जजों के विवाद को सुलझाने के लिए शुरू होगा बैठकों का सिलसिला, बार एसोसिएशन के प्रस्ताव की बड़ी बातें
नयी दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश पर चार जजों द्वारा सुप्रीम कोर्ट के संचालन में मनमानी के आरोपों पर भारतीय न्यायपालिका में उठा बवंडर अब धीरे-धीरे खत्म होता दिख रहा है. बार काउंसिल की बैठक में शनिवार को फैसला किया गया कि काउंसिल के सदस्य सुप्रीम कोर्ट के 23 जजों से मुलाकात करेंगे. मुलाकातों […]
नयी दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश पर चार जजों द्वारा सुप्रीम कोर्ट के संचालन में मनमानी के आरोपों पर भारतीय न्यायपालिका में उठा बवंडर अब धीरे-धीरे खत्म होता दिख रहा है. बार काउंसिल की बैठक में शनिवार को फैसला किया गया कि काउंसिल के सदस्य सुप्रीम कोर्ट के 23 जजों से मुलाकात करेंगे. मुलाकातों का सिलसिला रविवार से शुरू होगा. बार काउंसिल ने कहा कि 23 में से अधिकांश जज इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार हैं.
काउंसिल के सदस्य प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम जजों से सबसे अंत में मिलेंगे. चीफ जस्टिस से उसके बाद मुलाकात करेंगे. बार काउंसिल के सूत्रों ने कहा कि जजों को फुल कोर्ट मीटिंग बुलानी चाहिए और अगर मुख्य न्यायाधीश उनकी चिंताओं को दूर करने में सक्षम नहीं हैं, तो उन्हें राष्ट्रपति से संपर्क करना चाहिए.
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सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने एक निजी न्यूज चैनल से कहा, ‘हम नहीं चाहते कि ऐसे मामले सार्वजनिक रूप से हल किये जायें. इसे आतंरिक रूप से ही हल कर लिया जाना चाहिए. कैमरे के सामने जाने से हमारा सिस्टम कमजोर ही होगा.’ सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि पूर्ण अदालत के विचार करने का प्रस्ताव पारित किया गया, क्योंकि यह एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें शीर्ष अदालत के सभी जजों के बीच अंदरूनी चर्चा होती है और खुले में चर्चा नहीं होती.
दूसरी तरफ, चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ एक तरह से बगावत करने वाले सुप्रीम कोर्ट के चार जजों में से एकजस्टिस कुरियन जोसेफ ने शनिवारको कहा कि मुद्दे के हल के लिए किसी बाहरी हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है.जस्टिस जोसेफ ने कहा, ‘एक मुद्दा उठाया गया. जो इसे लेकर चिंतित थे, उन्होंने उसे सुना. इसलिए मेरा मानना है कि मुद्दे का हल हो गया है. मामले के हल के लिए बाहरी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह मामला हमारे संस्थान के भीतर उठा है. इसे दुरुस्त करने के लिए संस्थान को ही जरूरी कदम उठाने होंगे.’
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जस्टिस जोसेफ ने कहा कि मामला राष्ट्रपति के संज्ञान में नहीं लाया गया है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट या उसके जजों को लेकर उनकी कोई संवैधानिक जिम्मेदारी नहीं है. इसी तरह कोलकाता में एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे जस्टिस रंजन गोगोई ने संकट के हल के लिए आगे की दिशा के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘कोई संकट नहीं है.’
बार एसोसिएशन के प्रस्ताव की बड़ी बातें
- 15 जनवरी को शीर्ष अदालत में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध मामलों को भी अन्य जजों के पास से कॉलेजियम में शामिल पांच सर्वाधिक वरिष्ठ जजों के पास भेज दिया जाना चाहिए.
- सुप्रीम कोर्ट के चार सीनियर जजों ने संवाददाता सम्मेलन में जो मतभेद बताये और अन्य मतभेद जो समाचार पत्रों में दिखे हैं, वे गंभीर चिंता का विषय हैं. उस पर फुलकोर्ट को तत्काल विचार करना चाहिए.
- सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया कि लंबित मामलों समेत सभी जनहित याचिकाओं पर या तो चीफ जस्टिस को विचार करना चाहिए या उन्हें किसी अन्य पीठ को सौंपना है, तो उसे कॉलेजियम में शामिलजजों को सौंपना चाहिए.