नयी दिल्ली : गुरुवार को नरेंद्र मोदी सरकार का अंतिम पूर्ण बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गरीब परिवारों के लिए कैशलेस स्वास्थ्य बीमा देने की घोषणा की. इस योजना के तहत 10 करोड़ परिवारों को सस्ती दरों पर स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया जायेगा. एक परिवार में औसतन 5 व्यक्तियों की दर से करीब 50 करोड़ लोगों को इसका लाभ मिलेगा. इस एलान को मोदी सरकार की सबसे बड़ी बजट घोषणा के रूप में देखा जा रहा है.
बजट पेश करने के बाद प्रेस कान्फ्रेंस में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस योजना को ‘ओबामा केयर’ की तर्ज पर ‘मोदी केयर’ नाम दिया.हालांकिबड़ी आबादी के कारण मोदी केयर ओबामा केयर से बड़ी योजना है. ओबामा केयर में करीबदो करोड़ अमेरिकियों को स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया गया था, जबकि मोदी केयर में करीब 50 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य बीमा का लाभ देने की योजना है और इस मायने में यह दुनिया की अपने किस्म की सबसे बड़ी योजना है.
40 प्रतिशत आबादी को बीमा कवर
योजना के तहत लोगों को पांच लाख रुपये तक का कैशलेस स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया जायेगा. अबतक गरीब परिवारों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत 30 हजार रुपये तक का लाभ दिया जाता है. नयी स्वास्थ्य बीमा योजन सालाना बीमा कवरेज होगा. इन बीमा योजनाओं का प्रीमियम सरकार देगी. वित्त मंत्री जेटली ने इसे दुनिया का सबसे बड़ा हेल्थ केयर प्रोग्राम करार देते हुए कहा कि इससे कम से कम 50 करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा.
इस लिहाज से देखें तो देश की करीब 130 करोड़ आबादी में करीब-करीब 40 प्रतिशत के लिए बड़े स्वास्थ्य सुरक्षा योजना का एलान इस बजट में किया गया है.
मार्केट एक्सपर्ट उठा रहे सवाल
इस सबसे बड़ी स्वास्थ्य संरक्षण योजना को आयुष्यमान भारत नाम दिया गया है. हालांकि इसके बीमा प्रीमियम व फंडिंग को लेकर स्पष्टता है और यही वजह है कि इसकी सफलता पर मार्केट व बीमा इंडस्ट्री के एक्सपर्ट जहां सवाल उठा रहे हैं, वहीं चिकित्सा जगत के विशेषज्ञ इसकी तारीफ कर रहे हैं.आइकेनइनवेस्टमेंट एडवाइजरप्राइवेटलिमिटेड के चेयरमैन अनिल सिंघवीको इतनी बड़ी स्वास्थ्य योजना के प्रीमियम भुगतान के स्वरूप पर संदेह है.
चिदंबरम का सवाल
पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने भी मोदी केयर की सफलता पर संदेह प्रकट करते हुए कहा है कि पांच लाख के हेल्थ बीमा के लिए पांच हजार से 15 हजार रुपये प्रति परिवार सालाना बीमा प्रीमियम लगेगा, ऐसे में इस पर 50 हजार करोड़ रुपये से डेढ़ लाख करोड़ रुपये खर्च आयेगा. उन्होंने वित्तमंत्री जेटली से सवाल पूछा है कि क्या वाकई वे इसको लेकर गंभीर हैं?
हेल्थ इकोनॉमिस्ट व मेडिकल इंडस्ट्री के लोगों का नजरिया
हेल्थ इकोनॉमिस्ट इंद्राणी मुखोपाध्याय ने इकोनॉमिक टाइम्स अखबार से कहा है कि इस नयी स्कीम से सरकार को सफल बनाने के लिए 1.2 लाख करोड़ प्रीमियम प्राइवेट हेल्थ इंश्योरेंस फर्म को देना होगा ताकि 50 करोड़ लोगों को पांच लाख के स्वास्थ्य बीमा पर का लाभ मिल सके. इंश्योरेंस एक्सपर्ट का मानना है कि इस स्कीम में लिकेज को रोकना भी एक चुनौती होगी, क्योंकि वर्तमान में जारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना में ऐसे मामले बहुत अधिक रहे हैं. वहीं, अपोलो हॉस्पीटल एंटरप्राइजेज की एमडी सुनीता रेड्डी इसे बिग बूस्टर के रूप मेंं देखती हैं. उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकारी स्वास्थ्य बीमा योजना अलाभकारी हैं, लेकिन इंश्योरेंस कवर में ग्रोथ होने पर सरकार द्वारा पोषित किये जाने वाले मरीजों की संख्या के इलाज में इजाफा होगा.
जेटली का भरोसा
वहीं, जेटली ने कल एक टीवी इंटरव्यू में कहा है कि भले ही अमेरिका में ओबामा केयर सफल हुआ हो या नहीं हुआ हो, लेकिन अपने यहां मोदी केयर जरूर सफल होगा. उन्होंने अपने बजट भाषण में कल यह भी कहा था कि इसकी सफलता पर इसे और विस्तार दिया जायेगा और इसके दायरे में अन्य परिवारों को भी लाया जायेगा.
क्या है ‘ओबामाकेयर’?
अमेरिकी कांग्रेस ने पेशंट प्रोटेक्शन एण्ड अफोर्डेबल केयर एक्ट नाम से हेल्थकेयर प्रोग्राम को कानूनी रूप दिया था जिसे शॉर्ट में अफोर्डेबल केयर एक्ट भी कहा जाता है. तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 23 मार्च 2010 को इस कानून पर हस्ताक्षर किये. जब विपक्षी दल के लोग इसे ‘ओबामाकेयर’ का नाम दिया. खुद राष्ट्रपति ओबामा ने इस योजना को इसी नाम को अपना लिया.
इस कानून का उद्देश्य अमेरिका में हेल्थ इंश्योरेंस की क्वॉलिटी और अफोर्डिबिलिटी को बढ़ाना और स्वास्थ्य मामलों पर लोगों द्वारा खर्च की जानेवाली रकम को कम करना था. इसके तहत 2 करोड़ अमेरिकियों को स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया गया.