नयी दिल्ली: बोफोर्स तोप सौदे मामले की पिछले 27 सालों से जांच कर रही एक संसदीय समिति के मौजूदा बजट सत्र में इस पर अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देने की उम्मीद है. बोफोर्स पर सीएजी की रिपोर्ट लोक लेखा समिति (पीएसी) के समक्ष ‘‘लंबित’ सबसे पुराना मामला है. पीएसी का मुख्य कार्य नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) द्वारा अदालत के समक्ष रखी गयी ऑडिट रिपोर्ट का परीक्षण करना है.
उधर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि बोफोर्स मुद्दा एक नॉन इश्यू है.बीजेपीएक मरे घोड़े को माररही है. बीजेपी विपक्षको नुकसान पहुंचाने के लिए पॉलिटिकल कैंपन चला रही है.नबीने कहा है कि इस मामले में जांच पूरी हो चुकी है और न्यायपालिका ने इस मामलेमें फैसला दे दिया है. मोदी सरकार इस मुद्दे के जरिये अपनी विफलता से इस मामले के जरिये ध्यान भटकाना चाहती है.
रक्षा मामलों पर पीएसी की छह सदस्यीय उप समिति बोफोर्स तोप सौदे पर 1989 और 1990 की सीएजी रिपोर्ट के कुछ पहलुओं के गैर अनुपालन के मामले को देख रही है. बीजू जनता दल सांसद भर्तृहरि महताब की अध्यक्षता वाली उपसमिति के एक सदस्य ने कहा कि रिपोर्ट में विलंब हुआ क्योंकि संबंधित मंत्रालय और सरकारी संगठनों द्वारा कीगयी कार्रवाई के नोट्स उपलब्ध नहीं कराये गये थे. इस रक्षा सौदे पर चर्चा के दौरान समिति ने कई प्रमुख सरकारी अधिकारियों को अपने समक्ष पेश होने और सदस्यों को इस मामले की जानकारी देने के लिये भी कहा था.
पीएसी के एक अन्य सदस्य ने कहा कि रिपोर्ट का मसौदा लिखा जाना शुरू हो चुका है और इसे बजट सत्र तक अंतिम रूप दे दिये जाने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट व्यापक होगी और इस सौदे से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करेगी. उप समिति द्वारा रिपोर्ट तैयार किये जाने के बाद इसे मंजूरी केलिए मुख्य समिति के पास भेजा जायेगा. एक सदस्य ने कहा कि वहा कांग्रेस सांसद रिपोर्ट के कुछ हिस्सों का विरोध कर सकते हैं. मुख्य समिति के अध्यक्ष कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे हैं.