भाजपा से नाता तोड़कर अगला लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेगी शिवसेना, विपक्ष ने उड़ायी खिल्ली

मुंबई : शिवसेना ने मंगलवारको एलान किया कि वह भाजपा से गठबंधन नहीं करेगी और 2019 का लोकसभा चुनाव एवं महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी. हालांकि, केंद्र एवं महाराष्ट्र की सरकारों में अपने बने रहने पर शिवसेना ने चुप्पी साध ली. वहीं, विपक्षी कांग्रेस ने शिवसेना के इस एलान को ‘हास्यास्पद’ करार दिया. नोटबंदी, जीएसटी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 23, 2018 9:59 PM

मुंबई : शिवसेना ने मंगलवारको एलान किया कि वह भाजपा से गठबंधन नहीं करेगी और 2019 का लोकसभा चुनाव एवं महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी. हालांकि, केंद्र एवं महाराष्ट्र की सरकारों में अपने बने रहने पर शिवसेना ने चुप्पी साध ली. वहीं, विपक्षी कांग्रेस ने शिवसेना के इस एलान को ‘हास्यास्पद’ करार दिया.

नोटबंदी, जीएसटी और पाकिस्तान की ओर से सीमा पार से किये जानेवाले हमलों के मुद्दे पर केंद्र एवं महाराष्ट्र में भाजपा की अगुवाईवाली सरकारों को लगातार आड़े हाथ लेती रही शिवसेना ने यह भी कहा कि अब वह महाराष्ट्र से बाहर भी चुनाव लड़ेगी. मंगलवारको फिर से शिवसेना अध्यक्ष चुने गये उद्धव ठाकरे ने कहा कि हिंदू वोटों को एकजुट रखने के लिए उनकी पार्टी ने अब तक राज्य से बाहर चुनाव नहीं लड़ा है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. उद्धव ने कहा कि पार्टी ने यह सुनिश्चित करने के लिए दूसरे राज्यों में चुनाव नहीं लड़ा कि हिंदू वोट बंटने न पाये, लेकिन भविष्य में पार्टी सभी विधानसभा चुनाव लड़ेगी, चाहे नतीजा कुछ भी आये.

शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी सांसद संजय राउत की ओर से पेश किये गये प्रस्ताव में कहा गया कि पार्टी भाजपा से नाता तोड़ कर अगले साल होनेवाले चुनाव अकेले लड़ेगी. प्रस्ताव पेश करते हुए राउत ने कहा, ‘2019 में लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव अपने दम पर लड़ने को लेकर मैं शिवसेना के लिए प्रस्ताव पेश करता हूं.’ राउत ने कहा, ‘हिंदुत्व के नाम पर भाजपा ने शिवसेना से गठबंधन किया और शिवसेना ने हिंदुत्व की खातिर धैर्य बनाये रखा. बहरहाल, भाजपा पिछले तीन साल से शिवसेना का मनोबल तोड़ रही है और इसके लिए ताकत का इस्तेमाल कर रही है.’

इस बीच, विपक्षी कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने 2019 का लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने की शिवसेना की घोषणा का मजाक उड़ाया और सवाल किया कि वह अब भी भाजपा की अगुवाईवाली सरकारों का हिस्सा क्यों बनी हुई है. महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने शिवसेना के निर्णय को ‘हास्यास्पद’ और ‘अतार्किक’ बताया. उन्होंने कहा, ‘शिवसेना सरकार की सहयोगी बनी हुई है और इसकी नीतियों की आलोचना कर रही है. पार्टी ने सरकार से बाहर होने की घोषणा का शतक पूरा कर लिया है, लेकिन अब तक ऐसा नहीं किया है. लोग शिवसेना को गंभीरता से नहीं लेते हैं.’

एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने शिवसेना से भाजपा की अगुवाईवाली राज्य सरकार से समर्थन वापस लेने और मध्यावधि चुनाव का सामना करने की मांग की. उन्होंने कहा, ‘हम चुनाव के लिए तैयार हैं.’ मलिक ने आरोप लगाया कि अपनी पार्टी में तोड़फोड़ का डर शिवसेना को सरकार से बाहर निकालने से रोक रहा है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ने उग्रवाद प्रभावित जम्मू-कश्मीर पर ध्यान देने की बजाय इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ पतंग उड़ाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा. उद्धव ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार सिर्फ विज्ञापनों पर पैसे खर्च कर रही है. उन्होंने कहा कि ऐसी सरकार को सत्ता से बेदखल कर देना चाहिए.

शिवसेना प्रमुख ने कहा, ‘आपको इस्राइली प्रधानमंत्री को अहमदाबाद क्यों ले जाना पड़ा? इससे क्या उद्देश्य पूरा हुआ? यदि आप उन्हें श्रीनगर ले गये होते और वहां तिरंगा फहराया होता या लाल चौक ले जाकर वहां तिरंगा फहराया होता तो देश को आप पर गर्व होता.’ उन्होंने कहा कि यह सरकार विज्ञापनों पर धन खर्च करती है, लेकिन योजनाएं लागू कराने के लिए कुछ नहीं करती और ऐसा करने के लिए उसे सत्ता से बेदखल कर देना चाहिए. उद्धव ने कहा, ‘यदि गाय को मारना अपराध है और इस पर पाबंदी है तो सत्ता के लिए झूठ बोलने को भी पाप माना जाना चाहिए और इस पर रोक लगनी चाहिए.’

शिवसेना प्रमुख ने पाकिस्तान का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा, ‘आज हम नहीं जानते कि देश आगे जा रहा है या पीछे. देश में माहौल ऐसा है कि पाकिस्तान चुनावी मुद्दा बन गया है. गुजरात चुनाव में भी पड़ोसी देश को मुद्दा बनाया गया. दोनों के बीच कोई रिश्ता ही नहीं है.’ उद्धव ने कहा कि हालात ऐसे बन गये कि पाकिस्तान को औपचारिक तौर पर भारत से कहना पड़ा कि वह अपने अंदरूनी मसलों में उसे नहीं घसीटे. गौरतलब है कि गुजरात चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान मोदी ने आरोप लगाया था कि पाकिस्तान विधानसभा चुनाव के नतीजे प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है.

शिवसेना प्रमुख के मुताबिक, मोदी की ओर से ‘अच्छे दिन’ के वादे करने के बाद भी हर रोज सैनिक कुर्बानी दे रहे हैं और क्षत-विक्षत शव उनके घर ले जाकर उनका अंतिम-संस्कार किया जा रहा है. उद्धव ने कहा, ‘बहरहाल, हम हर बार पाकिस्तान को सिखाने की बातें करते हैं. एक बार जुबानी जुगाली की बजाय ठोस कार्रवाई करनी चाहिए.’ उन्होंने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को उस टिप्पणी के लिए उन्हें भी आड़े हाथों लिया जिसमें उन्होंने 11 जनवरी को कथित तौर पर कहा था कि दक्षिण मुंबई में आवासीय सुविधा के लिए नौसेना को ‘एक भी इंच जमीन नहीं दी जायेगी.’ उद्धव ने कहा कि यदि गडकरी नौसेना की मांग नहीं स्वीकार करना चाहते, तो भाजपा को सर्जिकल स्ट्राइक का भी श्रेय नहीं लेना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘यदि आप कहते हैं कि आप सरकार हैं और सेना के जवानों को मांग करने की बजाय सीमा पर जाना चाहिए, तो आप सर्जिकल स्ट्राइक का श्रेय क्यों ले रहे हैं? क्या आप उस वक्त सीमा पर गये थे? लोग कह रहे हैं कि आप घोटाले करके सत्ता में आये हैं. सेना के पास सिर्फ 56 इंच का सीना नहीं, बल्कि साहस भी है.’

दूसरी ओर, भाजपा ने प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने के शिवसेना के फैसले का नुकसान उद्धव ठाकरे की अगुवाईवाली पार्टी को ही होगा. भाजपा की मुंबई इकाई के प्रमुख आशीष शेलार ने कहा, ‘इससे उनका नुकसान होगा.’ शेलार ने कहा, ‘हम गठबंधन को लेकर गंभीर थे. लेकिन यदि शिवसेना गंभीर नहीं है, तो भाजपा (अकेले लड़ने के लिए तैयार है) और महाराष्ट्र भी तैयार है.’

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