चंद्रग्रहण: एक साथ चांद के तीन अलग-अलग रंग, जानें क्या है राज
नयी दिल्ली : बस थोड़ा इंतजार और असमान में आपको एक अद्भुत नजारा दिखायी देगा. आज चंद्रग्रहण अपने साथ कई ऐसी बातें ला रहा है, जो धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों के मतों से अद्भुत होने वाला है. वैज्ञानिक तर्क में आज (बुधवार) को लगने वाला चंद्र ग्रहण सुपर ब्लू ब्लड मून कहलायेगा. इस दिन चांद […]
नयी दिल्ली : बस थोड़ा इंतजार और असमान में आपको एक अद्भुत नजारा दिखायी देगा. आज चंद्रग्रहण अपने साथ कई ऐसी बातें ला रहा है, जो धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों के मतों से अद्भुत होने वाला है. वैज्ञानिक तर्क में आज (बुधवार) को लगने वाला चंद्र ग्रहण सुपर ब्लू ब्लड मून कहलायेगा. इस दिन चांद हर दिन के मुकाबले 14 फीसदी बड़ा और 30 फीसदी ज्यादा चमकदार दिखायी देगा. इस दिन चांद तीन रंगों में दिखायी देगा. आज के चंद्रग्रहण में चांद अलग-अलग रंगों में दिखेगा. एक दिन में चांद ब्लू मून, पूर्ण चंद्र ग्रहण या ब्लड मून औरसुपरमून या सुपर ब्लू ब्लड मून के रूप में दिखेगा. सुपर ब्लू, ब्लड मून या सुपर मून को जानने से पहले चांद की दो अन्य परिस्थितियों को समझें.
ब्लू मून : आमतौर पर पूर्णिमा एक महीने में एक बार ही आती है. कई बार ऐसा भी होता है, जब पूर्णिमा महीने की एक या दो तारीख को आती है, तो महीने के आखिर में भी पूर्णिमा आ जाती है. एक महीने के अंदर यह जो दूसरी पूर्णिमा आती है, इसे ही अंग्रेजी में ब्लू मून कहते हैं.
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ब्लड मून : ब्लड मून को ऐसे समझा जा सकता है. धरती सूरज का चक्कर लगाती है. धरती का चक्कर चांद लगाता है. ऐसे में जब सूरज, धरती और चांद सीधी रेखा में आ जाएं, तो धरती की छाया चांद पर पड़ती है. इसे हम चंद्र ग्रहण कहते हैं. इसमें भी जब छाया की वजह से पूरा चांद छिप जाये, तो उसे पूर्ण चंद्र ग्रहण कहते हैं. अंग्रेजी में यह घटना ब्लड मून कहलाती है.
सुपरमून : चांद धरती के इर्द-गिर्द गोलाई में नहीं, बल्कि इलिप्टिकली यानी अंडाकार घूमता है. चांद का वह हिस्सा जो धरती के चारों ओर घूमता है, उसे एलिप्स कहते हैं. एलिप्स का छोटा हिस्सा पेरिजी कहलाता है. वहीं बड़ा हिस्सा एपोजी कहलाता है. जब चंद्रमा पेरिजी पर होता है, तब वो धरती के सबसे पास होता है. वो आम रातों में दिखने वाले चांद से 14 फीसदी ज्यादा बड़ा और 30 फीसदी अधिक चमकता हुआ दिखता है. जिस दिन पूर्णिमा हो और चांद पेरिजी पर हो, उस दिन सुपरमून दिखता है.
ऐसे आया सुपर मून शब्द
‘सुपरमून’ शब्द का इस्तेमाल पहली बार 1979 में साइंटिस्ट रिचर्ड नोल ने किया था. आमतौर पर जब चंद्रमा का केंद्र, पृथ्वी के केंद्र से 360,000 किलोमीटर दूर होता है, तब उसे सुपर मून कहा जाता है. आज की रात जो चांद दिखने वाला है, वह तीनों स्थिति में होगा.