सिस्टर निवेदिता स्वामी विवेकानंद की प्रिय शिष्या थीं. सिस्टर निवेदिता का असली नाम ‘मार्गरेट एलिजाबेथ’ था. वे एक अंग्रेज-आयरिश महिला थीं. सिस्टर निवेदिता विदेशी मूल के उन लोगों में शामिल हैं, जिनका भारत में बहुत सम्मान है. जब वे स्वामी विवेकानंद के संपर्क में आयीं, तो वे उनके आकर्षक व्यक्तित्व से इस कदर प्रभावित हुईं कि उन्होंने भारत को अपनी कर्मभूमि बना लिया और अपना घरबार छोड़कर यहां आ गयीं. सिस्टर निवेदिता की लंदन में स्वामी जी से भेंट हुई थी.
उन्हें स्वामी जी ने दीक्षा दी और मानवता के पथ पर चलने की प्रेरणा दी. उस वक्त उन्होंने कहा – जाओ और उस महान व्यक्ति का अनुसरण करो जिसने 500 बार जन्म लेकर अपना जीवन लोककल्याण के लिए समर्पित किया और फिर बुद्धत्व प्राप्त किया.
दीक्षा के समय स्वामी विवेकानंद ने उन्हें नया नाम निवेदिता दिया और बाद में वह पूरे देश में इसी नाम से विख्यात हुईं. उन्होंने स्त्री शिक्षा के लिए अपना जीवन अर्पित कर दिया. उस काल में स्त्रियों को शिक्षा से वंचित रखा जाता था, लेकिन सिस्टर निवेदिता ने स्त्रियों को शिक्षा से जोड़ा. उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भारतीयों की बहुत मदद की.