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सुप्रीम कोर्ट में जजों के विवाद पर अब राजनीति भी गर्म, सरकार ने पल्ला झाड़ा, कांग्रेस बोली : खतरे में लोकतंत्र

भारत के चीफजस्टिस की कार्यप्रणाली से नाराज सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के बाद देश की राजनीति भी गर्म हो गयी है. हालांकि, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जजों के विवाद से आधिकारिक तौर पर पल्ला झाड़ लियाऔरइसे कोर्ट का अंदरूनी विवाद बताया. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानून मंत्री रविशंकर […]

भारत के चीफजस्टिस की कार्यप्रणाली से नाराज सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के बाद देश की राजनीति भी गर्म हो गयी है. हालांकि, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जजों के विवाद से आधिकारिक तौर पर पल्ला झाड़ लियाऔरइसे कोर्ट का अंदरूनी विवाद बताया. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद से बातचीत की. खबर है कि सरकार ने चीफ जस्टिस से भी बात की है. दूसरी तरफ, सीपीआई के बड़े नेता डी राजा ने बागी जस्टिस चेलामेश्वर से बातचीत की, तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने देश के पूर्व कानून मंत्री रहे कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल से मुलाकात की.

नयी दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठतम जजों ने कोर्ट के संचालन में मनमानी करने के गंभीर आरोप लगाये हैं. इसे देश के इतिहास का अभूतपूर्व घटनाक्रम माना जा रहा है. चार जजोंकी प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद चीफ जस्टिस दीपक मिश्र ने कहा कि वह 2 बजे खुली अदालत में इस मामले की सुनवाई कर सकते हैं. हालांकि ऐसा कुछ हुआ नहीं. चीफ जस्टिस दीपक मिश्र ने सामान्य दिनों की तरह मुकदमों की सुनवाई की. इससे पहले उन्होंने अटॉर्नी जनरल और सुप्रीम कोर्ट के अन्य जजों से बात की. सरकार ने इसे सुप्रीम कोर्ट का अंदरूनी मामला बताते हुए इस मुद्दे से पल्ला झाड़ लिया, तो कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र के लिए खतरा करार दिया. इस बीच, खबर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वोच्च अदालत के सुप्रीम संकट पर कानून मंत्री रविशंकर से बातचीत की है. वहीं, न्यूज चैनलों की मानें, तो सरकार ने चीफ जस्टिस से इस मुद्दे पर बातचीत की है. दूसरी तरफ, सीपीआई नेता डी राजा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चीफ जस्टिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करने वाले सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस चेलामेश्वर से मुलाकात की.

सुप्रीम कोर्ट के इन चार जजों ने भी प्रेसकॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि देश के कानून के इतिहास के लिए यह बहुत बड़ा दिन है. उन्‍होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का प्राशासनिक कार्य ठीक से नहीं हो रहा है. जस्टिस जे चेलामेश्वर ने कहा, ‘हम चारों के लिए यह बहुत तकलीफ से भरा समय है और यह संवाददाता सम्मेलन करने में कोई खुशी नहीं हो रही. हम नहीं चाहते कि 20 साल बाद कोई कहे कि चारों वरिष्ठतम न्यायाधीशों ने अपनी आत्मा बेच दी थी.’ प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अपनी बात रखते हुए जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि अब देश तय करे कि चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग चले या नहीं.

जस्टिस चेलामेश्वर ने कहा, ‘हम चार लोग (जस्टिस चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ) भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र को लगातार कहते रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट की खातिर अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लायें. पिछले कुछ महीनों में हमने कुछ गड़बड़ियां देखीं. हमने हस्तक्षेप करने की कोशिश की, लेकिन उसे महत्व नहीं दिया गया. हम नहीं चाहते कि 20 साल बाद कोई कहे कि हमने अपनी आत्मा बेच दी.’


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जस्टिस चेलामेश्वर की अगुवाई में जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने जस्टिस चेलामेश्वर के आवास पर मीडिया को संबोधित किया. ये सभी जज भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपकमिश्र की अगुवाई में बने कोलेजियम के सदस्य हैं. जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा, ‘हमने मुख्य न्यायाधीश से कहा कि सुप्रीम कोर्ट के प्रशासन में कुछ ऐसी चीजें हो रही हैं, जो ठीक नहीं हैं. दुर्भाग्य से हमारी कोशशें बेकार गयीं. इसलिए हमें राष्ट्र के सामने आकर ये बातें कहनीं पड़ रही हैं.’

यह पूछे जाने पर क्या चीफ जस्टिस से उनके मतभेद लोया के केस के असाईनमेंट से जुड़ा है, जस्टिस रंजन गोगोई ने हां में जवाब दिया. उन्होंने कहा, ‘दो महीने पहले हम चार लोगों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखा था. हमने उनसे कहा था कि कुछ चीजें विशेष प्रक्रिया के तहत होनी चाहिए. लेकिन, जिस तरीके से यह सब हुआ, उसने सुप्रीम कोर्ट जैसे संस्थान की अखंडता और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े किये.’

चीफ जस्टिस को संबोधित 7 पन्नों के पत्र में जजों ने कुछ मामलों के असाइनमेंट को लेकर नाराजगी जतायीहै. जजों का आरोप है कि चीफ जस्टिस की ओर से कुछ मामले चुनिंदा बेंचों और जजों को ही दिये जा रहे हैं. इन्होंने कहा है कि स्थापना के समय से ही कोलकाता, बांबे और मद्रास हाइकोर्ट में प्रशासन के नियम और परंपरा तय थे. इन अदालतों के कामकाज पर सुप्रीम कोर्ट के फैसलों ने विपरीत प्रभाव डाला है, जबकि शीर्ष अदालत की स्थापना इन उच्च न्यायालयों के एक सदी के बाद हुई थी.

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पत्र में कहा गया है, ‘सामान्य सिद्धांत है कि चीफ जस्टिस के पास रोस्टर तैयार करने का अधिकार होता है. वही तय करते हैं कि कौन-सी बेंच और जज किस मामले की सुनवाई करेगी. हालांकि, यह देश का न्यायशास्त्र है कि चीफ जस्टिस सभी बराबर के जजों में प्रथम होता है, न ही वह किसी से बड़ा और न ही किसी से छोटा होता है.’

जजों ने अपने पत्र में आगे लिखा है, ‘ऐसे भी कई मामले हैं, जिनका देश के लिए खासा महत्व है. लेकिन, चीफ जस्टिस ने उन मामलों को तार्किक आधार पर देने की बजाय अपनी पसंद वाली बेंचों को सौंप दिया. इसे किसी भी कीमत पर रोका जाना चाहिए.’ पत्र में लिखा गया है कि संस्थान की प्रतिष्ठा को हानि न पहुंचे, इसलिए मामलों का जिक्र नहीं कर रहे हैं, लेकिन इसकी वजह से पहले ही सुप्रीम कोर्ट नामक संस्था की छवि को नुकसान हो चुका है.

कांग्रेस नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद ने कहा है कि चार जजों ने जो कुंठा व्यक्त की है,वह चिंता की बात है. साथ ही उन्होंने कहा कि यह अस्थायी विवाद है. विद्वान जजोंको इस पर बातचीत करनी चाहिए और मुद्दे का हल निकालना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह ऐसा मुद्दा नहीं है, जिससे कोर्ट को कोई स्थायी नुकसान हो.

इसका मतलब है कि विवाद गंभीर है : जस्टिस पीबी सावंत

सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के मुद्दे पर भारत के पूर्व चीफ जस्टिस पीबी सावंत ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि जजों को मीडिया के सामने अपनी बात रखने का अभूतपूर्व फैसला लेना पड़ा. यह दर्शाता है कि विवाद गंभीर है.विवाद भारत के चीफ जस्टिस के साथ है या कुछ आंतरिक विवाद भी हो सकता है.

कांग्रेस ने कहा : खतरे में है लोकतंत्र

सरकार ने इस पूरे विवाद से पल्ला झाड़ लिया है, तो कांग्रेस ने सोशल साईट ट्विटर के जरिये अपनी प्रतिक्रिया दी. पार्टी ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली को लेकर सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने जो चिंता जाहिर की है, उससे हम भी बहुत चिंतित हैं. लोकतंत्र खतरे में है.’

चीफ जस्टिस दीपक मिश्र को लिखीगयी चिट्ठी के मुख्य अंश

-चीफ जस्टिस उस परंपरा से बाहर जा रहे हैं, जिसके तहत महत्वपूर्ण मामलों में निर्णय सामूहिक तौर पर लिये जाते रहे हैं.

-चीफ जस्टिस केसों के बंटवारे में नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं.

-वे महत्वपूर्ण मामले, जो सुप्रीम कोर्ट की अखंडता को प्रभावित करते हैं, चीफ जस्टिस उन्हें बिना किसी वाजिब कारण के उन बेंचों को सौंप देते हैं, जो चीफ जस्टिस की प्रेफेरेंस (पसंद) की हैं.

-इससे संस्थान की छवि बिगड़ी है.

-हम ज्यादा केसों का हवाला नहीं दे रहे हैं.

-सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसफ और सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील इंदु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त करने की सिफारिश भेजी है.

-जस्टिस केएम जोसफ ने ही हाईकोर्ट में रहते हुए 21 अप्रैल, 2016 को उत्तराखंड में हरीश रावत की सरकार को हटाकर राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले को रद्द किया था, जबकि इंदु मल्होत्रा सुप्रीम कोर्ट में सीधे जज बनने वाली पहली महिला जज होंगी, जबकि सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल जस्टिस आर भानुमति के बाद वह दूसरी महिला जज होंगी.

-सुप्रीम कोर्ट में तय 31 पदों में से फिलहाल 25 जज हैं, यानी जजों के 6 पद खाली हैं.

LIVE UPDATES

-सात पन्नों की चिट्ठी लिखी गयी थी मुख्य न्यायाधीश को. चिट्ठीमें मुख्य न्यायाधीश की कार्यप्रणाली पर असंतोष जाहिर किया.

-कई चीजें लगातार ऐसी देखने को मिली है, जिसमें चीफ जस्टिस ने मनमाना रवैया अपनाया.

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