कौन है जसपाल अटवाल, जिसके भारत दौरे पर दिल्ली से कनाडा तक मच गया बवाल?

नयी दिल्ली : जसपाल अटवाल भारतीय मूल का कारोबारी है और वह खालिस्तान आंदोलन से जुड़ा रहा है. वह कनाडा में रहता है. वह उस वक्त भारत के दौरे पर है, जब कथित रूप से खालिस्तान अलगाववादियों के प्रति नरम रुख रखने वाले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन टूडो भारत के दौरे पर हैं. यह संयोग […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 22, 2018 6:21 PM

नयी दिल्ली : जसपाल अटवाल भारतीय मूल का कारोबारी है और वह खालिस्तान आंदोलन से जुड़ा रहा है. वह कनाडा में रहता है. वह उस वक्त भारत के दौरे पर है, जब कथित रूप से खालिस्तान अलगाववादियों के प्रति नरम रुख रखने वाले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन टूडो भारत के दौरे पर हैं. यह संयोग हैं या साजिश यह जांच का विषय है और विदेश मंत्रालय भी मामले की पड़ताल कर रहा है. वह भारत और कनाडा के रिश्तों का एक नया कांटा बन गया है.

कनाडा के प्रधानमंत्री की पत्नी सोफी टूडो ने उसके साथ मुंंबई में फोटो के लिए पोज दिया है जो मीडिया में वायरल हो गया है.उसकेसाथ कनाडा केइन्फ्रास्ट्रक्चर मंत्री अमरीजसोही की भी तसवीरें हैं. उसने 1986 में कनाडा के शहर वैंकुवर मेंपंजाबके कैबिनेट मंत्री मलकीत सिंह सिद्धू पर जानलेवा हमला बोला था और इस आरोप में वह 20 साल तक जेल में रहा और 2006 में जेल से बाहर आया. यह सजा कनाडा की अदालत ने ही दी थी.

जसपाल अटवाल एक मंझा हुआ शूटर है और उसने मलकीत सिंह सिद्धू पर तब हमला किया जब वे वहां निजी दौरे पर अपनी भतीजी की शादी में गये थे. तब तो सिद्धू बच गये थे लेकिन इस घटना के पांच साल बाद पंजाब के मोगा में उनका निधन हो गया. कोर्ट ने इस केस में अटवाल के अलावा, जसबीर सिंह अटवाल, अरमजीत सिंह ढिंढसा और सुखदिल सिंह गिल को दोषी बताते हुए 20 साल की सजा सुनाई थी. हत्या के इस प्रयास को आतंकी गतिविधि माना गया.

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प्रतिबंधित अंतरराष्ट्रीय सिख युवा संघ आइएसवाइएफ से वह जुड़ा रहा है. यह संगठन 1985 में एयर इंडिया विस्फोट में बदनाम हुआ था. यह संगठन आतंकी संगठन घाेषित है जो एक अलग खालिस्तान देश की मांग करता रहा है. इसे अन लाॅ फुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट 2001 के तहत बेन किया गया है. यह संगठन भारत ही नहीं कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका व कई वैसे देशों में बैन है, जहां सिख आबादी है.
वर्तमान में अटवाल मीडिया वेव कम्युनिकेशन से जुड़ा है जो ऑनलाइन रेडियो का संचालन करता है.

कनाडा के अखबार वैंकुवर सन के अनुसार, जसपाल अटवाल ने उससे कहा है कि वह निजी तौर पर 11 फरवरी को भारत की यात्रा पर जा रहा है. वहीं, सीबीसी न्यूज की खबर के अनुसार, अटवाल ऑटोमोबाइल फ्राड केस में दोषी है हालांकि उसे इस मामले में सजा नहीं मिली है. वह 1985 में उज्जल दोसांज पर हमले का आरोपी हैं. दोसांज भारतीय मूल के हैं और पंजाब से उनका नाता है. अटवाल ने उन पर हमला इसलिए किया क्योंकि वे सिख अलगाववाद के विरोधी हैं.

दोसांज लिबरल पार्टी ऑफ कनाडा के सदस्य हैं और वहां के स्वास्थ्य मंत्री भी रहे हैं. वे ब्रिटिश कोलंबिया के प्रमुख भी रहे हैं और उनकी खासी प्रतिष्ठा है. यानी अटवाल अपने गलत उद्देश्यों के लिए किसी पर भी हमला कर सकता है और किसी राष्ट्राध्यक्ष से दोस्ती भी कर सकता है. कनाडा के उच्चायोग द्वारा उसे पीएम के साथ भोज का न्यौत दिये जाने की कनाडा की मीडिया में खूब आलोचना हो रही है और यह भारत की लिए अच्छी बात है कि टूडाे के देश में वहां का मीडिया लिख रहा है कि हत्या के प्रयास के आरोपी को पीएम के भोज का न्यौता भेजा गया.

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