नयी दिल्ली : लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने संसद के बजट सत्र की पूर्व संध्या पर रविवार को सदन में सभी राजनीतिक दलों के नेताओं की एक बैठक बुलायी है. बजट सत्र में तीन तलाक विधेयक समेत विभिन्न मुद्दों पर सरकार और विपक्ष के बीच टकराव होने की आशंका है. सरकार ने भी रविवार को ऐसी बैठक बुलायी है, जहां प्रधानमंत्री और शीर्ष विपक्षी नेता उन मुद्दों पर अपनी बात रख सकते हैं, जो सदन में उठाये जा सकते हैं.
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29 जनवरी से 9 नौ फरवरी तक चलेगा बजट सत्र का पहला चरण
बजट सत्र का पहला चरण 29 जनवरी से 9 फरवरी तक चलेगा. इस दौरान सरकार 29 जनवरी को आर्थिक सर्वेक्षण पेश करेगी और फिर एक फरवरी को केंद्रीय बजट पेश किया जायेगा. लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के साथ सत्र शुरू होगा.
बजट के पहले सत्र में पिछड़े और कमजोर तबके के विकास पर होगा राष्ट्रपति का जोर
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि संसद में अपने पहले ऐसे अभिभाषण में कोविंद लोगों खासकर पिछड़े और कमजोर तबकों के विकास एवं सशक्तीकरण पर सरकार द्वारा बल दिये जाने को रेखांकित कर सकते हैं. वर्ष 2019 के अगले लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा नीत एनडीए सरकार द्वारा यह आखिरी पूर्ण बजट पेश किये जाने के मद्देनजर ऐसी संभावना है कि इसमें दृढ़ राजनीतिक झलक दिखेगी.
पांच मार्च से शुरू होगा बजट सेशन का दूसरा चरण, तीन तलाक को मिल सकता है संवैधानिक दर्जा
नौ फरवरी के बाद मध्यावधि अवकाश के बाद फिर पांच मार्च को संसद के बजट सत्र का दूसरा सत्र प्रारंभ होगा जो छह अप्रैल तक चलेगा. संभावना है कि इस दौरान सरकार तीन तलाक पर संबंधित कानून तथा अन्य पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा देने से संबंधित विधेयक को पारित कराने की पुरजोर कोशिश कर सकती है. इन दोनों ही विधेयकों का भाजपा के लिए राजनीतिक रूप से काफी महत्व है.
तीन तलाक को लेकर काफी मुखर है भाजपा
भाजपा तीन तलाक को खत्म करने के लिए काफी मुखर है. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में तीन तलाक को अमान्य करार दिया था. लोकसभा ने तीन तलाक के मामले में दोषी मुस्लिम व्यक्तियों के लिए कैद की सजा के प्रावधान वाले विधेयक को पारित कर दिया था, लेकिन राज्यसभा में एकजुट विपक्ष ने उसमें अड़ंगा लगा दिया.
अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने पर होगा जोर
राज्यसभा में सरकार अल्पमत में है. भाजपा अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा प्रदान कर पिछड़े वर्गों के बीच अपना समर्थन मजबूत करने की आस कर रही है. संवैधानिक दर्जा मिलने से यह आयोग और मजबूत हो जायेगा.