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केदारनाथ मंदिर के कपाट खुले

देहरादून: गढवाल में हिमालय की उंची पहाडियों पर स्थित भगवान शिव के धाम केदारनाथ मंदिर के कपाट आज छह माह के शीतकालीन अवकाश के बाद दोबारा श्रद्धालुओं के लिये खोल दिये गये. मंदिर के विशेष कार्याधिकारी बीडी सिंह ने बताया कि केदारनाथ के कपाट विधिवत पूजा अर्चना के बाद सुबह छह बजकर पांच मिनट पर […]

देहरादून: गढवाल में हिमालय की उंची पहाडियों पर स्थित भगवान शिव के धाम केदारनाथ मंदिर के कपाट आज छह माह के शीतकालीन अवकाश के बाद दोबारा श्रद्धालुओं के लिये खोल दिये गये.

मंदिर के विशेष कार्याधिकारी बीडी सिंह ने बताया कि केदारनाथ के कपाट विधिवत पूजा अर्चना के बाद सुबह छह बजकर पांच मिनट पर वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों तथा मंदिर समिति के पदाधिकारियों की मौजूदगी में श्रद्धालुओं के लिये खोल दिये गये.

उन्होंने बताया कि मुख्य पुजारी भीमा शंकर लिंगम द्वारा मंदिर के कपाट खोले जाने के दौरान परिसर में ठंड के बावजूद काफी संख्या में स्थानीय लोग तथा तीर्थयात्रा ी भी उपस्थित थे. पिछले साल आयी भीषण प्राकृतिक आपदा की मार ङोलने से केदारनाथ सहित सभी चारधामों की यात्रा बुरी तरह प्रभावित हुई थी और इस बार इस यात्रा से जुडी व्यवस्थाओं को लेकर उत्तराखंड सरकार और प्रशासन सब मुस्तैद हैं.

इस बार केदारनाथ मार्ग पर तीर्थयात्रा ियों के भोजन तथा ठहरने की मुफ्त व्यवस्था राज्य सरकार द्वारा की गयी है तथा यात्रियों को बायोमेट्रिक्स पंजीकरण के बाद ही मंदिर की ओर आने दिया जा रहा है. दो अन्य धाम गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट गत दो मई को अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर खोले गये थे, जबकि बद्रीनाथ मंदिर के पट कल खुलेंगे.

शीतकाल के दौरान भारी बर्फवारी और भीषण ठंड की चपेट में रहने वाले चारों धामों को हर वर्ष अक्टूबर-नवंबर में बंद कर दिया जाता है और अगले साल अप्रैल-मई में दोबारा श्रद्धालुओं के लिये खोल दिया जाता है.छह माह के यात्रा सीजन के दौरान देश विदेश से लाखों श्रद्धालु और पर्यटक इन चारों धामों के दर्शन के लिये आते हैं और इस यात्रा को गढवाल हिमालय की अर्थ व्यवस्था की रीढ माना जाता है.

प्राकृतिक आपदा की विभीषिका ङोलने के बाद पहली बार हो रही चार धाम यात्रा को लेकर प्रशासन और सरकार ने सडक, पेयजल, बिजली, खाद्य और चिकित्सा सुविधाओं कें अलावा सुरक्षा के भी व्यापक इंतजाम किये हैं. इस संबंध में मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने कहा कि चारधाम यात्रा के लिये सभी तैयारियां पूरी हैं.उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष आयी प्राकृतिक आपदा से सबक लेते हुए गठित की गयी राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) की टुकडियां भी संवेदनशील जगहों पर तैनात की गयी हैं.इस बार तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिये उनके बायोमेट्रिक पंजीकरण के अलावा और उनके मोबाइल फोन नम्बरों पर मौसम संबंधी एसएमएस एलर्ट भेजने का भी प्रावधान किया गया है.

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