नयी दिल्ली : पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को 2जी घोटाले से जुड़े एयरसेल मैक्सिस सौदा मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार पड़ी है. गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान नयी बेंच ने कार्ति चिदंबरम को कड़ी फटकार लगायी है. कार्ति के वकील ने सुनवाई के दौरान नयी बेंच के सामने कहा, ‘हमें खुशी है कि अब आप इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं.’
वकील के ऐसा कहते ही बेंच ने कड़ी फटकार लगाते हुए कार्ति और उनके वकील से कहा, ‘हमारे सामने इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल न करें. हम संवैधानिक जिम्मेदारी अदा करने के लिए यहां हैं, आपको खुश करने के लिए नहीं. आपको अदालत की गरिमा बनाए रखनी चाहिए.’ बुधवार को ही सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायधीश दीपक मिश्रा ने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है.
प्रधान न्यायाधीश, जो न्यायमूर्ति एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की सदस्यता वाली खंडपीठ की अध्यक्षता कर रहे थे, ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में उन्होंने 2जी स्पेक्ट्रम आबंटन से संबंधित मामले की सुनवाई की थी, इसलिए वह इन याचिकाओं की सुनवाई नहीं करना चाहेंगे.
Aircel Maxis case: Counsel of Karti Chidambaram said to new bench 'We are happy now that you are hearing this case.' Bench replied 'don’t use such type of words in front of us.We are doing our constitutional duty,not to make you happy. You must maintain the decorum of this court'
— ANI (@ANI) January 11, 2018
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, मैंने दिल्ली हाईकोर्ट में 2जी मामले की सुनवाई की थी. पीठ ने कहा कि इस मामले की सुनवाई अब न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ करेगी जो पहले से ही इसी तरह के मामले पर विचार कर रही है.
पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के नेता पी चिदंबरम के पुत्र कार्ति चिदंबरम और एडवान्टेज स्ट्रैटेजिक कंसलटिंग प्राइवेट लिमिटेड सहित दो कंपनियों ने एयरसेल-मैक्सिस सौदे से संबंधित कथित अपराध की रकम के सिलसिले में धन शोधन रोकथाम कानून के तहत अपनी संपत्ति तदर्थ आधार पर जब्त करने के प्रवर्तन निदेशालय के फैसले को चुनौती दी है.
संयुक्त निदेशक और 2जी स्पेक्ट्रम आबंटन मामलों के जांच अधिकारी ने इनकी संपत्तियां तदर्थ आधार पर जब्त करने का आदेश दिया था. यह मामला तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा 2006 में विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड को दी गयी मंजूरी से संबंधित है. जांच एजेन्सी यह पता लगा रही हैं कि तत्कालीन वित्त मंत्री ने किन परिस्थितियों में यह मंजूरी प्रदान की थी.