माल्या, ललित मोदी को वापस लाने पर हुए खर्च का ब्योरा देने से सीबीआइ का इनकार
नयी दिल्ली : सीबीआइ ने आरटीआइ अधिनियम के तहत खुलासों से मिली छूट का दावा करते हुए भगोड़े कारोबारियों ललित मोदी और विजय माल्या को भारत लाने पर हुए खर्च का ब्योरा देने से इनकार कर दिया. हालांकि, आरटीआइ अधिनियम में साफ कहा गया है कि किसी सार्वजनिक प्राधिकरण के पास मौजूद भ्रष्टाचार के आरोपों […]
नयी दिल्ली : सीबीआइ ने आरटीआइ अधिनियम के तहत खुलासों से मिली छूट का दावा करते हुए भगोड़े कारोबारियों ललित मोदी और विजय माल्या को भारत लाने पर हुए खर्च का ब्योरा देने से इनकार कर दिया.
हालांकि, आरटीआइ अधिनियम में साफ कहा गया है कि किसी सार्वजनिक प्राधिकरण के पास मौजूद भ्रष्टाचार के आरोपों से जुड़ी सूचना उस छूट के दायरे में नहीं आती. पुणे के कार्यकर्ता विहार धुर्वे ने सीबीआई से 9,000 करोड़ रुपये का बैंक ऋण वापस ना करने के आरोपों को लेकर भारत में वांछित माल्या और आइपीएल धनशोधन मामले में जांच का सामना कर रहे ललित मोदी को देश वापस लाने पर हुए खर्च का ब्योरा मांगा था. उन्होंने जानकारी मांगी थी कि दोनों को वापस लाने के लिए भारत सरकार ने कुल कितना कानूनी खर्च और यात्रा संबंधी खर्च किया. दोनों ही कारोबारियों ने आरोपों से इनकार किया है.
वित्त मंत्रालय ने सीबीआइ के पास आरटीआइ आवेदन भेजा था. एजेंसी ने उसे इस तरह के मामलों की जांच करनेवाले विशेष जांच दल के पास भेजा. आरटीआइ आवेदन के जवाब में सीबीआइ ने कहा कि उसे 2011 की एक सरकारी अधिसूचना के जरिये आरटीआइ अधिनियम के तहत किसी भी तरह का खुलासा करने से छूट मिली हुई है. अधिनियम की धारा 24 के तहत कुछ संगठनों को सूचना के अधिकार (आरटीआइ) कानून के तहत छूट मिली हुई है. लेकिन, अधिनियम में साफ कहा गया है कि ये संगठन भी आरटीआइ के तहत जवाबदेह हैं, अगर वह सूचना भ्रष्टाचार एवं मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों से जुड़ी है. हालांकि, दिल्ली उच्च न्यायालय ने इससे पहले रेखांकित किया था कि धारा 24 के तहत सूचीबद्ध संगठन सूचना के ‘भ्रष्टाचार एवं मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों’ से जुड़े होने पर खुलासे से छूट का दावा नहीं कर सकते.