नयी दिल्ली : सरकार ने स्पष्ट किया है कि मालदीव में विकास परियोजनाओं में भागीदारी सुनिश्चित करने के प्रयास किये जा रहे हैं और इन्हें तेजी से लागू किया जा रहा है. लोकसभा में आज पेश विदेश मामलों संबंधी समिति की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने समिति को बताया कि मालदीव सरकार के परामर्श से तथा उनकी प्राथमिकताओं के आधार पर बकायाऋण के वितरण सहित तकनीकी तथा वित्तीय सहायता संबंधी प्रतिबद्धताओं को आगे बढ़ाया जाता है. सरकार ने संसद की समिति के समक्ष यह जवाब ऐसे समय में दिया है जब मालदीव में अस्थिरता की स्थिति है और पिछले कुछ समय से भारत और मालदीव में रिश्तों में पहले जैसी गर्माहट नहीं होने की खबरें आ रही हैं.
रिपोर्ट में समिति ने कहा है कि वह यह नोट करके प्रसन्न है कि मालदीव को सहायता के तहत 2017-18 के बजट अनुमान में 75 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है तथा कर्ज एवं अग्रिम धनराशि के तहत आवंटन 170 करोड़ रुपये बढ़ाया गया है. समिति ने कहा है कि मंत्रालय ने बताया है कि 2017-18 के दौरान आवंटन का उपयोग सुरक्षा एवं कानून प्रवर्तन अध्ययन संस्थान के निर्माण कार्य, कम्पोजिट प्रशिक्षण केंद्र में अतिरक्त सुविधाओं तथा तटवर्ती निगरानी रडारों के लिए अंतिम भुगतान के लिए किया जायेगा.
रिपोर्ट में कहा गया है कि मालदीव में अस्थिर राजनीतिक स्थिति को देखते हुए यह महत्वपूर्ण है कि भारत को शीघ्र सहायता प्रदान करके मालदीव के औसत नागरिकों पर छाप छोड़नी चाहिए. समिति यह भी नोट करती है कि भारत द्वारा 2.5 करोड़ डाॅलर की अंतिम खेप रोककर रखीगयी है. वर्ष 2017-18 के दौरान 170 करोड़ रुपये का आवंटन क्षमता निर्माण एवं आधारभूत संरचना उपायों के लिए है. समिति चाहती है किइस आवंटन के साथ मालदीव के साथ नवीकृत कूटनीतिक संबंध के अंतर्गत अंतिम खेप भी वितरित की जाए.