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पाॅलिटिकल पोलराइजेशन : भाजपा ने चंद्रबाबू नायडू के आरोपों को किया खारिज, तो कांग्रेस सेंक रही हाथ

नयी दिल्ली : आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू का राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से नाता तोड़ने आैर मोदी सरकार से तेलगूदेशम पार्टी (टीडीपी) के दो मंत्रियों का इस्तीफा दिये जाने के एेलान के बाद से देश में राजनीति गरमा गयी है. चंद्रबाबू नायडू ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिये जाने […]

नयी दिल्ली : आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू का राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से नाता तोड़ने आैर मोदी सरकार से तेलगूदेशम पार्टी (टीडीपी) के दो मंत्रियों का इस्तीफा दिये जाने के एेलान के बाद से देश में राजनीति गरमा गयी है. चंद्रबाबू नायडू ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिये जाने को लेकर उपजी राजनीतिक नाराजगी की वजह से खुद को एनडीए से नाता तोड़ने का फैसला किया है. उन्होंने भाजपा नीत एनडीए सरकार पर यह आरोप लगाये हैं कि केंद्र सरकार ने विशेष राज्य के मसले पर आंध्र प्रदेश की अनदेखी की है. नायडू के इस आरोप को जहां भाजपा सिरे से खारिज कर रही है, वहीं कांग्रेस इस मसले में दखल देकर हाथ सेंकने का काम कर रही है.

इसे भी पढ़ेंः विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलने पर चंद्रबाबू नायडू ने BJP से तोड़ा गठबंधन, TDP के दो मंत्री आज दे सकते हैं इस्तीफा

राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि एनडीए से नाता तोड़ने के मामले में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की भूमिका अहम रही है. इसका कारण यह है कि विशेष राज्य के दर्जे को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे टीडीपी के नेताआें का एक प्रतिनिधिमंडल बीते मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की थी.

राहुल गांधी ने टीडीपी को दिया यह भरोसा

इस भेंटवार्ता में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने टीडीपी नेताआें को यह भरोसा दिया है कि जिस तरह यूपीए-दो की सरकार ने राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत आंध्र प्रदेश आैर तेलंगाना को अलग-अलग राज्य का दर्जा दिया है, यदि 2019 में यूपीए को बहुमत मिलता है आैर केंद्र में उनकी सरकार बनती है, तो आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिया जा सकता है.

कांग्रेस ने बताया देर से उठाया गया कदम

बता दें कि सरकार से तेलुगूदेशम पार्टी के दो मंत्रियों के इस्तीफे की घोषणा के बाद भाजपा ने बुधवार की रात आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और टीडीपी के अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू के इस आरोप को खारिज कर दिया कि मोदी सरकार ने राज्य की अनदेखी की है. वहीं, कांग्रेस ने टीडीपी के कदम को बहुत देरी से उठाया गया कदम बताया. भाजपा के प्रवक्ता जीवीएल नरसिंह राव ने कहा कि नरेंद्र मोदी नीत सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए काम किया कि राज्य के विभाजन के बाद आंध्र प्रदेश को बुनियादी संरचना और उद्योग के क्षेत्र में समस्त संसाधन मिलें.

टीडीपी के दो मंत्री आज दे सकते हैं इस्तीफा

राव के बयान से कुछ समय पहले ही नायडू ने एक संवाददाता सम्मेलन में ऐलान किया कि उनकी पार्टी के दो केंद्रीय मंत्री अशोक गजपति राजू और वाईएस चौधरी गुरुवार को सरकार से इस्तीफा देंगे. आंध्र प्रदेश से वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री एमएम पल्लम राजू ने कहा कि यह बहुत देरी से किया गया है. टीडीपी चार साल से भाजपा की सहयोगी है और आंध्र प्रदेश के हितों के संरक्षण के लिए उसने कुछ नहीं किया. उन्होंने कहा कि राज्य में जनता के मूड को देखते हुए टीडीपी यह राजनीतिक रुख दर्शा रही है.

नायडू ने केंद्र पर लगाये यह आरोप

बुधवार की रात चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्‍य का दर्जा नहीं दिया, इसालिए गठबंधन तोड़ने का फैसला लिया गया. भाजपा से अगल होने के बाद गुरुवार को टीडीपी के दो मंत्री केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्‍तीफा देंगे. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने टीडीपी मंत्रियों अशोक गजपति राजू और वाईएस चौधरी को निर्देश दिया कि वे केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दें.

वित्त मंत्री जेटली ने नायडू के आरोपों का एेसे दिया जवाब

इधर केंद्रीय मंत्रीमंडल की बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साफ किया कि आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जायेगा. हालांकि, उन्‍होंने कहा कि केंद्र सरकार राज्य को विशेषदर्जा प्राप्त राज्यों के समान वित्तीय मदद देने को प्रतिबद्ध है. जेटली ने कहा कि इस मुद्दे पर राजनीति से धन की मात्रा नहीं बढ़ सकती है. जेटली ने कहा कि चार साल पहले राज्य के विभाजन के समय जो भी वायदे किये गये थे. उनकी सरकार उन सभी प्रतिबद्धताओं को पूरा करेगी.

14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के बाद केवल तीन राज्य को विशेष राज्य का दर्जा

जेटली ने कहा कि 2014 में राज्य विभाजन के समय इस प्रकार की श्रेणी जरूर थी, लेकिन 14 वें वित्त आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन के बाद इस तरह के दर्ज को संवैधानिक रूप से केवल पूर्वोत्तर व तीन पहाड़ी राज्यों तक सीमित कर दिया गया है.उन्होंने कहा कि उक्त उल्लिखित राज्यों के अलावा किसी अन्य राज्य को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाना संवैधानिक रूप से संभव नहीं है. हालांकि, उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार आंध्र प्रदेश को भी उतना ही धन उपलब्ध करवायेगी जितना विशेष दर्ज वाले राज्य को मिलता है.

योजना कोष का 90 फीसदी हिस्सा देने को तैयार है केंद्र

गौरतलब है कि विशेष श्रेणी वाले राज्यों को केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए जरूरी धन का 90 फीसदी हिस्सा केंद्र सरकार देती है. वहीं, सामान्य श्रेणी के राज्यों में केंद्र का हिस्सा केवल 60 फीसदी होता है. बाकी का धन राज्य सरकारें वहन करती हैं. जेटली ने कहा कि आंध्र प्रदेश के लिए केंद्र विभिन्न बाहरी एजेंसियों जैसे दूसरे माध्यमों से योजना कोष का 90 फीसदी हिस्सा देने को प्रतिबद्ध है, जो विशेष राज्य के दर्जे वाले राज्य को प्रदान किया जाता है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस तरह के धन को नाबार्ड के जरिये लगवाने के राज्य सरकार के सुझाव को स्वीकार करने पर विचार करना चाहती है.

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