नयी दिल्ली : आम आदमी पार्टी ने राज्यसभा के लिए तीन नामों का ऐलान कर दिया. इस रेस में सबसे आगे चल रहे कवि और आप नेता कुमार विश्वास का नाम नहीं है. कुमार ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, मुझे सच बोलने की सजा मिली है.
जिसने पार्टी को खड़ा किया, उसे सजा मिली है. एक क्रांतिकारी की जीत हुई है. अपनी शहादत स्वीकार करता हूं. शहीद हुआ हूं लेकिन अपने शव के साथ छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं करूंगा. युद्ध का सामान्य नियम है शव के साथ छेड़छाड़ ना करें.जिन दो लोगों को चुना गया है उसके लिए बधाई. कटाक्ष करते हुए कुमार ने कहा, इन्होंने पार्टी के लिए खूब काम किया है. रैलियां की है. टीवी चैनल पर पार्टी के पक्ष में खड़े रहे. कार्यकर्ताओं को जोड़कर रखा है. कुमार की इस टिप्पणी को कई तरह से देखा जा रहा है. सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या कुमार अब "आप" से किनारा कर लेंगे.
कुमार विश्वास ने मीडिया से कहा कि मनीष एक लिखित दस्तावेज के साथ आये थे. पीएसी की बैठक में हुए फैसले को उन्होंने पढ़ा और वापस चले गये.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बैठक में जब संजय सिंह, नारायण दास और सुशील के नामों पर चर्चा हो रही थी तब भी कुमार चुप थे. पार्टी के कई नेता जानते थे कि कुमार इस फैसले का समर्थन नहीं करेंगे.
मनीष सिसोदिया ने प्रेस कॉन्फेंस में नेताओं को संदेश देने के लिए इस बात पर जोर दिया कि इन नामों पर विचार सभी नेताओं के समर्थन से हुआ है. हालांकि मनीष यह बोलने से नहीं चूके कि अरविंद केजरीवाल चाहते थे कि बाहर के किसी व्यक्ति को राज्यसभा के लिए चुना जाए. पत्रकारों से बातचीत में कुमार ने अपने बयान से यह संकेत दे दिया है कि वह इस फैसले के साथ नहीं है. इन नामों के ऐलान के बाद अभी बयानबाजी का सिलसिला शुरू हुआ है. अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि कई लोग इस फैसले से नाराज हैं.