मेनिफेस्टो में शिक्षा की रस्म अदायगी

शिक्षा ऐसा मसला बन गयी है जिस पर साल दर साल पैसे तो खूब खर्च हो रहे हैं, पर स्कूली और उच्चतर शिक्षा बदहाल होती जा रही है. राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा की गुणवत्ता वहां नहीं पहुंच पा रही है जहां इसे पहुंचना था. संपूर्ण भारत कब साक्षर होगा, यह बड़ा सवाल है. शिक्षा की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 6, 2014 12:20 PM

शिक्षा ऐसा मसला बन गयी है जिस पर साल दर साल पैसे तो खूब खर्च हो रहे हैं, पर स्कूली और उच्चतर शिक्षा बदहाल होती जा रही है. राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा की गुणवत्ता वहां नहीं पहुंच पा रही है जहां इसे पहुंचना था. संपूर्ण भारत कब साक्षर होगा, यह बड़ा सवाल है. शिक्षा की बदहाली और राजनीति दलों के वायदों के बीच एक लंबा फासला है. इससे यह भी जाहिर होता है कि संपूर्ण साक्षर भारत का सपना अभी बहुत लंबे सफर की हकीकत है. पर राजनीति दलों के मेनिफेस्टो पर नजर डालना जरूरी है कि वे शिक्षा के बारे में क्या नजरिया रखती हैं. इस संदर्भ में कांग्रेस, भाजपा और माकपा के मेनिफेस्टो पर एक नजर डाल रहे हैं अजय कुमार

कांग्रेस : चलायेगी श्रेष्ठ शिक्षा अभियान
कांग्रेस का कहना है कि दुनिया में भारत को सवरेत्कृष्ट शिक्षा प्रणाली कायम करना चाहती है. सर्व शिक्षा अभियान को श्रेष्ठ शिक्षा अभियान में रूपांतरित करना कांग्रेस का लक्ष्य है. पार्टी मानती है कि इससे प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी और उसका फायदा माध्यमिक व उच्च शिक्षा में होगा. पूरे देश में वह खेलों को बढ़ावा देने की योजना पर काम करेगी. इसके लिए नेशनल स्पोर्ट्स एजुकेशन यूनिवर्सिटी खोलेगी. पार्टी ने कहा है कि वह सेकेंड्री शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान चलायेगी. इसी प्रकार का अभियान उच्च शिक्षा में सुधार के लिए चलाया जायेगा. इसे राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के नाम से जाना जायेगा. इसके तहत कॉलेज और यूनिवर्सिटी के इंफ्रास्ट्रर को मजबूत करने के लिए फंड उपलब्ध कराये जायेंगे. इस अभियान के तहत 70 नये विश्वविद्यालय खोले जायेंगे. कांग्रेस ने जोर दिया है कि नार्थ ईस्ट और जम्मू-कश्मीर के छात्रों के साथ होने वाले भेदभाव को वह दूर करने की पहल करेगी. पार्टी ने छात्रों और युवाओं के लिए राष्ट्रीय युवा आयोग बनाने की बात कही है. मेधा-क्षमता को विकसित करने के लिए राष्ट्रीय खेल शिक्षा यूनिवर्सिटी की स्थापना होगी. शिक्षा की गुणवत्ता पर नजर रखने की कोशिशों के तहत उसने स्वतंत्र रेगुलेटरी मशीनरी विकसित करेगी.

भाजपा : शिक्षा से दूर करेगी गरीबी
भाजपा की नजर में शिक्षा वह हथियार है जिसकी बिना पर देश को आधुनिक शक्ल दी जा सकती है. यही नहीं, पार्टी इसे गरीबी से लड़ने के एक सशक्त हथियार के रूप में भी देखती है. सभी पढ़ने वालों के लिए समान अवसर के सिद्धांत को लागू किया जायेगा ताकि उन्हें शिक्षा हासिल करने तथा सफलता अजिर्त करने में कोई बाधा पैदा न हो. पार्टी मानती है कि 21 वीं सदी की चुनौतियों के सामना के लिए शिक्षित व कुशल मानव संसाधन का होना जरूरी है. पार्टी इस लक्ष्य को पाने के लिए संस्थागत बदलाव के पक्ष में है.

पार्टी ने कहा है कि उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता टीचरों और शोधार्थियों की कमी को दूर करना होगा. शिक्षा को रोजगार परक बनाना और स्वरोजगार की क्षमता का विकास करना भी उसकी प्राथमिकताओं में शामिल है. भाजपा ने सर्वशिक्षा अभियान के हवाले से कहा है कि इस कार्यक्रम को और कारगर तरीके से लागू किया जायेगा ताकि साक्षरता के लक्ष्य को हासिल किया जा सके. ग्रामीण, जनजातीय और भौगोलिक रूप से दुरूह इलाकों में माध्यमिक शिक्षा को ले जाने, लड़कि यों के लिए स्कूली शिक्षा पाने के वास्ते सभी सहूलियतें देने, मदरसों को आधुनिक बनाने, मिड डे मिल के प्रबंधन और वितरण की व्यवस्था को बेहतर करने तथा स्कूल शिक्षकों व छात्रों के लिए इ-लाइब्रेरी खोलने की बात कही है.

पार्टी ने उच्च शिक्षा और प्रोफेशनल शिक्षा पर जोर देते हुए कहा है कि इसका स्वरूप इस प्रकार से तय किया जायेगा कि छात्र खुद को बदलते ग्लोबल हालातों का मुकाबला कर सकें. देश में भविष्य की जरूरतों की पहचान करते हुए उच्च शिक्षा के कोर्स उसके अनुरूप तैयार होंगे ताकि पर्याप्त तादाद में श्रम संसाधन तैयार हो सके. पार्टी मल्टी स्किल मिशन बनाने, वोकेशनल ट्रेनिंग को बढ़ावा देने के पक्ष में है.

माकपा : उच्च शिक्षा में विदेशी निवेश के खिलाफ
माकपा का कहना है कि उच्च शिक्षा में विदेशी निवेश के वह खिलाफ है. लिहाजा, इससे जुड़े दो विधेयकों का कभी समर्थन नहीं करेगी. ये दोनों बिल हैं: फारेन एजुकेशनल इंस्ट्टीच्यूशन (रेगुलेशन ऑफ इंट्री एंड ऑपरेशन) बिल, 2010, द हायर एजुकेशन एंड रिसर्च बिल (टीएचइआर) 2011 और यूनिवर्सिटीज फॉर रिसर्च एंड इनोवेशन बिल, 2012.

पार्टी ने कहा है कि वह आरटीइ को पूरे देश में सख्ती के साथ लागू करेगी. सबके लिए नि:शुल्क प्राथमिक शिक्षा की व्वस्था होगी. कमजोर वर्ग के बच्चों का दाखिला नहीं स्वीकार करने वाले निजी स्कूलों और संस्थाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी. छात्र व शिक्षकों की गुणवत्ता में सुधार के लिए कदम उठायेगी. इस योजना के लागू होने में वित्तीय बोझ केंद्र सरकार उठायेगी.

पार्टी के सेकेंड्री एजुकेशन का विस्तार इस तरीके से करने का वायदा किया है जिससे शिक्षा की गुणवता बढ़ेगी तथा ड्रॉप आउट कम होगा. पार्टी के प्रत्येक स्तर पर प्रगतिशील और लोकतांत्रिक पाठ्यक्रम तैयार करेगी ताकि देश की सामाजिक-सांस्कृतिक विविधताओं के बारे में समझ विकसित हो. कान्ट्रैक्ट और पारा शिक्षकों को वह नियमित करेगी.

ये है हकीकत
अगर दुनिया के पैमाने पर बात करें तो भारत साक्षरता के मामले में पीछे है. लेकिन किसी भी राजनीति दल ने यह नहीं बताया है कि वह कितने समय में टोटल लिटरेसी का लक्ष्य हासिल कर लेगी. इन घोषणापत्रों में बातें काफी की गयी हैं लेकिन बुनियादी सवालों का सामना किसी के मेनिफेस्टो में नही है. कुछ नये कार्यक्रमों और पहले से चले आ रहे कार्यक्रमों के इर्द-गिर्द ही पार्टियों ने अपना नजरिया रखा है. लेकिन यह जानकर हैरानी होगी कि चीन, श्रीलंका और वर्मा जैसे देशों में वयस्क साक्षरता दर और युवा साक्षरता दर भारत से कहीं ज्यादा है. भारत इस मामले में पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश से ही आगे है. क्या इन पार्टियों को यह नहीं बताना चाहिए कि हिन्दुस्तान शिक्षा की रोशनी से कब जगमग होगा? पर ऐसे सवालों का जवाब किसी भी दल ने देने की कोशिश नहीं की है. साक्षरता के मामले में भारत कहां खड़ा है, इसकी एक झलक देखिए..

साक्षरता दर

देश वयस्क युवा

चीन 95.9 99.4

श्रीलंका 90.8 98.0

वर्मा 89.9 94.4

भारत 74.04 82

नेपाल 55.5 62.7

पाकिस्तान 50.2 63.9

बांग्लादेश 53.5 69

अंतरराष्ट्रीय औसत 84 80

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