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जानें कौन हैं पद्मश्री पुरस्कार पाने वाली आदिवासी महिला लक्ष्मीकुट्टी

नयी दिल्ली : सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट और असाधारण उपलब्धियों के लिए पद्म पुरस्कारों की घोषणा गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर की. जिन व्यक्तियों को पद्म पुरस्कार के लिए चुना गया है उनमें से कुछ का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है: 1. एम आर राजगोपाल (पद्मश्री) : इन्हें भारत में ‘पैलिएटिव केयर’ […]

नयी दिल्ली : सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट और असाधारण उपलब्धियों के लिए पद्म पुरस्कारों की घोषणा गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर की. जिन व्यक्तियों को पद्म पुरस्कार के लिए चुना गया है उनमें से कुछ का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है:

1. एम आर राजगोपाल (पद्मश्री) : इन्हें भारत में ‘पैलिएटिव केयर’ का जनक माना जाता है. ‘पैलिएटिव केयर’ का इस्तेमाल गंभीर रूप से बीमार मरीजों में दर्द कम करने के लिए किया जाता है. राजगोपाल को नवजात बच्चों की सर्जरी में विशेषज्ञता के लिए भी जाना जाता है. उन्होंने 1980 के दशक में नवजात बच्चों की सर्जरी के बाद होने वाली मौतों की संख्या 75 प्रतिशत से कम करके 28 प्रतिशत पर लाने के लिए काम किया. उन्होंने सुरक्षित एनेस्थेसिया प्रक्रिया शुरू की.

2. अरविंद गुप्ता (पद्मश्री) : इन्होंने छात्रों की कई पीढ़ियों को बेकार पड़े सामान से सीखने के लिए प्रेरित किया. गुप्ता घरों में इस्तेमाल होने वाली सामान्य चीजों और कचरे का इस्तेमाल वैज्ञानिक प्रयोगों के ब्लाक बनाने के लिए करते हैं. गत चार दशक के दौरान उन्होंने तीन हजार स्कूलों का दौरा किया, खिलौने निर्माण से संबंधित 6200 लघु फिल्में 18 भाषाओं में बनायी. उन्होंने दूरदर्शन पर प्रसारित लोकप्रिय कार्यक्रम ‘तरंग’ की मेजबानी की.
3. सुधांशु बिस्वास (पद्मश्री) : 99 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने अपना जीवन गरीबों की सेवा के लिए समर्पित कर दिया. बिस्वास पश्चिम बंगाल में स्कूल, अनाथालय और डिस्पेंसरी चलाते हैं. पश्चिम बंगाल के सुंदरबन स्थित श्री रामकृष्ण सेवाश्रम के संस्थापक हैं.
4. भज्जू श्याम (पद्मश्री) : अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त गोंड कलाकार हैं, जो मध्य प्रदेश की पारंपरिक आदिवासी पेंटिंग शैली है। श्याम को यूरोप में जीवन को गोंड पेंटिग के जरिये चित्रित करने के लिए जाना जाता है. श्याम का जन्म एक गरीब आदिवासी परिवार में हुआ था. वह आजीविका के लिए रात्रि सुरक्षा गार्ड और इलेक्ट्रिशियन के तौर पर काम करते रहे.
5. लक्ष्मीकुट्टी (पद्मश्री) : आदिवासी महिला जो अपनी स्मृति का इस्तेमाल करते हुए जड़ी बूटी से 500 दवाएं तैयार कर चुकी हैं. वह हजारों लोगों की मदद करती हैं, विशेष तौर पर सांप और कीड़ों के काटने के मामलों में. लक्ष्मीकुट्टी दक्षिण भारत के राज्यों में विभिन्न संस्थानों में प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति पर व्याख्यान देती हैं.
6. संदुक रूइत (पद्मश्री) : नेत्ररोग विशेषज्ञ जिनकी नयी खोज ने मोतियाबिंद की सर्जरी पर होने वाले खर्च में 90 प्रतिशत कमी लाने का काम किया. वह मोतियाबिंद की सर्जरी में इस्तेमाल होने वाले कम कीमत के लेंस 30 से अधिक देशों को निर्यात करते हैं. वह प्रति सप्ताह 2500 मरीजों का इलाज करते हैं और ऐसे मरीजों की फीस माफ कर दी जाती हैं जो इसे देने में समर्थ नहीं हैं.
7. सम्पत रामटेके (पद्मश्री) : रामटेके ने 1991 में सिकल सेल बीमारी के बारे में जागरूकता अभियान चलाया. कोई चिकित्सकीय पृष्ठभूमि नहीं होने के बावजूद उन्होंने इस बीमारी के बारे में जानकारी जुटायी और समय के साथ इसके विशेषज्ञ बन गए.
8. रोमुलुस विटेकर (पद्मश्री) : वन्यजीव संरक्षक और सरीसृप विज्ञानवेत्ता जो कि अंडमान निकोबार और तमिलनाडु में जैव विविधता के संरक्षण के लिए काम करते हैं. 9. लेंटीना ए ठक्कर (पद्मश्री) : स्थानीय रूप से इन्हें उत्सू :दादी: के तौर पर जाना जाता है. ये गांधीवादी हैं जिन्होंने नगालैंड स्थित चुचुइमलांग गांव में गांधी आश्रम में दशकों तक सेवा की. वह अपने गांव की पहली महिला हैं जिन्होंने कक्षा सातवीं तक की पढ़ाई की.

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