जज लोया केस की सुनवाई अब देश के किसी हाईकोर्ट में नहीं होगी, जानें क्यों?
नयी दिल्ली : सीबीआई जज बीएच लोया की संदिग्ध मौत के मामले की सुनवाई अब देश के किसी हाईकोर्ट में नहीं होगी. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने सोमवार को यह आदेश दिया. चीफ जस्टिस ने जज लोया की मौत के मामले में किसी भी याचिका पर सुनवाई करने से सभी उच्च न्यायालयों को मना कर […]
नयी दिल्ली : सीबीआई जज बीएच लोया की संदिग्ध मौत के मामले की सुनवाई अब देश के किसी हाईकोर्ट में नहीं होगी. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने सोमवार को यह आदेश दिया. चीफ जस्टिस ने जज लोया की मौत के मामले में किसी भी याचिका पर सुनवाई करने से सभी उच्च न्यायालयों को मना कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों से कहा कि वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष अमित शाह पर आक्षेप नहीं लगायें, क्योंकि वह इस मामले में पक्षकार नहीं हैं.
याचिकाओं में उठाये गये मुद्दों को सुप्रीम कोर्ट ने ‘गंभीर’ बताया. कहा, ‘हमें सभी दस्तावेज बहुत ही गंभीरता से देखने होंगे.’ चीफ जस्टिस ने कहा, ‘आज की स्थिति के अनुसार यह स्वाभाविक मौत है, आक्षेप नहीं लगायें, हम दो फरवरी को दस्तावेजों का परीक्षण करेंगे.’ सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षकारों से कहा कि वह लोया मामले में ऐसे दस्तावेज एकत्र करें, जिन्हें अभी तक जमा नहीं किया गया है और उन्हें कर्ट को सौंपें.
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सुप्रीमकोर्ट ने सीबीआई के विशेष न्यायाधीश बीएच लोया की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत से जुड़ी बंबई हाईकोर्ट की दो याचिकाओं को अपने पास मंगवा लिया. इस संबंध में एक वरिष्ठ महिलावकील के यह कहने पर कि सुप्रीम कोर्ट मीडिया की आवाज दबा रहा है, भारत के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा नाराज हो गये. उन्होंने महिला वकील से अपना बयान वापस लेने और माफी मांगने के लिए कहा.
महाराष्ट्र सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने घटना की पूरी जानकारी दी. वहीं, याचिकाकर्ता की ओर से दुष्यंत दवे ने साल्वे का विरोध किया. उन्होंने कहा कि साल्वे अमित शाह के बचाव में कोर्ट में पेश हुए थे. अब वे महाराष्ट्र सरकार की ओर से केस लड़ रहे हैं. इससे संस्थान की छवि धूमिल हो रही है. कोर्ट को इसे रोकना चाहिए.