आरएसएस के चेन्नई कार्यालय पर हमले का आरोपी 24 वर्ष बाद सीबीआइ के हत्थे चढ़ा
नयी दिल्ली : सीबीआइ ने 24 वर्ष की खोज के बाद 1993 में आरएसएस के चेन्नई कार्यालय पर बम हमले के आरोपी मुश्ताक अहमद को शुक्रवार को आखिरकार गिरफ्तार कर लिया. इस हमले में 11 लोगों की मौत हो गयी थी. सीबीआइ प्रवक्ता अभिषेक दयाल ने बताया कि 56 वर्षीय अहमद पिछले 24 वर्ष से […]
नयी दिल्ली : सीबीआइ ने 24 वर्ष की खोज के बाद 1993 में आरएसएस के चेन्नई कार्यालय पर बम हमले के आरोपी मुश्ताक अहमद को शुक्रवार को आखिरकार गिरफ्तार कर लिया. इस हमले में 11 लोगों की मौत हो गयी थी. सीबीआइ प्रवक्ता अभिषेक दयाल ने बताया कि 56 वर्षीय अहमद पिछले 24 वर्ष से सीबीआइ से बचता घूम रहा था. उसे चेन्नई के बाहरी इलाके से सुबह पकड़ा गया. चेन्नई के चेतपूत में आरएसएस के बहुमंजिला कार्यालय पर आठ अगस्त, 1993 को आरडीएक्स का इस्तेमाल करके धमाका किया गया था.
अधिकारियों के अनुसार अहमद ने बम बनाने के लिए विस्फोटक सामग्री खरीदी थी और अन्य आरोपियों को पनाह भी मुहैया करायी थी. एजेंसी ने मामले में मुख्य आरोपी अहमद के बारे में सूचना देनेवाले को 10 लाख रुपये का इनाम देने का ऐलान किया था. एजेंसी ने 1993 में मामले की जांच की जिम्मेदारी संभाली और भारतीय दंड संहिता, विस्फोटक पदार्थ कानून और आतंकवाद एवं विध्वंसक गतिविधि (निरोधक) कानून के कड़े प्रावधानों के तहत आरोप पत्र दाखिल किया.
वर्ष 2007 में चेन्नई में टाडा की एक अदालत ने 12 साल चले मुकदमे के बाद 11 आरोपियों को दोषी ठहराया और तीन को उम्रकैद की सजा सुनायी. इस दौरान एजेंसी ने अहमद की तलाश जारी रखी, लेकिन उसे पकड़ने की हर कोशिश नाकाम रही. 2007 में मुकदमे के बाद विशेष अदालत ने चार लोगों को पर्याप्त सुबूतों के अभाव में दोषमुक्त कर दिया. इनमें प्रतिबंधित संगठन अल उम्मा का संस्थापक एसए बाशा भी शामिल था.
एक संदिग्ध आइएसआइ एजेंट इमाम अली जो मदुरै में हिरासत से भाग गया था बेंगलुरु में 29 सितंबर 2002 को पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया. एक अन्य आरोपी जेहाद कमेटी संस्थापक पलानी बाबा की 28 जनवरी 1997 को आरएसएस के संदिग्ध हमदर्दों ने हत्या कर दी. सात अगस्त 1995 को शुरू हुए मुकदमे के दौरान कुल 431 गवाहों में से 224 से जिरह की गयी. आरोप पत्र आठ जून 1994 को दाखिल किया गया.