”परीक्षा पर चर्चा” : PM मोदी से एक छात्र का सवाल, ”क्‍या आप 2019 की परीक्षा के लिए तैयार हैं”

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बोर्ड परीक्षा देने वाले छात्रों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उनकी (मोदी की) बोर्ड परीक्षा अगले वर्ष (लोकसभा चुनाव) है जहां उनकी ताकत देश के सवा सौ करोड़ देशवासियों का आशीर्वाद है और उनकी सेवा में वे अपना कण-कण लगा रहे हैं. ‘परीक्षा पर चर्चा’ कार्यक्रम में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 16, 2018 12:58 PM

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बोर्ड परीक्षा देने वाले छात्रों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उनकी (मोदी की) बोर्ड परीक्षा अगले वर्ष (लोकसभा चुनाव) है जहां उनकी ताकत देश के सवा सौ करोड़ देशवासियों का आशीर्वाद है और उनकी सेवा में वे अपना कण-कण लगा रहे हैं. ‘परीक्षा पर चर्चा’ कार्यक्रम में जवाहर नवोदय विद्यालय के छात्र गिरीश सिंह के प्रश्न के उत्तर में मोदी ने कहा, ‘आपकी परीक्षा तो साल में एक बार होती है, हमारी तो हर घंटे होती है. हिंदुस्तान के किसी कोने में नगरपालिका का कोई चुनाव हो और हार गये तो ब्रेकिंग न्यूज बनता है ‘लो ऑन मोदी’.

उन्होंने कहा, ‘आपकी बोर्ड की परीक्षा के लिये आपको शुभकामनाएं, मेरी बोर्ड की परीक्षा (2019 लोकसभा चुनाव) के लिये 125 करोड़ देशवासियों का आशीर्वाद मेरे साथ है, यही मेरी ताकत है और इसी के सहारे मैं बढ़ता हूं.’ गिरीश ने पूछा था कि वह 11वीं कक्षा के छात्र हैं और अगले साल बोर्ड की परीक्षा होगी, इसी तरह से प्रधानमंत्री की बोर्ड की परीक्षा अर्थात लोकसभा चुनाव अगले वर्ष होगा, ऐसे में उनकी क्या तैयारी है या क्या वे नर्वस हैं?

प्रधानमंत्री ने इस सवाल पर गिरीश से कहा कि अगर वे उनके शिक्षक होते, तो उन्हें पत्रकार बनने की सलाह देते. उन्होंने कहा, ‘मैं हमेशा यह मानता हूं कि आप पढ़ते रहें, सीखने की कोशिश करें, सीखने पर ध्यान दें और भीतर के विद्यार्थी को जीवित रखें. परीक्षा, परिणाम और अंक तो इसके ‘बाई प्रोडक्ट’ हैं. आपने काम किया है, जो परिणाम आयेगा, वह आयेगा.’

मोदी ने कहा कि अंक को ध्यान में रखकर चलने से शायद वह चीज नहीं कर पाते हैं, जो करना चाहते हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने जीवन में सारी ऊर्जा, दिमाग 125 करोड़ लोगों की भलाई के लिये लगाया है. चुनाव आयेंगे, जायेंगे. उन्होंने इस संदर्भ में अटल बिहारी वाजपेयी की पंक्तियां ‘हार नहीं मानूंगा’ का उल्लेख किया.

सवाल : गिरीश ने पूछा, अगले साल हम दोनों की परीक्षा है. मेरी बारहवीं की परीक्षा है और आपकी लोकसभा की परीक्षा है. क्या आपको डर लग रहा है.

जवाब : हर परीक्षा के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए. परीक्षा का परिणाम मायने नहीं रखता है. मैं हमेशा सवा सौ करोड़ देशवासियों की सेवा करते रहना चाहता हूं. चुनाव तो आती जाती रहती है. इसके परिणाम से नहीं घबराता हूं. मैं 365 दिन 24 घंटे परीक्षा देता हूं. जब में राजनीति में नहीं था तब जनसंघ नाम की पार्टी थी और दीपक उसका निशान था. उस समय यह पार्टी इतनी गरीब थी कि दीवार पर दीपक बनाने का भी पैसा नहीं था. चुनाव में हार के बाद जब चार प्रत्‍यासियों की जमानत राशि वापस आयी थी तब उससे पार्टी किया था. आपकी परीक्षा के लिए मेरी ओर से शुभकामनाएं और मेरी परीक्षा के लिए सवा सौ करोड़ देशवासियों का आशीर्वाद चाहिए

सवाल : भावना जलाल ने पूछा, आई-क्‍यू और ई-क्‍यू का रोल क्‍या है. परीक्षा के दौरान योग कैसे मदद कर सकता है?

जवाब : आई-क्‍यू के खिलने का सबसे बड़ा समय शुरुआत के पांच साल हैं. बाकी समय में वह प्रगति करता है. हम समाज के लोगों से जितना संपर्क में आते हैं हमारा ई-क्‍यू मजबूत हो जाता है. आई-क्यू सफलता दे सकता है लेकिन संवेदना देने में ई-क्‍यू का रोल होता है. योग भी हमारे मन और शरीर को स्‍वस्‍थ रखने में काफी मदद करता है. विदेशों में भी योग का सहारा लिया जा रहा है. किसी विशेष आसन के चक्‍कर में ना पड़ें. जो अच्‍छा लगे और आसानी से हो जाये ऐसा आसन करें.

सवाल :परीक्षा के समय बाकी जगहों पर ध्यान बंटने से कैसे बचा जाए? फोन से कैसे बचा जाए?

जवाब : अगर आपको ‘फोकस’ करना है तो पहले ‘डीफोकस’ करना सीख लीजिए. अगर किसी बर्तन में पहले से दूध है तो जबतक उसे खाली नहीं करेंगे तो उसमें दूसरा दूध कैसे भरेंगे. 24 घंटे परीक्षा, करियर, पढ़ाई और ना जाने क्‍या-क्‍या सोचते रहते हैं. इससे बाहर निकलिए. हमारे शास्‍तों में पंच महाभूत की चर्चा है- वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी, आकास. इनके संपर्क में आने से नयी ऊर्जा आती है. खेलना-कूदना इसी प्रकार हमें नयी ऊर्जा से भर देता है.

सवाल : दिल्ली से दीपशिखा और लद्दाख से एक छात्रा ने पूछा, परीक्षा के दौरान माता-पिता बच्चों पर दबाव बनाते हैं लेकिन संतुष्ट नहीं होते हैं. इससे बच्चों की अंदर की इच्छाएं मर जाती हैं. ऐसे में क्‍या करें?

जवाब : अपने माता-पिता के इरादों पर शक ना करें. उनका आदर करें. वे हमारे शुभचिंतक हैं. हमें यह स्‍वीकार करना चाहिए कि माता-पिता के जीवन का ध्‍येय होता है अपने बच्‍चों की सफलता. एक बार यह विश्‍वास हा जाये तो, आपस में तालमेल भी बनेगा. बहुत से अभिभावक अपने सपनों को पूरा करने के लिए भी बच्‍चों पर दबाव बनाते हैं. अधूरी इच्‍छाओं को पूरा करने के लिए अपने बच्‍चों पर कुछ थोप देते हैं. ऐसे में बच्‍चों को अपने मात-पिता से बात करनी चाहिए. बात ऐसे समय में करें जब उनका मूड अच्‍छा हो.

अभिभावकों से कहना चाहूंगा कि इस मुद्दे का सोशल स्‍टेटस ना बनायें. समाज में दूसरे के बच्‍चों के बारे में सुनकर आते हैं और फिर अपने बच्‍चों को उससे प्रेरणा लेने का सलाह देते हैं. आपके बच्‍चों के अंदर जो भी सामर्थ्‍य है उसे ही बढ़ाइये. दूसरे के बच्‍चों के सामर्थ्‍य से अपने बच्‍चों की तुलना ना करें. हर किसी के अंदर एक परम शक्ति होती है. अंक जिंदगी नहीं होती. एक परीक्षा जिंदगी नहीं होती. असफलता के पीछे भी सफलता छुपी होती है.

सवाल : केरल से नेहा ने पूछा, माता पिता दूसरे विद्यार्थियों से तुलना करते हैं. इससे मैं पूरी तैयारी के बावजूद अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रही हूं. इस स्थिति में हमें क्या करना चाहिए?’

जवाब : आप प्रतिस्‍पर्द्धा में ना पड़ें अनुस्‍पर्द्धा करें. खुद के साथ स्‍पर्द्धा करें. इससे आपके अंदर जो भी विशेष गुण होगा, वह उभरकर सामने आयेगा. हर इंसान के अंदर एक अलग जरह की प्रतिभा होती है. उसे पहचानकर उभारने की जरूरत है. स्‍वयं को पहचानने के बाद इस स्थिति से निपटा जा सकता है. अगर एक बार हम खुद से दो कदम आगे बढ़ना सीख लेंगे तो भीरत से ऊर्जा प्रकट होगी जो नये क्षितिजों को पार करने की ताकत देगी. पहले हमें खुद को जानना चाहिए. जब आप प्रतिस्पर्धा में उतरते हैं तो तनाव महसूस होता है. आप खुद के लिए काम करें. प्रतिस्पर्धा अपने आप हो जायेगी. पहले आप खुद को जानने की कोशिश करें और जिसमें समर्थ हैं, उसी में आगे बढ़ने की कोशिश करें.

सवाल : नोएडा से कनिष्का वत्स ने पूछा, ‘अगर कोई स्टूडेंट पढ़ाई पर ध्यान लगाना चाहता है लेकिन ध्यान बंटता है तो क्या करना चाहिए?’

जवाब : मोदी ने कहा कि ध्‍यान को अदभुत चीज नहीं है. जिस चीज में बुद्धि के साथ दिल भी जुड़ा होता है वसमें ध्‍यान लगा रहता है. इसके लिए योग का भी सहारा ले सकते हैं. योग मस्तिष्‍क को मजबूत बनाता है. हर व्यक्ति दिन में कोई न कोई ऐसा काम करता है जो बड़े ध्यान से करता है और वह कई दिनों तक अमारे दिमाग में जमा रहता है. अगर आप दोस्त के साथ बात कर रहे हैं और आपका प्रिय गाना चल रहा है. तब आपका ध्‍यान गाने की ओर चला जाता है. अब आप खुद पता लगाइये कि वे कौन सी बातें हैं जिनपर आप ध्यान देते हैं और पता करिए कि आप ऐसा क्यों करते हैं? अगर आप वही तरीका पढ़ाई में लगायेंगे तो ध्यान केंद्रित करने का दायरा बढ़ता जायेगा.

सवाल : दिल्‍ली से समीक्षा पंत ने पूछा, पूरी तैयारी और आत्‍मविश्‍वास के बावजूद परीक्षा समाप्ति के बाद डर बना रहता है. इस स्थिति से कैसे निपटें.

जवाब : अपने दिमाग में यह बैठा लीजिए के आप ही परीक्षार्थी हैं और आप ही अपने को अंक देंगे. इसी से आत्‍मविश्‍वास में अभी भी कमी नहीं होगी. अगर आपके पास सबकुछ हो और आत्‍मविश्‍वास नहीं हो तो आपके पास कुछ भी नहीं है. हमारे समाज में कई ऐसे उदाहरण है जिसमें लोगों ने विपरित परिस्थितियों में सफलता हासिल की.

इससे पूर्व पीएम मोदी ने कहा आप भूल जाइए कि किसी प्रधानमंत्री के सामने हैं. मैं आपका दोस्‍त हूं, आपके परिवार को दोस्‍त हूं. देशभर के 10 करोड़ से ज्‍यादा बच्‍चों और उनके अभभिावकों के साथ रू ब रू होने का सौभाग्‍य मुझे मिला है. मुझे यहां तक पहुंचाने में जिन लोगों का योगदान है. इसमें मैं अपने उन शिक्षकों का नमन करुंगा, जिन्‍होंने मुझे अभी भी विद्यार्थी बनाये रखा है.

मुझे शिक्षा मिली थी कि अपने भीतर के विद्यार्थी को कभी मरने मत देना. जिस समय स्‍वच्‍छ भारत का विषय रखा उस समय बालकों ने इसे पकड़ लिया. दूसरी मदद मीडिया ने की. मीडिया ने स्‍वच्‍छ भारत मिशन को मुकाम तक पहुंचाया. अगर यह केवल सरकारी कार्यक्रम रहता तो खींचतान चलती रहती. यह प्रधानमंत्री का कार्यक्रम नहीं है. यह मोदी का भी कार्यक्रम नहीं है. यह विद्यार्थियों का कार्यक्रम है.

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