नयी दिल्ली: भारतीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की आगामी रूस यात्रा के दौरान एस-400 ट्रायम्फ वायु रक्षा प्रक्षेपास्त्र प्रणाली की खरीद का समझौता निपटाने का प्रयास जारी है. अनुमानित 40,000 करोड़ रुपये का यह सौदा मुख्य रूप से कीमत को लेकर अटका पड़ा है. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार भारत चाहेगा कि इस बार रक्षा मंत्री की यात्रा में इसे निपटाने का काम किया जाए.
सूत्रों की मानें तो वह छह सप्ताह के अंदर मास्को की यात्रा पर जा सकती हैं. यहां चर्चा कर दें कि आकाश में लक्ष्यों को भेदने वाले एस-400 ट्रायम्फ प्रक्षेपास्त्रों की मारक क्षमता 400 किलोमीटर है. इसे रूस की सबसे समुन्न्त प्रणाली बताया जा रहा है. चीन के जुड़ी करीब 4000 किलोमीटर लंबी सीमा पर अपनी सैन्य तैयारियों को मजबूत करने की कवायदों के बीच भारत अपनी वायु सीमाओं की रक्षा के लिए इसे शामिल करना चाहता है. चीन ने इस प्रणाली के लिए रूस से 2014 में एक खरीद समझौता किया था और उसे इसी आपूर्ति शुरू भी कर दी गयी है.
सूत्रों ने जानकारी दी है कि निर्मला की मास्को यात्रा में एस-400 के सौदे को क्लियर करने पर जोर दिया जाएगा. यह प्रणाली वहां की अलमाझ-एंटे कंपनी बनाती है. यह 2007 से ही रुसी सेना का हिस्सा है. भारत इसके बारे में डेढ़ वर्ष से अधिक समय से बातचीत कर रहा है. भारत कम से कम पांच प्रणालियां खरीदना चाहता है. प्रणाली की खासियत की बात करें तो यह तीन अलग अलग प्रकार के प्रक्षेपास्त्र दाग सकती है. इस तरह यह वायु सुरक्षा की एक अलग परत जैसा तैयार करने का काम करती है.
सूत्रों ने जानकारी दी है कि रुस के साथ पांचवी पीढ़ी के विमानों के सौदे के बारे में कोई फैसला नहीं किया गया है क्योंकि इसकी लागत बहुत अधिक है.