नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने पिछले सप्ताह चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों द्वारा प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ मुखरता से आवाज उठाने की घटना का संज्ञान लेने से सोमवार को इनकार कर दिया. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष वकील आरपी लूथरा ने यह मामला उठाया था.
पीठ ने इन न्यायाधीशों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का एक वकील का अनुरोध ठुकरा दिया. खंडपीठ ने सख्त लहजे में वकील आरपी लूथरा का यह आग्रह, ‘नहीं, नहीं’ कहते हुए ठुकरा दिया. लूथरा चाहते थे कि मुकदमों के आवंटन का मामला उठानेवाले न्यायाधीशों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए. लूथरा ने कहा, ‘लोगों के एक समूह को न्याय के मंदिर को नष्ठ करने नहीं दिया जाना चाहिए. कृपया इनके खिलाफ कार्रवाई कीजिये भले ही यह अवमानना की हो. किसी को भी इस शीर्ष संस्था को नुकसान पहुंचाने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए.
लूथरा ने ही इससे पहले मेमोरेंडम आॅफ प्रसीजर के बगैर ही उच्चतर न्यायपालिका की नियुक्तियों को चुनौती दी थी. लूथरा ने यह स्पष्ट नहीं किया कि क्या वह चारों न्यायाधीशों के खिलाफ कार्रवाई चाहते हैं. लूथरा ने भी अपने कथन पर टिप्पणी करना उचित नहीं समझा और सूची में शामिल अपने दूसरे मामलों का उल्लेख करने में व्यस्त हो गये.