नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीने नौ से 12 फरवरी तक फिलिस्तीन, संयुक्त अरब अमीरात और ओमान की यात्रा पर जायेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिलिस्तीन की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री होंगे. 1988 में फिलिस्तीन को मान्यता देने वालों देशों में भारत का नाम अग्रणी था.उनकीफिलिस्तीन यात्राको बहुतअहम माना जारहाहै और यह भारतकीबिना किसी अन्य देश से प्रभावित हुए वैश्विककूटनीतिका सूचक है.
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क्यों अहम हैं फिलिस्तीन की यह यात्रा?
इस्त्राइल और फिलिस्तीन के रिश्ते बहुत खराब हैं. जबकि भारत के दोनों देशों से अच्छे रिश्ते हैं. हाल में अमेरिका ने जब येरूशलम को अगले वर्ष से इस्त्राइल की राजधानी की मान्यता देने का एलान किया तो भारत ने भी इससे असहमति जतायी थी और संयुक्त राष्ट्र संघ में ज्यादातर देशों के खिलाफ इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट किया था. कुछदिन पूर्व जब इस्त्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भारत के दौरे पर आये थे तब उन्होंने भारत के साथ अपने अच्छे रिश्तों को बनाये रखने का संकेत यह कह कर दिया था कि संयुक्त राष्ट्र संघ में एक वोट से हमारे रिश्तों पर फर्क नहीं पड़ता है. येरूशलम यहूदी, ईसाई और इस्लाम तीनों धर्मों की पवित्र नगरी है और इस पर अधिकार को लेकर दोनों देशों में गंभीर मतभेद हैं. पूर्वी येरूशलम फिलिस्तीन की भी राजधानी है.
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ओमान की भी पहली यात्रा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओमान की भी यह पहली यात्रा होगी. हालांकि संयुक्त अरब अमीरात की यह उनकी दूसरी यात्रा होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीनों देशों के साथ अपने द्विपक्षीय हितों के मुद्दों पर बात करेंगे. प्रधानमंत्री इस यात्रा के दौरान दुबई में आयोजित छठे विश्व सरकार शिखर सम्मेलन को भी संबोधित करेंगे. वे उमान और संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय समुदाय के लोगों से भी मुलाकात करेंगे.
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