सुप्रीम कोर्ट ने गोवा के 88 कंपनियों के लौह अयस्क खनन पट्टे रद्द किये

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गोवा में 88 कंपनियों के लौह अयस्क खनन पट्टे रद्द कर दिये हैं. 2015 में गोवा सरकार ने दूसरी बार इनका नवीकरण किया था. कोर्ट ने पट्टे रद्द करने के साथ-साथ केंद्र और गोवा सरकार को खनन कंपनियों को नयी पर्यावरण मंजूरी देने के निर्देश दिये.न्यायमूर्ति मदन बी. लोकूर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 7, 2018 3:13 PM

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गोवा में 88 कंपनियों के लौह अयस्क खनन पट्टे रद्द कर दिये हैं. 2015 में गोवा सरकार ने दूसरी बार इनका नवीकरण किया था. कोर्ट ने पट्टे रद्द करने के साथ-साथ केंद्र और गोवा सरकार को खनन कंपनियों को नयी पर्यावरण मंजूरी देने के निर्देश दिये.न्यायमूर्ति मदन बी. लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि पहले दिये गये फैसले के आलोक में कानून के अनुरूप खनन के लिए नये पट्टे देना राज्य सरकार का कर्तव्य है लेकिन वह पट्टाधारकों के खनन के लाइसेंस का दूसरी बार नवीनीकरण नहीं कर सकती.

शीर्ष अदालत ने अपने पहले के फैसले में कहा था कि राज्य सरकार खनन के लिए नये पट्टे दे सकती है लेकिन पट्टों का दूसरी बार नवीनीकरण नहीं कर सकती. पीठ ने कहा कि पहले फैसले की व्यवस्था के विपरीत जिन कंपनियों के पट्टों का दूसरी बार नवीनीकरण किया गया है, वे इस साल 15 मार्च तक खनन गतिविधयां जारी रख सकती हैं. पीठ ने कहा, ‘‘हालांकि उन्हें 16 मार्च, 2018 से उस समय तक खनन कार्य बंद करने का निर्देश दिया जाता है और जब तक उन्हें खनन के लिए नया पट्टा (नयी नवीनीकरण नहीं) और पर्यावरण मंजूरी नहीं मिल जाती वे खनन नहीं करेंगी.

राज्य सरकार ने सभी संबंधित तथ्यों पर विचार किये बगैर और उपलब्ध सामग्री को नजरअंदाज करते हुये दूसरी बार खनन लाइसेंसों का जल्दबाजी में नवीनीकरण किया है.” पीठ ने कहा कि यह फैसला सिर्फ राज्य का राजस्व बढ़ाने के मकसद से लिया गया जो खदान और खनिज (विकास एवं नियमन) कानून की धारा 8 (3) के दायरे से बाहर था.

पीठ ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा दूसरी बार खनन के पट्टों का नवीनीकरण रद्द किये जाने योग्य है और इसे निरस्त किया जाता है. शीर्ष अदालत ने विशेष जांच दल गठित करने और दूसरी बार खनन की अनुमति प्राप्त करने वाली कंपनियों से धनराशि वसूल करने के लिए चार्टर्ड एकाउन्टें का एक दल गठित करने का भी निर्देश दिया है. न्यायालय ने गैर सरकारी संगठन गोवा फाउंडेशन की याचिका पर यह फैसला सुनाया. इसी संगठन ने पहले भी इन कंपनियों द्वारा कानून का उल्लंघन करके खनन करने का मुद्दा उठाया था.

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