कांग्रेस के शीर्ष नेताओं में संवाद का अभाव :रमेश
हैदराबाद : असामान्य रुप से रखा बयान देते हुए केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि शीर्ष कांग्रेसी नेताओं में राजनैतिक संवाद का अभाव पाया गया और पार्टी भ्रष्ट शासन के तौर पर संप्रग को पेश करने के भाजपा के प्रचार अभियान का आक्रामक तरीके से जवाब देने में अक्षम रही. उन्होंने स्वीकार किया कि […]
हैदराबाद : असामान्य रुप से रखा बयान देते हुए केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि शीर्ष कांग्रेसी नेताओं में राजनैतिक संवाद का अभाव पाया गया और पार्टी भ्रष्ट शासन के तौर पर संप्रग को पेश करने के भाजपा के प्रचार अभियान का आक्रामक तरीके से जवाब देने में अक्षम रही.
उन्होंने स्वीकार किया कि 10 साल तक सत्ता में रहने के बाद कांग्रेस को सत्ता विरोधी लहर से मुकाबला करना है. रमेश ने कहा, हम राजनीतिक संवाद कायम करने में सफल नहीं रहे. राजनीतिक संवाद आखिरी समय में नहीं होता. आपको लंबे समय तक राजनीतिक संवाद करना होता है. मेरा मानना है कि कांग्रेस को इससे चोट पहुंची है. भ्रष्टाचार के मुद्दों पर सरकार के खिलाफ विपक्ष के हमलों पर उन्होंने माना कि 2 जी, राष्ट्रमंडल खेल और अन्य घोटालों ने निश्चित तौर पर कांग्रेस की संभावनाओं को चोट पहुंचाया है.
रमेश ने कहा, मेरा हमेशा मानना है कि राजनीति की बुनियाद में से एक है संवाद और बेहद शीर्ष स्तर से संवाद —-अकेले शेरपाओं द्वारा. इसलिए, राजनैतिक संवाद काफी महत्वपूर्ण है लेकिन दुर्भाग्य से हममें इसका अभाव रहा. उन्होंने कहा, कैग और बेहद सक्रिय न्यायपालिका के कारण भाजपा ने बेहद आक्रामक अभियान चलाया और समाज भी उसके समर्थन में कूद गया और मेरा मानना है कि उस अवधि में हमने (कांग्रेस) उस तरह की आक्रामकता नहीं दिखाई जैसा हमें दिखाना चाहिए था. रमेश ने कांग्रेस के पूर्व सहयोगी दल द्रमुक को कृतघ्न बताकर उसकी आलोचना की और तत्कालीन मंत्री टी आर बालू को कम न होने वाली मुसीबत बताया. जहां तक 2014 के चुनावों का सवाल है तो रमेश ने कहा कि वह द्रमुक के रख से निराश हैं. द्रमुक का तमिलनाडु में हाल में संपन्न चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं है.
रमेश ने कहा, ह्यह्यद्रमुक को कांग्रेस से काफी कुछ मिला. इससे पहले, कांग्रेस के समर्थन के बिना द्रमुक सरकार का अस्तित्व नहीं बचता और वह पांच साल नहीं चलती. द्रमुक को (संप्रग में) वह जो भी मंत्रालय चाहती थी, मिला और जिस तरीके से वह चाहती थी उस तरीके से उसने बर्ताव किया. संप्रग-1 में जब बालू भूतल परिवहन मंत्री थे तो उनके मंत्रालय के अधीन आने वाले भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण में पांच अध्यक्ष थे.
रमेश ने कहा, और वह (बालू) पर्यावरण एवं वन मंत्री थे—-श्री (ए) राजा (तत्कालीन दूरसंचार मंत्री)—-मैं जानता हूं कि उन्होंने क्या किया. रमेश ने कहा, मेरा मानना है कि द्रमुक को कांग्रेस के प्रति जो उसका ऋण है उसके प्रति थोडा और जागरुक होना चाहिए. मेरा मानना है कि उसने कांग्रेस के प्रति जो किया वह दुर्भाग्यपूर्ण है और श्रीमती :सोनिया: गांधी के मन में श्री (एम) करणानिधि के प्रति जो अगाध सम्मान है उसके मद्देनजर मेरा मानना है कि द्रमुक कृतघ्न थी. यह पूछे जाने पर कि क्या प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को द्रमुक को मंत्रालयों के आवंटन में दृढता से अपनी बात रखनी चाहिए थी तो रमेश ने कहा कि गठबंधन राजनीति की कुछ विवशताएं हैं और क्या चर्चा हुई इसकी उन्हें जानकारी नहीं है. द्रमुक संप्रग-1 और पिछले साल मार्च तक संप्रग-2 का हिस्सा थी और श्रीलंकाई तमिलों के मुद्दे पर सरकार से हटी थी.
रमेश ने कहा, लेकिन मैं आपसे कह सकता हूं कि बालू भूतल परिवहन और पर्यावरण एवं वन मंत्री के तौर पर कम न होने वाली मुसीबत थे. उन्होंने कहा कि राजा और दयानिधि मारन के ईद-गिर्द विवाद से संबंधित तथ्य सार्वजनिक हैं.