चिदंबरम ने बजट में हमेशा फर्जीवाडा किया है: यशवंत सिन्हा

नयी दिल्ली: वित्त मंत्री पी. चिदंबरम पर पलटवार करते हुए भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने आज कहा कि चिदंबरम ने बजट में हमेशा ही ‘फर्जीवाडा’ किया है. कल चिदंबरम ने सिन्हा पर निशाना साधते हुए कहा था कि पूर्व वित्त मंत्री सिन्हा के कार्यकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था ने उदारीकरण के बाद के सबसे खराब वर्षों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 2, 2014 11:23 PM

नयी दिल्ली: वित्त मंत्री पी. चिदंबरम पर पलटवार करते हुए भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने आज कहा कि चिदंबरम ने बजट में हमेशा ही ‘फर्जीवाडा’ किया है. कल चिदंबरम ने सिन्हा पर निशाना साधते हुए कहा था कि पूर्व वित्त मंत्री सिन्हा के कार्यकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था ने उदारीकरण के बाद के सबसे खराब वर्षों को देखा.

सिन्हा ने बयान जारी कर कहा, ‘‘ हो सकता है कि 1991 के बाद मैं सबसे खराब वित्त मंत्री रहा होउं, लेकिन मैंने फर्जीवाडा नहीं किया. चिदंबरम 1991 के बाद के सबसे चालाक वित्त मंत्री रहे हैं और उन्होंने केवल इस साल नहीं, बल्कि हमेशा ही फर्जीवाडा किया.’’ राजकोषीय घाटे पर अंकुश लगाने के चिदंबरम के दावे को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि सब्सिडी भुगतान टालकर एवं योजनागत खर्चे में 80,000 करोड रुपये की कटौती कर आंकडों के साथ खेल किया गया है.’’ ‘‘ उन्होंने अंतरिम बजट में फर्जीवाडा किया और अगली सरकार उनके झूठ को सामने लाने के लिए एक श्वेतपत्र लाएगी।’’ एक लेख का हवाला देते हुए सिन्हा ने कहा कि वर्ष 1997.98 के बजट में चिदंबरम ने राजकोषीय घाटा जीडीपी के 4.5 प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य तय किया था. जब अगली सरकार ने 1998.99 के लिए बजट पेश किया तो घाटा बढकर 5.8 प्रतिशत पहुंच गया.

उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे तथ्यों के आधार पर चुनौती देने के बजाय चिदंबरम ने व्यक्तिगत तौर पर मुझ पर हमला करने का निर्णय किया. मैं उन्हें याद दिलाना चाहूंगा कि वित्त मंत्रलय में 12 साल पहले खत्म हुआ कार्यकाल मेरा कार्यकाल नहीं था जिस पर वह सवाल खडा करते हैं. आर्थिक मोर्चे पर यह चिदंबरम और मनमोहन सिंह का निष्पादन था जिस पर इस चुनाव में सवाल खडा किया जा रहा है.’’ सिन्हा ने प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) और वस्तु व सेवाकर (जीएसटी) विधेयक पारित नहीं होने के लिए चिदंबरम को जिम्मेदार ठहराया.

उन्होंने कहा, ‘‘ रिकार्ड को सामने रखने के लिए मैंने डीटीसी विधेयक पर वित्त से संबद्ध संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट 9 मार्च, 2011 को लोकसभा अध्यक्ष को सौंप दी थी. यदि संप्रग सरकार अपने विचार को अंतिम रुप देने में विफल रही तो यह उनकी गलती है मेरी नहीं.’’

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