नयी दिल्ली : राजस्थान में हुए उप-चुनावों में भाजपा को जोरदार झटका लगा है. यहां लोकसभा की 2 एवं विधानसभा की एक सीट पर भाजपा को पराजय का मुंह देखना पड़ा. ये तीनों सीटें भाजपा के पास थीं. अलवर लोकसभा सीट की बात करें तो यहां पर कांग्रेस के डा. करण सिंह यादव ने मौजूदा कैबिनेट मंत्री और भाजपा प्रत्याशी जसवंत सिंह यादव को पराजित किया है जबकि अजमेर से कांग्रेस उम्मीदवार रघु शर्मा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के राम स्वरूप लांबा पर जीत हासिल की. आइए जानते हैं कि इस हार और जीत पर क्या कहते हैं जानकार.
जानकारों की नजर में ये है भाजपा की हार के कारण
भाजपा के अयोग्य प्रत्याशी
1. भाजपा के अयोग्य प्रत्याशी इस हार के कारण हैं. जानकारों की नजर में अजमेर लोकसभा सीट पर भाजपा ने राम स्वरूप लांबा को उम्मीदवार बनाया था जो पूर्व मंत्री सांवर लाल जाट के बेटे हैं. सांवर लाल जाट ने अजमेर में बड़ी आबादी वाले जाट समुदाय को एकजुट करने में अहम भूमिका निभायी थी. वह जाट समाज के कद्दावर नेताओं में से एक थे. राम स्वरूप ने जब राजनीति में कदम रखा तो लोग उनमें सांवर लाल की छवि तलाशने लगे लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी रघु शर्मा के मुकाबले वह अपने पिता की जगह भरने में अयोग्य साबित हुए. रघु शर्मा क्षेत्र के सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते दिखते हैं. वह यहां से विधायक भी रह चुके हैं जिसके चलते उनकी यहां के लोगों के बीच अच्छी पकड़ बनी हुई थी.
2. अजमेर सीट पर राजपूत फैक्टर
जानाकरों के अनुसार रावण राजपूत समाज के लोग निर्णायक भूमिका में हैं. कई मुद्दों पर वसुंधरा सरकार से नाराजगी के कारण उप-चुनाव प्रचार के दौरान राजपूत समाज के कई बड़े नेताओं ने अजमेर में जातीय सभा करके रघु शर्मा को समर्थन देने की घोषणा की थी.
3. आनंदपाल सिंह फैक्टर
बताया जा रहा है कि गैंगस्टर आनंदपाल सिंह अजमेर का ही रहने वाला था. मुठभेड़ में उसकी हत्या के बाद से अजमेर के लोग बहुत नाराज हैं. काफी मिन्नतों के बाद भी वसुंधरा सरकार ने आनंदपाल मुठभेड़ पर कोई कदम नहीं उठाया है जिससे नाराज आनंदपाल सिंह के परिवार वालों ने उप-चुनाव प्रचार के दौरान सार्वजनिक रूप से रघु शर्मा को समर्थन देने का ऐलान किया.
4. सचिन पायलट का योगदान
राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट का इस जीत में महत्वपूर्ण योगदान है. साल 2014 की बात करें तो अजमेर लोकसभा सीट से वे चुनाव हार गये थे, हालांकि उन्हें जाटों के अच्छे वोट मिले थे. सचिन पायलट इस बार के विधानसभा चुनाव में भी जाट वोटों को एकजुट रखने में सफल साबित रहे जिसका सीधा फायदा कांग्रेस के रघु शर्मा को मिला.
5.‘पद्मावत’ और राजपूत
राजपूत समाज के लोगों ने फिल्म ‘पद्मावत’ का पूरे देश में विरोध किया था. जानकारों की मानें तो राजपूत समाज के लोग भाजपा के पारम्परिक वोटर रहे हैं , लेकिन इस समाज के लोगों की लाख कोशिश के बाद भी वसुंधरा राजे सरकार ने इस फिल्म पर पाबंदी लगाने से इन्कार कर दिया. पूरे चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस जोर-शोर से कहती रही कि भाजपा के केंद्र में होने के बाद भी सैंसर बोर्ड ने फिल्म ‘पद्मावत’ को पास कर दिया, साथ ही यह भी कहती नजर आयी कि भाजपा गैर-राजपूतों को तवज्जो नहीं दे रही है.