Supreme Court : बड़े केसों की सुनवाई के लिए CJI ने गठित की पांच जजों की पीठ, PC करने वाले जज शामिल नहीं
नयी दिल्ली : कल ऐसा दावा किया गया था कि सुप्रीम कोर्ट में जारी संकट का हल निकाल लिया गया है, लेकिन आज फिर इस मामले में नया मोड़ तब आया जब यह खबर आयी कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने अपने नेतृत्व में पांच जजों की एक संविधान पीठ गठित की है, जो तमाम […]
नयी दिल्ली : कल ऐसा दावा किया गया था कि सुप्रीम कोर्ट में जारी संकट का हल निकाल लिया गया है, लेकिन आज फिर इस मामले में नया मोड़ तब आया जब यह खबर आयी कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने अपने नेतृत्व में पांच जजों की एक संविधान पीठ गठित की है, जो तमाम बड़े केसों की सुनवाई करेगी. ध्यान देने वाली बात यह है कि दीपक मिश्रा के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले किसी भी जज को इस पीठ में शामिल नहीं किया है.
CJI Dipak Misra has set up a 5-judge constitution bench under him to hear several major cases, the bench doesn't include the four judges who had held a press conference. (file pic) #SupremeCourt pic.twitter.com/mTkSISHuMC
— ANI (@ANI) January 16, 2018
गौरतलब है कि कल अटॉर्नी जनरल (एजी) और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने दावा किया कि शीर्ष न्यायालय में पैदा हुआ संकट ‘‘आंतरिक’ तौर पर सुलझा लिया गया है और चारों बागी न्यायाधीश पहले की तरह सामान्य तरीके से काम पर लौट आये हैं.
बीसीआई के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने कहा, ‘‘कहानी खत्म हो गयी.’ गौरतलब है कि बीते शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय के चार न्यायाधीशों – न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर, रंजन गोगोई, मदन बी लोकुर और कुरियन जोसेफ – ने अभूतपूर्व तरीके से एक प्रेस कांफ्रेंस कर भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा पर सरेआम हमला बोला था.
सात सदस्यों वाले एक प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई करने वाले और सीजेआई सहित 15 न्यायाधीशों के साथ कल बातचीत करने वाले मनन कुमार मिश्रा ने एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि चारों शीर्ष न्यायाधीशों ने मतभेद सुलझा लिये हैं और वे न्यायालय के कामकाज में हिस्सा ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि चार बागी न्यायाधीशों की ओर से उठाए गए मुद्दे ‘‘परिवार के आंतरिक मुद्दे’ हैं, जिन्हें आंतरिक तौर पर सुलझा लिया गया है. अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने भी कहा कि ‘‘सब कुछ सुलझ गया है.’ उन्होंने इस संकट को ‘‘महत्वहीन मुद्दे पर अनावश्यक गुस्सा और चिंता’ करार दिया.