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जानें Justice Chelameswar को, जिनके घर पर सुप्रीम कोर्ट के जजों ने की PC

12 जनवरी 2018 का दिन आजाद भारत के इतिहास में खास हो गया. ऐसा पहली बार हुआ जब देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों ने प्रेस कांफ्रेंस की. इन जजों ने न्यायपालिका में जारी अनियमितताओं पर अपनी बात रखी. यह प्रेस कांफ्रेंस जस्‍टिस चेलमेश्‍वर के घर पर आयोजित की गयी. जस्टिस […]

12 जनवरी 2018 का दिन आजाद भारत के इतिहास में खास हो गया. ऐसा पहली बार हुआ जब देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों ने प्रेस कांफ्रेंस की. इन जजों ने न्यायपालिका में जारी अनियमितताओं पर अपनी बात रखी.

यह प्रेस कांफ्रेंस जस्‍टिस चेलमेश्‍वर के घर पर आयोजित की गयी. जस्टिस जस्ती चेलमेश्वरकेअलावा, जस्टिस रंगन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ मीडिया से रूबरू हुए.

सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के बाद नंबर दो का रुतबा रखनेवाले जस्‍टिस चेलमेश्‍वर ने मीडिया के सामने अपनी बात रखते हुए कहा, प्रेस कांफ्रेंस को बुलाने का निर्णय हमें मजबूरी में लेना पड़ा है.

उन्‍होंने आगे कहा, देश का लोकतंत्र खतरे में है. सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक से काम नहीं कर रहा है. चीफ जस्‍टिस पर अब देश को फैसला करना होगा. हम नहीं चाहते कि 20 सालबाद हम पर कोई आरोप लगे. न्‍यायपालिका की निष्‍ठा पर सवाल उठाये जा रहे हैं, लेकिन सीजेआई ने कोई कार्रवाई नहीं की.

आइए जानें जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर के बारे में –

  • 23 जून 1953 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिलेकेमछलीपट्टनम में जन्मे जस्ती चेलमेश्वर ने चेन्नई के लोयोला कॉलेज से शिक्षा पायी. उन्हें वकालत विरासत में मिली है.
  • भौतिकी विज्ञान में स्नातक करने के बाद उन्होंने 1976 में आंध्र यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री हासिल की.
  • जस्टिस चेलमेश्वर केरल और गुवाहाटी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे हैं.
  • अक्तूबर, 2011 में वह सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे.
  • जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर और रोहिंगटन फली नरीमन की 2 सदस्यीय बेंच ने उस विवादित कानून को खारिज किया, जिसमें पुलिस के पास किसी के खिलाफ आपत्तिजनक मेल करने या इलेक्ट्रॉनिक मैसेज करने के आरोप में गिरफ्तार करने का अधिकार था.
  • उन्होंने इस नियम पर लंबी बहस की बात कही थी. उनके इस फैसले की देशभर में जमकर तारीफ हुई और बोलने की आजादी को कायम रखा.
  • इसके साथ ही, चेलमेश्वर ने जजों की नियुक्ति को लेकर नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट्स कमीशन (NJAC) का समर्थन किया. यही नहीं, वह पहले से चली आ रही कोलेजियम व्यवस्था की आलोचना कर चुके हैं.

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