अरुणाचल: सड़क बनाने में व्यस्त थे चीनी जवान, जब पहुंचे भारतीय सैनिक तो मशीन छोड़ भागे

ईटानगर/नयी दिल्ली : अरुणाचल प्रदेश के सियांग क्षेत्र में एक बार फिर भारतीय सेना और चीनी सेना आमने सामने आये. इलाके के टूटिंग में भारतीय सुरक्षाकर्मियों ने जब चीनी लोगों को कंस्ट्रक्शन का काम रोकने के लिए कहा, तब चीनियों ने जवाब दिया कि वे अपने इलाके में काम कर रहे हैं. जवाब सुनते ही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 4, 2018 9:19 AM

ईटानगर/नयी दिल्ली : अरुणाचल प्रदेश के सियांग क्षेत्र में एक बार फिर भारतीय सेना और चीनी सेना आमने सामने आये. इलाके के टूटिंग में भारतीय सुरक्षाकर्मियों ने जब चीनी लोगों को कंस्ट्रक्शन का काम रोकने के लिए कहा, तब चीनियों ने जवाब दिया कि वे अपने इलाके में काम कर रहे हैं. जवाब सुनते ही भारतीय सुरक्षाकर्मियों ने सबूत उनके समक्ष रखे जिसके बाद वे वापस चले गये, लेकिन अपने साथ लायी गयी खुदाई की दो मशीनें रहस्यमय ढंग से भारतीय इलाके में ही छोड़कर रवाना हो गये. भारत ने चीनी पक्ष को संदेश भेजा है कि वे अपनी मशीनें वापस ले जायें.

सूत्रों की मानें तो मामले को सुलझाने के लिए दोनों देशों के बीच उपलब्ध मौजूदा व्यवस्था के तहत संपर्क स्थापित किया गया. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भी बुधवार को कहा कि सीमा से जुड़े विवाद दोनों देश मौजूदा व्यवस्था के तहत सुलझाने में सक्षम हैं और सीमा पर शांति दोनों देशों के लिए लाभकारी होगा.

ये है सड़क बनाने का तरीका

जानकारों की मानें तो सीमावर्ती इलाके में सड़क बनाने के लिए चार स्टेज पर काम होता है – सर्वे, अलाइनमेंट, फॉर्मेशन और कारपेटिंग. सर्वे के तहत सड़क बनाने के लिए इलाके का मुआयना किया जाता है. टूटिंग में सर्वे का काम चीनियों ने कब किया, इसका पता सुरक्षा एजेंसियों को नहीं चला है. जब भारतीय सैनिक वहां पहुंचे तो करीब एक किलोमीटर तक अलाइनमेंट के काम को अंजाम दिया जा चुका था. अलाइनमेंट के तहत सड़क की दिशा तय कर ली जाती है. फॉर्मेशन के तहत मशीनों से खुदाई का काम किया जाता है. करीब 400 मीटर तक फॉर्मेशन का काम भी पूरा हो चुका था. भारत की ओर से भी इस इलाके में सड़क निर्माण का काम किया जा रहा है. चीनी सैनिकों की चौकी मौके से करीब डेढ़ किलोमीटर हटकर है. चीनी सैनिकों की चौकी तक पक्की सड़क है और वे उसके आगे सड़क बनाने का प्रयास कर रहे हैं.

डोकलाम याद है क्या

यदि आपको याद हो तो भारत, चीन और भूटान की सीमाओं के जंक्शन डोकलाम में पिछले साल दोनों देशों की सेनाओं का आमना-सामना करीब ढाई महीने तक हुआ था. बाद में दावा किया गया कि समाप्त हो चुका है, लेकिन ऐसी रिपोर्ट हैं कि चीन के सैनिक कड़ी सर्दी में भी 500 मीटर डटे हुए हैं. गौर हो कि चीन की ओर से 2017 जुलाई में उत्तराखंड के चमोली जिले के बाड़ाहोती में भी घुसपैठ की गयी थी.

अरुणाचल का अस्तित्व नहीं मानता चीन

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भारतीय सीमा के अंदर घुसने की बात पर टिप्पणी नहीं की, लेकिन कहा कि वह अरुणाचल प्रदेश का अस्तित्व नहीं मानता है. यहां चर्चा कर दें कि अरुणाचल प्रदेश को चीन दक्षिण तिब्बत मानता है. उसका मानना है कि यदि पूरा प्रदेश न सही तो इसका तवांग इलाका उसे सौंप दिया जाना चाहिए. यही कारण है कि भारतीय नेताओं की अरुणाचल यात्रा पर चीन ऐतराज जताता है.

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