विश्व में भारत के बढ़ते प्रभाव का श्रेय नरेंद्र मोदी को : सुषमा स्वराज

नयी दिल्ली : विश्व में भारत का प्रभुत्व बढ़ने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि कालाधन, नोटबंदी, जीएसटी, आतंकवाद के खिलाफ कदम, गरीबी उन्मूलन की पहल, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस जैसी प्रधानमंत्री की पहल यह दर्शाती है कि हम जो कहते हैं, वह करते […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 9, 2018 1:50 PM


नयी दिल्ली :
विश्व में भारत का प्रभुत्व बढ़ने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि कालाधन, नोटबंदी, जीएसटी, आतंकवाद के खिलाफ कदम, गरीबी उन्मूलन की पहल, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस जैसी प्रधानमंत्री की पहल यह दर्शाती है कि हम जो कहते हैं, वह करते हैं.

प्रथम प्रवासी सांसद सम्मेलन को संबोधित करते हुए सुषमा स्वराज ने कहा कि विश्व में भारत का प्रभुत्व बढ़ रहा है और इसका श्रेय किसी को जाता है, तो वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है. भारत आज वैश्विक एजेंडा तय करने वाला देश बनकर उभरा है. जब प्रधानमंत्री जी20 में हिस्सा लेने जाते हैं तब कालेधन के विषय को केंद्र में रखकर बात करते हैं. विदेश मंत्री ने कहा कि वह इस बारे में सिर्फ कह कर नहीं आते बल्कि जब घर लौट कर आते हैं तब नोटबंदी, जीएसटी जैसी साहसिक पहल का निर्णय करते हैं और दुनिया को यह दिखाते हैं कि हम जो कहते हैं, वह करते भी है.

सुषमा ने कहा कि प्रधानमंत्री जब हैम्बर्ग जाते हैं तब आतंकवाद से कैसे लड़ा जाये, इस बारे में 11 सूत्री एजेंडा पेश करते हैं. संयुक्त राष्ट्र में जब टिकाऊ विकास लक्ष्य (एसडीजी) पर बोलने जाते हैं तब गरीबी उन्मूलन के विषय को सामने रखते हैं. इसके अलावा भी प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस जैसी पहल को आगे बढ़ाने का काम किया. प्रवासी भारतीय सांसदों को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि इस सम्मेलन का आयोजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुझाव पर किया गया है. इसमें हिस्सा लेने के लिए 134 प्रतिनिधि अभी मौजूद हैं.

इसमें 2 सत्र हैं जिसमें एक सत्र का विषय प्रवासी सांसद संघर्ष से संसद तक का सफर और दूसरे सत्र का विषय है विश्व में उभरते भारत में प्रवासी सांसद की भूमिका . सुषमा स्वराज ने कहा कि इस सम्मेलन में हिस्सा लेने वालों में ज्यादातर गिरमिटिया देशों के सांसद है. ये ऐसे लोग हैं जिनके पुरखे भोजपुरी और मगधी बोलते थे और एक समझौते के तहत इन्हें ले जाया गया था.

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