पद्मावत विवाद: सुप्रीम कोर्ट में 4 राज्यों, करणी सेना के खिलाफ अवमानना की अर्जी, सोमवार को सुनवाई

नयी दिल्ली : ‘पद्मावत’ फिल्म को पूरे देश में रिलीज करने संबंधी अपने आदेश का उल्लंघन करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट चार राज्यों की सरकारों और श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की मांग करने वाली दो अलग अलग याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई करेगा. कांग्रेस समर्थक तहसीन पूनावाला ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 25, 2018 1:46 PM

नयी दिल्ली : ‘पद्मावत’ फिल्म को पूरे देश में रिलीज करने संबंधी अपने आदेश का उल्लंघन करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट चार राज्यों की सरकारों और श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की मांग करने वाली दो अलग अलग याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई करेगा. कांग्रेस समर्थक तहसीन पूनावाला ने विवादों में घिरी बॉलीवुड फिल्म ‘पद्मावत’ की रिलीज का विरोध कर रही भीड़ को काबू करने में कथित रूप से नाकाम रहने को लेकर राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और मध्य प्रदेश की सरकारों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करने की मांग करते हुए याचिका दायर की है.

वकील विनीत ढांडा ने कई राज्यों में फिल्म का कथित हिंसक विरोध करने को लेकर करणी सेना और इसके पदाधिकारियों के खिलाफ भी अवमानना कार्रवाई की मांग करती हुई ऐसी की पृथक याचिका दायर की है. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा, ‘‘सभी ताजा याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई होगी.” दोनों याचिकाओं में शीर्ष अदालत के विभिन्न आदेशों का जिक्र किया गया है जिनमें उसने पूरे भारत में फिल्म के प्रदर्शन को मंजूरी देते हुए कहा था कि कानून-व्यवस्था बनाये रखना राज्य सरकारों का दायित्व है. शुरूआत में कोर्ट ने पद्मावत की रिलीज पर रोक लगाने की मांग करने वाली कई याचिकाओं को विभिन्न आधारों पर खारिज कर दिया था. कुछ राज्यों द्वारा फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाये जाने के बाद इसके निर्माताओं ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इस फिल्म में दीपिका पदुकोण, शाहिद कपूर और रणवीर सिंह मुख्य भूमिका निभा रहे हैं.

कोर्ट ने 18 जनवरी को सुनाये अपने आदेश में प्रतिबंधों को दरकिनार कर दिया था और फिल्म को 25 जनवरी यानी आज पूरे भारत में रिलीज किये जाने का रास्ता साफ करते हुए अन्य राज्यों को भी प्रतिबंध लगाने से रोक दिया था. कोर्ट ने राजस्थान और मध्य प्रदेश सरकार की ओर से इस संबंध में दायर याचिकाओं को 23 जनवरी को खारिज करते हुए अपने 18 जनवरी के आदेश में संशोधन करने से इनकार कर दिया था.

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