असम हमला: अपने बच्चों को खो देने के गम में डूबे हैं पीडित परिवार

भंगारपार (असम) : असम में हाल के खूनी हमलों के बीच हलीमा खातून ने आतंकवादियों से अपनी और पांच माह के अपने मासूम बच्चे की जान बचाने के लिए जब बेकी नदी में छलांग लगाई थी तो उसने कभी नहीं सोचा था कि वह आखिरी बार अपनी जिगर के टुकडे को पकड रही हैं. हलीमा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 8, 2014 12:20 PM

भंगारपार (असम) : असम में हाल के खूनी हमलों के बीच हलीमा खातून ने आतंकवादियों से अपनी और पांच माह के अपने मासूम बच्चे की जान बचाने के लिए जब बेकी नदी में छलांग लगाई थी तो उसने कभी नहीं सोचा था कि वह आखिरी बार अपनी जिगर के टुकडे को पकड रही हैं.

हलीमा (30) ने कहा, हर तरफ गोलियां की आवाज गूंज रही थी. कुछ लोग वन सुरक्षा चौकी की ओर भागे. उन्हें भी गोलियां मार दी गईं। मेरे पास नदी में कूदने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था. मैंने तैर कर नदी पार करने की कोशिश की, लेकिन ऐसा नहीं कर सकी.

उसने नम आंखों से अपनी दर्दनाक दास्तान सुनाते हुए कहा, मैं अपने बच्चे को पकडे नहीं रख सकी. वह मेरी आंखों के सामने नदी के तेज बहाव में बह गया. मैंने एक लकड़ी को पकड़कर अपनी जान बचाई. हलीमा जब अपनी जान बचाने के लिए भागी थी तो उसकी 10 वर्ष की बेटी ओर सात वर्ष का बेटा उसके साथ नहीं था. उस समय वह उन्हें ढूंढ नहीं सकी थी. उसके ये दोनों बच्चे आज भी लापता हैं.

बक्सा जिले के नारायणगुडी और खगडाबाडी गांवों पर हुए हमलों के अन्य पीडितों की भी यही कहानी है. तीन-चार भाग्यशाली परिवारों को छोड़कर बाकी करीब 70 परिवारों ने अपने प्रियजन खो दिए. अजीमुद्दीन अली (50) ने कहा, मैंने अपनी एक बेटी और तीन बेटे खो दिए. हमले के एक घंटे के बाद जब मैं वहां पहुंचा तो मुझे अपने बच्चों के शव पडे मिले.

अली हमले के समय गांव के अधिकतर पुरषों के साथ भंगारपार बाजार में थे. नारायणगुडी और हगराबाडी गांवों में जब हमला हुआ था, उस समय अधिकतर पुरष नदी के दूसरी ओर बाजार में थे. इसलिए अधिकतर पीडितों में महिलाएं एवं बच्चे शामिल हैं. अली ने नम आंखों से अपनी पत्नी और बच्चों को याद करते हुए बताया कि उसकी पत्नी ने उनके दो वर्ष के लड़के के साथ नदी में छलांग लगाई लेकिन बच्चा नदी का तेज बहाव सह नहीं सका.

एनडीआरएफ के 40 सदस्यीय दल ने नदी में डूबे लोगों के शव नदी से बाहर निकालने के लिए कल अभियान शुरु किया. जिला प्रशासन ने बेकी नदी के पूर्व की ओर राहत शिविर स्थापित किया है. इस शिविर में करीब 600 लोग शरण ले रहे हैं.

कोकराझाड और बक्सा जिलों में हुए हमले में एक मई से अब तक 41 लोगों की मौत की पुष्टि की जा चुकी है. ये हमले कथित रुप से बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) ने किए थे. असम के मुख्यमंत्री तरण गोगोई ने पीडितों से मिलने के बाद कल कहा था कि इन हमलों के संबंध में बीपीएफ पर लगे आरोप यदि सही साबित हो जाते हैं तो सरकार उसके साथ सभी संबंध तोड़ देगी. इन हमलों की जांच की जिम्मेदारी एनआइए के दल को सौंप दी गई है. राज्य सरकार ने इनकी स्वतंत्र रुप से न्यायिक जांच कराने का आदेश दिया है.

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