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शिमला में महिला कांस्टेबल से थप्पड़ खाने वाली कांग्रेस विधायक आशा कुमारी हैं कौन?

शिमला : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी आज हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव परिणाम की समीक्षा करने के लिए राज्य के दौरे पर शिमला पहुंचे. इस दौरान उनकी आगवानी करने व उनसे मिलने कांग्रेस नेताओं व कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ उमड़ी. इस भीड़ में राहुल गांधी से मिलने की कोशिश कर रही सीनियर कांग्रेस विधायक आशा कुमारी […]

शिमला : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी आज हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव परिणाम की समीक्षा करने के लिए राज्य के दौरे पर शिमला पहुंचे. इस दौरान उनकी आगवानी करने व उनसे मिलने कांग्रेस नेताओं व कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ उमड़ी. इस भीड़ में राहुल गांधी से मिलने की कोशिश कर रही सीनियर कांग्रेस विधायक आशा कुमारी ने गुस्से में एक महिला कांस्टेबल को थप्पड़ जड़ दिया. महिला कांस्टेबल ने पलक झपकते आशा कुमारी को उल्टे थप्पड़ जड़ कर हिसाब चुकता कर लिया. वह महिला कांस्टेबल अपनी ड्यूटी कर रही थी और भीड़ को काबू में करना उसकी ड्यूटी थी. घटना के बाद आशा कुमारी ने कहा है कि वे उस कांस्टेबल की मां की उम्र हैं, उसने मुझे अपशब्द कहे और धक्का दिया, लेकिन मुझे आपा नहीं खोना चाहिए था. मैं उसकी मां की उम्र की हूं.

सामान्यत: नेता हर पल अपने वीआइपी होने का अहसास लिये जीते हैं और यह मानते हैं कि नियम-कायदे उनके लिए नहीं हैं, ये तो सिर्फ जनता के लिए हैं जिनके समर्थन से चुन कर वे विधायक-सांसद बनते हैं और वीआइपी तमगा लगाकर जीते हैं. ऐसे में अचानक लोगों की यह जानने में दिलचस्पी बढ़ गयी है कि वह महिला विधायक कौन थीं, जिन्हें कांस्टेबल ने थप्पड़ जड़ दिया?

दरअसल, आशा कुमारी कोई सामान्य विधायक नहीं हैं. वे हिमाचल प्रदेश कांग्रेस की बड़ी नेता हैं और बेहद बुरी स्थिति में भी अपनी परंपरागत सीट डलहौजी से जीत कर विधानसभा पहुंची हैं, जबकि कांग्रेस इस बार हिमाचल प्रदेश की 68 में मात्र 21 सीटें जीतने में सफल रही.

आशा कुमारी कांग्रेस कीराष्ट्रीय सचिव हैं और संभवहै किनये-नयेअध्यक्ष बने राहुल गांधीकीटीम में उनका प्रमोशन हो जायेऔर उन्हें कोई और बड़ी जिम्मेवारी दे दी जाये. आशा कुमारी केराजनीतिकद को आप इस बात से नाप सकतेहैं कि पिछलेसाल पार्टी ने एनमौके पर कमलनाथ जैसे कद्दावर नेता को हटाकरउन्हें पंजाब काप्रभारी बना दिया, जिसके बाद पार्टी पंजाब विधानसभा चुनाव में जीतने में कामयाब रही.

कमल नाथ का नाम सिख दंगे में लिया जाता रहा है, ऐसे में कांग्रेस हाईकमान ने महसूस किया कि सिख बहुल राज्य में उनके प्रभार से पार्टी को नुकसान हो सकता है और इस काम के लिए पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश की आशा कुमारी ही सबसे माकूल लगीं, जो पंजाब व वहां राजनीति को अच्छे से समझती हैं.

62 वर्षीया आशा कुमारी 2003 से 2005 तक हिमाचल प्रदेश की शिक्षा मंत्री रही चुकी हैं और सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2011 में उन्हें शिक्षामंत्री के पद पर रहते हुए चिटिंग करने, आपराधिक साजिश रचने और धोखाधड़ी करने का दोषी माना था.

पढ़ें थप्पड़कांड की मूल खबर :

‘थप्पड़कांड’ : कांग्रेस एमएलए को सिपाही का जवाबी थप्पड़

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