बोले पीएम : भ्रष्टाचार से लड़ाई में साथ दें युवा, कभी ताकतवरों को छुआ नहीं जाता था, आज तीन पूर्व मुख्यमंत्री जेल में
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवाओं से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में मदद का आह्वान किया. दिल्ली में रविवार को नेशनल कैडेट कोर की रैली में कहा कि युवा परेड व यूनिफॉर्म तक सीमित नहीं रहें, बल्कि इसके जरिये राष्ट्र की प्रति के अपनी जिम्मेदारी भी समझें. पीएम ने कहा कि पहले लोगों […]
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवाओं से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में मदद का आह्वान किया. दिल्ली में रविवार को नेशनल कैडेट कोर की रैली में कहा कि युवा परेड व यूनिफॉर्म तक सीमित नहीं रहें, बल्कि इसके जरिये राष्ट्र की प्रति के अपनी जिम्मेदारी भी समझें. पीएम ने कहा कि पहले लोगों को लगता था कि भ्रष्टाचार के मामलों में अमीर व ताकतवर लोगों को नहीं छुआ जाता है, लेकिन आज तीन पूर्व मुख्यमंत्री जेल में हैं.
मालूम हो कि चारा घोटाले में बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद व जगन्नाथ मिश्र जेल में (जमानत पर)हैं. हरियाणा के पूर्व सीएम ओम प्रकाश चाैटाला भी भ्रष्टाचार के मामले में सलाखों के पीछे हैं. पीएम ने कहा कि भ्रष्टाचार की मुक्ति से सबसे ज्यादा भला गरीबों का होगा और उन्हें मदद मिलेगी.
कैशलेस बने भ्रष्टाचार रोकें : पीएम ने कहा कि एनसीसी कैडेट्स समेत देश भर के युवा अपने मोबाइल फोन में भीम एप डाउनलोड करें और किसी भी दुकान पर भुगतान कैश से नहीं बल्कि इसी एप के जरिये करें. डिजिटल पेमेंट पर जोर देते हुए कहा कि युवा खुद तो डिजिटल पेमेंट करें ही साथ में इस मिशन से साल में 100 नये परिवार को भी जोड़ें. आधार की तारीफ करते हुए कहा िक इसने 60 हजार करोड़ की रकम गलत लोगों के पास जाने से रोका है.
अब पद्म पुरस्कार के लिए पहचान नहीं, काम को महत्व : मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अब पद्म पुरस्कार देने के लिए व्यक्ति की पहचान नहीं, उसके काम का महत्व बढ़ रहा है. इस संदर्भ में कचरे से खिलौना बनाने में योगदान देने वाले आइआइटी कानपुर के छात्र रहे अरविंद गुप्ता, कर्नाटक की सितावा जोद्दती का जिक्र किया. रविवार को आकाशवाणी पर प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि पिछले तीन सालों में पद्म पुरस्कार की पूरी प्रक्रिया बदल गयी है. कोई भी नागरिक किसी को भी मनोनीत कर सकता है.
कितने गर्व की बात है कि कैसे-कैसे महान लोग हमारे बीच में हैं और बिना किसी सिफारिश के ऊंचाइयों तक पहुंच रहे हैं. ये लोग न बड़े शहरों से ताल्लुक रखते हैं आैर न ही अखबारों में, टीवी. में, समारोह में नजर आते हैं. वैसे भी ऐसे कई रत्न हैं, जिनको न कोई जानता है, न कोई पहचानता है, लेकिन, उनकी पहचान न बनने से समाज को घाटा हो जाता है.