नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपने 2016 के आदेश में सुधार करते हुए सिनेमाघरों में फिल्म के प्रदर्शन से पहले राष्ट्रगान बजाने को अब स्वैच्छिक कर दिया है. शीर्ष अदालत ने 30 नवंबर, 2016 के अपने आदेश में संशोधन करते हुए राष्ट्रगान बजाने को स्वैच्छिक कर दिया. इससे पहले, न्यायालय ने अपने आदेश में फिल्म के प्रदर्शन से पहले सिनेमाघरों के लिये राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य बना दिया था.
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि केंद्र द्वारा गठित 12 सदस्यीय अंतर-मंत्रालयी समिति सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने के बारे में अंतिम निर्णय लेगी. पीठ ने कहा कि समिति राष्ट्रगान बजाने से संबंधित सारे पहलुओं पर विस्तार से विचार करेगी. इसके साथ ही पीठ ने याचिकाकर्ताओं को इस समिति के समक्ष अपना प्रतिवेदन रखने की अनुमति प्रदान कर दी.
पीठ ने उसके समक्ष लंबित याचिकाओं का निस्तारण करते हुए कहा कि राष्ट्रीय सम्मान के अनादर की रोकथाम कानून 1971 में संशोधन के बारे में सुझाव देने के लिये 12 सदस्यीय समिति गठित की जा चुकी है. अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने पीठ को सूचित किया कि यह समिति छह महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट देगी.