नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में कथित न्यायेतर हत्याओं और फर्जी मुठभेड़ों के मामलों में अपेक्षित संख्या में प्राथमिकी दर्ज नहीं करने पर मंगलवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो के विशेष जांच दल (एसआर्इटी) को कड़ी फटकार लगायी. आरोप है कि सेना, असम राइफल्स ओर पुलिस ने सशस्त्र घुसपैठ से प्रभावित इस राज्य में इस तरह की वारदात कीं. न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति उदय यू ललित की पीठ ने विशेष जांच दल को इन मामलों में 30 और प्राथमिकी 30 जनवरी तक दर्ज करने का निर्देश दिया.
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पिछली सुनवार्इ में एसआर्इटी ने अदालत को दिया था यह जवाब
इससे पहले, एसआर्इटी ने पीठ को सूचित किया था कि उसने अभी तक 12 प्राथमिकी दर्ज की हैं. पीठ ने जांच दल को निर्देश दिया कि जिन 12 मामलों में अब तक प्राथमिकी दर्ज की गयी है, उनकी जांच का काम इस साल 28 फरवरी तक पूरा करके अदालत में अंतिम रिपोर्ट दाखिल की जाये. एसआर्इटी की प्रथम स्थिति रिपोर्ट को देखने के बाद पीठ ने उससे अनेक तीखे सवाल पूछे. पीठ ने जानना चाहा कि पिछले साल 14 जुलाई के आदेश के बावजूद अभी तक सारी प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं की गयीं.
सीबीआर्इ निदेशक की मंजूरी के बिना अदालत में पेश नहीं होगी स्टेटस रिपोर्ट
अदालत ने निर्देश दिया कि एसआर्इटी द्वारा उसके समक्ष अब दाखिल की जाने वाली सारी स्थिति रिपोर्ट को सीबीआई के निदेशक की स्वीकृति होनी चाहिए. शीर्ष अदालत ने जांच ब्यूरो के निदेशक से कहा कि वह जांच की प्रगति की निगरानी करें. अदालत ने इसके साथ ही इस मामले की सुनवाई 12 मार्च के लिए स्थगित कर दी. अदालत ने इससे पहले कहा था कि ऐसा लगता है कि मणिपुर में कथित फर्जी मुठभेड़ों से संबंधित मामलों की जांच को एसआर्इटी गंभीरता से नहीं ले रहा है.
पिछले साल 12 जुलार्इ को आयोजित की गयी थी एसआर्इटी
अदालत ने पिछले साल 12 जुलाई को इन मामलों की जांच के लिए एसआर्इटी गठित किया था. इसमें सीबीआई के पांच अधिकारियों को शामिल किया गया था. अदालत ने मणिपुर मे न्यायेतर हत्याओं के मामलों में प्राथमिकी दर्ज करने और इनकी जांच का आदेश दिया था. न्यायालय इस राज्य में 1528 न्यायेतर हत्याओं की जांच के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान पिछले साल जुलाई में 81 प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था.
इन मामलों में मुआवजा दे चुका है मानवाधिकार आयोग
इन मामलों में 32 मामले जांच आयोग, 32 मामले न्यायिक आयोग और हार्इकोर्ट की जांच, 11 मामलों में मानवाधिकार आयोग मुआवजा दे चुका है और छह मामलों में शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति संतोष हेगडे की अध्यक्षता वाले आयोग ने जांच की थी, शामिल हैं.