ऐतिहासिक समेलन के लिए आसियान देशों के नेता भारत पहुंचे, गणतंत्र दिवस समारोह में होंगे मुख्य अतिथि
नयी दिल्ली : वियतनाम के प्रधानमंत्री न्गुण्न शुआन फुक, म्यांमार की नेता आंग सान सूकी तथा सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सिएन लूंग भारत आसियान शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए बुधवार को यहां पहुंचे. ये नेता राजधानी में इस ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन के एक दिन पहले यहां पहुंचे हैं. यह एक अभूतपूर्व कार्यक्रम होगा. […]
नयी दिल्ली : वियतनाम के प्रधानमंत्री न्गुण्न शुआन फुक, म्यांमार की नेता आंग सान सूकी तथा सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सिएन लूंग भारत आसियान शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए बुधवार को यहां पहुंचे. ये नेता राजधानी में इस ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन के एक दिन पहले यहां पहुंचे हैं. यह एक अभूतपूर्व कार्यक्रम होगा. इसमें भाग लेनेवाले 10 आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्ष/शासनाध्यक्ष गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि भी होंगे.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कई ट्वीट के जरिये आसियान नेताओं के पहुंचने की जानकारी दी. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘आसियान-भारत स्मारक शिखर सम्मेलन में भारत वियतनाम के प्रधानमंत्री न्गुएन शुआन फुक और उनकी पत्नी सुश्री त्रान न्गुएन थू का स्वागत करता है. मानव संसाधन विकास राज्यमंत्र सत्यपाल सिंह ने उनकी आगवानी की.’ आंग सान सूकी का राजधानी पहुंचने पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने स्वागत किया. थाईलैंड के प्रधानमंत्री जनरल प्रयुत चान-ओ-चा और उनकी पत्नी नारापोर्न चान-ओ-चा का स्वागत में विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह ने किया. फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुर्तेते की भी आगवानी सत्यपाल सिंह ने की.
भारत-आसियान स्मारक शिखर सम्मेलन भारत-आसियान संबंधों के 25 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित किया गया है. यह सम्मेलन ऐसे समय हो रहा है जब क्षेत्र में चीन की आर्थिक और सैन्य दखल बढ़ रहा है. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह सम्मेलन भारत के लिए व्यापार एवं संपर्क के रणनीतिक क्षेत्रों में एक शक्तिशाली सहयोगी के रूप में खुद को पेश करने का एक अवसर हो सकता है. कार्यक्रम के दौरान सैर-सपाटे के दौरान 25 जनवरी को नेताओं की खुले रूप से चर्चा होगी. इसका विषय समुद्री सहयोग और सुरक्षा है. इसके बाद उसी दिन पूर्ण सत्र का आयोजन होगा. आसियान देशों में थाईलैंड, वियतनाम, इंडोनेशिया, मलयेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, म्यांमार, कंबोडिया, लाओस तथा ब्रुनेई शामिल हैं.