14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

”आफ्सपा” हटाने या उसके प्रावधानों को हल्का बनाने को लेकर सेना प्रमुख ने दिया बड़ा बयान

नयी दिल्ली : सेना प्रमुख बिपिन रावत ने कहा है कि सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (आफ्सपा) पर किसी पुनर्विचार या इसके प्रावधानों को हल्का बनाने का समय नहीं आया है. उन्होंने कहा कि भारतीय सेना गड़बड़ी वाले जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में काम करते समय मानवाधिकारों की रक्षा के लिए पर्याप्त सावधानी बरती रही है. रावत […]

नयी दिल्ली : सेना प्रमुख बिपिन रावत ने कहा है कि सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (आफ्सपा) पर किसी पुनर्विचार या इसके प्रावधानों को हल्का बनाने का समय नहीं आया है. उन्होंने कहा कि भारतीय सेना गड़बड़ी वाले जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में काम करते समय मानवाधिकारों की रक्षा के लिए पर्याप्त सावधानी बरती रही है.

रावत की टिप्पणियां काफी महत्व रखती हैं क्योंकि ये इन खबरों के मद्देनजर आयी हैं कि आफ्सपा के ‘कुछ प्रावधानों को हटाने या हल्का करने’ पर रक्षा मंत्रालय और गृह मंत्रालय के बीच कई दौर की उच्चस्तरीय चर्चा हुई है. यह कानून गड़बड़ी वाले क्षेत्रों में विभिन्न अभियान चलाते समय सुरक्षाबलों को विशेष अधिकार और छूट प्रदान करता है. जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर में विभिन्न तबकों की ओर से इस कानून को हटाने की लंबे समय से मांग होती रही है.

जनरल रावत ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि इस वक्त आफ्सपा पर पुनर्विचार करने का समय आ गया है.’ उनसे इन खबरों के बारे में पूछा गया था कि सरकार इन राज्यों में आफ्सपा के हल्के स्वरूप की मांग को लेकर समीक्षा कर रही है. सेना प्रमुख ने कहा कि आफ्सपा में कुछ कठोर प्रावधान हैं, लेकिन सेना अधिक नुकसान को लेकर और यह सुनिश्चित करने को लेकर चिंतित रहती है कि कानून के तहत उसके अभियानों से स्थानीय लोगों को असुविधा न हो.
उन्होंने कहा, ‘हम (आफ्सपा के तहत) जितनी कठोर कार्रवाई की जा सकती है, उतनी कठोर कार्रवाई नहीं करते हैं. हम मानवाधिकारों को लेकर काफी चिंतित रहते हैं. हम निश्चित तौर पर अधिक नुकसान को लेकर चिंतित रहते हैं. इसलिए ज्यादा चिंता न करें, क्योंकि हम पर्याप्त कदम और सावधानी बरतते हैं.’ जनरल रावत ने कहा कि सेना के पास यह सुनिश्चित करने के लिए हर स्तर पर कार्य नियम होते हैं कि आफ्सपा के तहत कार्रवाई करते समय लोगों को कोई असुविधा न हो.
उन्होंने कहा, ‘आफ्सपा सक्षम बनाने वाला एक कानून है जो सेना को विशेष तौर पर काफी कठिन क्षेत्रों में काम करने की अनुमति देता है और मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि सेना का काफी अच्छा मानवाधिकार रिकॉर्ड रहा है.’ यह पूछे जाने पर कि जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से निपटने के लिए क्या सेना के तीनों अंगों को शामिल कर संयुक्त दृष्टिकोण अपनाने का समय आ गया है, रावत ने कोई सीधा उत्तर नहीं दिया, लेकिन कहा कि सशस्त्र बलों के पास विभिन्न तरह के अभियान चलाने के लिए ‘विकल्प उपलब्ध’ होते हैं.
उन्होंने कहा, ‘हां विभिन्न तरह के अभियानों को अंजाम देने के लिए हमारे पास विकल्प होते हैं, लेकिन हमारे द्वारा किए जाने वाले अभियानों की प्रकृति की वजह से इन्हें उजागर नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे केवल दूसरा पक्ष सतर्क होगा.’ जनरल रावत ने कहा कि आप अभियान की योजना बनाते हैं तो यह सर्वश्रेष्ठ होता है कि सुरक्षाबल जिस ढंग से अभियान चलाना चाहते हैं, वह उन्हीं पर छोड़ दिया जाए.
जिस ढंग से अभियान किया जाना हो और जिस तरह से उस पर योजना बनानी हो और जिस तरह से उन्हें अंजाम दिया जाना हो, यह कभी उजागर नहीं किया जाता. यह पूछे जाने पर कि जम्मू कश्मीर में सीमा पार आतंकवाद को प्रभावी ढंग से रोकने के लिए क्या बाह्य और आंतरिक खुफिया जानकारी जुटाने के लिए तालमेल की आवश्यकता है, रावत ने कहा कि सशस्त्र बल और अन्य एजेंसियां एक होकर काम करती रही हैं.
सेना प्रमुख ने कहा, ‘इस मोड़ पर खुफिया एजेंसियों के बीच हमारा जिस तरह का सहयोग है, वह काफी उच्च दर्जे का है. आज सभी खुफिया एजेंसियां और सुरक्षाबल एक होकर काम कर रहे हैं. हम सभी के बीच शानदर तालमेल है और मुझे नहीं लगता कि इस समय जो हो रहा है, उससे हम इसे अगले उच्च स्तर पर ले जाएं. मुझे लगता है कि यह सर्वश्रेष्ठ और सही तरीका है.’

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें