17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

लगातार टूट रही है नक्सलियों की कमर, जंगल में घुसकर मार रहे हैं सुरक्षाकर्मी

नयी दिल्ली : नक्सलवाद से निपटने की नयी रणनीति कारगर सिद्ध हो रही है. नक्सल हिंसा से प्रभावित जिलों की संख्या में काफी गिरावट दर्ज की गयी है. 2015 की बात करें तो इस वर्ष जहां 75 जिले नक्सलवाद से प्रभावित थे, वहीं अब इसकी संख्या कम होकर 58 रह गयी है. माओवादी विरोधी नयी […]

नयी दिल्ली : नक्सलवाद से निपटने की नयी रणनीति कारगर सिद्ध हो रही है. नक्सल हिंसा से प्रभावित जिलों की संख्या में काफी गिरावट दर्ज की गयी है. 2015 की बात करें तो इस वर्ष जहां 75 जिले नक्सलवाद से प्रभावित थे, वहीं अब इसकी संख्या कम होकर 58 रह गयी है. माओवादी विरोधी नयी रणनीति में खुफिया सूचना एकत्रित करने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है जैसे ड्रोन का सहारा… सुरक्षाकर्मी भी दिन-रात ऑपरेशंस में शामिल हैं. इस रणनीति की मदद से जंगल के काफी अंदर तक माओवादियों को निशाना बनाने का काम किया जा रहा है जिसमें सफलता भी मिल रही है.

नक्सलवाद का खत्म हो रहा खौफ, झारखंड में करीब 400 फीसदी बढ़े अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक

सीआरपीएफ द्वारा एकत्रित किये गये नये आंकड़े से जानकारी मिली है कि 2015 से माओवादी हिंसाग्रस्त जिलों की संख्या में काफी गिरावट आयी है. 90 फीसदी माओवादी हमले सिर्फ चार राज्यों बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा में देखने को मिलते हैं. अधिकारियों ने इस सफलता का श्रेय नयी रणनीति को दिया है जिसमें सटीक खुफिया सूचना के आधार पर माओवादी नेताओं और उनके मुखबिरों को निशाना बनाना शामिल है.

नक्सलवाद की विचारधारा से दूर हुए झारखंड के नक्सली, पैसे के लिए बन गये ‘कांट्रैक्ट किलर’!

अधिकारियों ने जानकारी दी कि सीआरपीएफ, आईएएफ, बीएसएफ और आईटीबीपी एवं राज्य पुलिस के द्वारा अधिक संयुक्त ऑपरेशंस को अंजाम दिया जा रहा है. ऑपरेशंस तो चल ही रहे हैं साथ-साथ प्रशासन विकास कार्यों की रफ्तार भी बढ़ाने पर जोर दिया हुआ है. दूर-दराज के गांवों में पुलिस स्टेशनों की स्थापना के अलावा मोबाइल फोन टावर लगाने और सड़कों के निर्माण के काम को तेज किया गया है.

इस संबंध में सीआरपीएफ के निदेशक जनरल राजीव राय भटनागर ने अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बात की और बताया कि पिछले साल हमने नक्सलियों को उनके गढ़ में निशाना बनाया है. राज्य पुलिस, खुफिया एजेंसियों और सशस्त्र बलों के साथ हमारा तालमेल बहुत अच्छा रहा है. निशाने पर नक्सली लीडर्स, ओवर ग्राउंड ऑपरेटिव्स और उनके समर्थको को लिया गया है. नक्सली एक जगह से दूसरी जगह अपने हथियार, फंड्स और अपने सीनियर लीडर्स को शिफ्ट करने में नाकाम हो रहे हैं जिससे उनकी कमर टूट रही है.

नक्सलवाद के पांच दशक: देश के 223 जिले प्रभावित, पहले भी हो चुके हैं कई बड़े हमले

उन्होंने बताया कि अब नक्सलियों का प्रभाव सिर्फ तीन क्षेत्रों बस्तर-सुकमा, एओबी (आंध्र-ओडिशा सीमा) और अबुजमाद वन क्षेत्र तक सीमित रह गया है. भटनागर ने आगे कहा कि इन इलाकों में प्रशासन घुसने में पूरी तरह कामयाब नहीं रहा है. 2017 में 150 से ज्यादा माओवादी कैडर्स मौत के घाट उतारे जा चुके हैं. आपको बता दें कि पिछले साल सुकमा में 25 सीआरपीएफ जवानों की हत्या के बाद मई में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मुलाकात की थी जिसके बाद माओवादियों से निपटने की रणनीति में बदलाव किया गया था.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें