केजरीवाल से टकराने वालों का ”आप” से हो गया पत्ता साफ
नयी दिल्ली : आम आदमी पार्टी में एक बार फिर आतंरिक कलह चरम पर है. राज्यसभा चुनाव को लेकर पार्टी के अंदर भूचाल आ गया. पार्टी के अंदर कई गुट बन गये. हालांकि आखिर में पार्टी के सर्वेसर्वा संरक्षक अरविंद केजरीवाल की ही चली और राज्यसभा के लिए तीन नाम की घोषणा हो गयी. लेकिन […]
नयी दिल्ली : आम आदमी पार्टी में एक बार फिर आतंरिक कलह चरम पर है. राज्यसभा चुनाव को लेकर पार्टी के अंदर भूचाल आ गया. पार्टी के अंदर कई गुट बन गये. हालांकि आखिर में पार्टी के सर्वेसर्वा संरक्षक अरविंद केजरीवाल की ही चली और राज्यसभा के लिए तीन नाम की घोषणा हो गयी.
लेकिन इस बीच पार्टी के संस्थापक सदस्य और मंचीय कवि कुमार विश्वास और केजरीवाल के बीच फिर से दूरी बन गयी. राज्यसभा कुर्सी की आस लगाये कुमार पर पार्टी ने अविश्वास दिखाया और उनकी जगह संजय सिंह, सुशील गुप्ता और एन डी गुप्ता को राज्यसभा उम्मीदवार घोषित किया गया.
लेकिन इसके बाद कुमार ने केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. राज्यसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा किये जाने के तुरंत बाद असंतुष्ट कुमार विश्वास ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुये कहा कि उन्हें सच बोलने की सजा दी जा रही है. अगर कोई केजरीवाल से असहमत है तो उसके लिये आम आदमी पार्टी में रह पाना मुश्किल है.
विश्वास ने कहा, पिछले डेढ़ साल में, मैंने सच बोला फिर चाहे वह अरविंद केजरीवाल का फैसला हो या सर्जिकल स्ट्राइक, टिकट वितरण में अनियमितता, पंजाब में चरमपंथियों के प्रति नरमी अथवा जेएनयू घटना जैसे मुद्दे हों. सच बोलने की सजा के तौर पर मुझे इसका इनाम दिया गया.
इससे पहले भी कुमार विश्वास पार्टी और केजरीवाल के खिलाफ बोल चुके हैं. हालांकि कुमार ही एक मात्र ऐसे चेहरे नहीं हैं जिसने केजरीवाल का विरोध किया हो. इससे पहले भी पार्टी के अंदर और बाहर नेताओं ने केजरीवाल के खिलाफ बगावती तेवर अपनाया. हालांकि यह बात दीगर है कि जिसने भी केजरीवाल के खिलाफ बोला उसे बाद में पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.
इस मामले में सबसे बड़ा नाम प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव है. दोनों आप के संस्थापक सदस्य रहे और कई मौकों पर योगेंद्र व प्रशांत केजरीवाल के ढाल बने. लेकिन आज स्थिति यह है कि दोनों को पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया. 2015 के विधानसभा चुनाव में योगेंद्र यादव-प्रशांत भूषण और केजरीवाल के बीच जबरदस्त मतभेद उभरकर सामने आया. नतिजा हुआ कि दोनों पार्टी से बाहर हो गये और फिलहाल नयी स्वराज अभियान नाम से नयी पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने की ताल ठोक रहे हैं.
इसके अलावा कुमार बिन्नी, कपिल मिश्रा, सोशल एक्टिविस्ट मयंक गांधी, सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और अंजलि दामनिया प्रमुख हैं. ये सभी नेताओं ने केजरीवाल का विरोध किया था और आज सभी पार्टी से बाहर हैं.