेन सर्विस के बड़े अफसर के पद पर रह चुके हैं. मनमोहन सरकार में वे जवाबदार मंत्री के पद पर थे. उन्होंने आज एक बात कही. श्रीमान मणिशंकर अय्यर ने कहा कि मोदी नीच जाति का है…मोदी नीच है….भाइयो-बहनो! ये अपमान गुजरात के लोगों का है. यह भारत की महान परंपरा है क्या ? ”क्या ये जातिवाद नहीं है? क्या ये देश के दलितों का अपमान नहीं है? हमारे संस्कार इस तरह की भाषा की इजाजत नहीं देते हैं.

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