12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

लेटलतीफी में पैसेंजर-एक्सप्रेस ही नहीं राजधानी-शताब्दी-दुरंतो भी आगे, 11 महीने में 2.91 लाख ट्रेन लेट

कई ट्रेनों को बहुत छोटी दूरी तय करने के लिए बहुत अधिक समय दिया गया हैरेलवे में ट्रेनों के विलंब से पहुंचने की स्थिति में सुपरफास्ट चार्ज लौटाने की कोई व्यवस्था नहीं हैगोरखपुर-हटिया मौर्य एक्सप्रेस को 39 किमी की दूरी के लिए 1.32 घंटे का समयचेन्नई में छह किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए […]

कई ट्रेनों को बहुत छोटी दूरी तय करने के लिए बहुत अधिक समय दिया गया है
रेलवे में ट्रेनों के विलंब से पहुंचने की स्थिति में सुपरफास्ट चार्ज लौटाने की कोई व्यवस्था नहीं है
गोरखपुर-हटिया मौर्य एक्सप्रेस को 39 किमी की दूरी के लिए 1.32 घंटे का समय
चेन्नई में छह किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए 40 मिनट का समय
सुपरफास्ट ट्रेनों को 55 किलोमीटर प्रति घंटा औसत स्पीड से चलना चाहिए

नयी दिल्ली : ट्रेनों के विलंब से आप भी अक्सर परेशान होते होंगे. इससे आपको दो तरह का नुकसान होता होगा – एक तो ट्रेन के इंतजार में घंटों स्टेशन पर इंतजार करना पड़ता होगा और दूसरा आप जिस काम से यात्रा पर जा रहहोते हैं वह बिगड़ चुका होता है. शुक्रवार को रेल मंत्रालय ने संसद में ट्रेनों के विलंब के बारे में जो डेटा पेश किया वह चौंकाने वाला है और भारतीय रेल के एक बुरे पक्ष को दिखाती है. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के अनुसार, इन आंकड़ों में बताया गया है कि अप्रैल 2017 से फरवरी 2018 के बीच देश में 1.48 लाख पैैसेंजर ट्रेनें विलंब से गंतव्य तक पहुंचीं. इस आंकड़े का प्रतिदिन औसत 450 ट्रेनों का पड़ता है. वहीं, 75,880मेलव एक्सप्रेस ट्रेनें इस अवधि में अपने गंतव्य तक पहुंचीं.वहीं,60856 सुपर फास्ट ट्रेनें इस अवधिमें विलंबसे पहुंचीं. सिर्फ पैसेंजर, मेल व एक्सप्रेस ट्रेनों का ही हालबुरा नहींहै,बल्कि प्रीमियमट्रेनें जैसे राजधानी,शताब्दी व दुरंतोगाड़ियों का भी बड़ा हिस्सा समय का पालन नहीं कर पा रहा है. आंकड़े के अनुसार,सात हजार प्रीमियमट्रेनेंइसी अवधि में विलंब सेपहुंचीं.

आंकड़े बताते हैं कि दिसंबर-जनवरी महीने में 25 प्रतिशत ट्रेनों विशेष तौर पर उत्तर भारत में फॉग के कारण विलंब से पहुंचीं.

भारतीय रेल प्रतिदिन 66 हजार किलोमीटर रेल नेटवर्क पर 12, 600 ट्रेनों का परिचालन करती है. रेलवे अपने यात्रियों से सुपरफास्ट चार्ज भी वसूलती है. सामान्यत: अगर किसी को दिल्ली से चेन्नई की यात्रा करनी हो तो स्लीपर क्लास के लिए यह 30 रुपये, एसी थ्री टायर के लिए 45 रुपये और एक फर्स्ट क्लास के लिए 75 रुपये होता है. सुपरफास्ट ट्रेनों की स्पीड 55 किलोमीटर प्रति घंटा होती है. हालांकि ट्रेनों के अपने औसत स्पीड को पूरा करने में विफल रहने पर उसकी वापसी के लिए कोई सिस्टम नहीं बनाया गया है. ऐसे में कई बार उनका सुपर फास्ट चार्ज यूं ही चला जाता है, जो वे जल्दी पहुंचने के लिए चुकाते हैं.

रेलवे ने विलंब से बचाने के लिए कई ट्रेनों को छोटी दूरी के लिए काफी मार्जिन टाइम दिया है. इसे एक उदाहरण से समझें : जैसे रांची से गोरखपुर जाने वाली मौर्य एक्सप्रेस ट्रेन धनबाद से कुमारधुबी स्टेशन की 39 किलोमीटर की दूरी मात्र 36 मिनट में तय करती है जो ठीक-ठाक समय है. इस ट्रेन का 22.10 बजे धनबाद से खुलने व 22.46 बजे कुमारधुबी पहुंचने का समय है. लेकिन, जब यही ट्रेन गोरखपुर से आती है तो कुमारधुबी से धनबाद के 39 किलोमीटर सफर के लिए इसे एक घंटे 32 मिनट का समय दिया गया है. इस ट्रेन के एक बजे कुमारधुबी पहुंचने का समयरातके एक बजे है जबकि इसका मात्र 39 किमी दूर धनबाद पहुंचने का समय 2.32 बजे है. इसी प्रकार तमिलनाडु में पेरंबूर से चेन्नई सेंट्रल की छह किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए 40 मिनट का समय दिया गया है.

भारत में ट्रेनों के विलंब से लोग भले परेशान रहते हैं, हालांकि रेलवे का हमेशा इस संदर्भ में कुछ तयशुदा तर्क रहा है, जैसे टर्मिनल क्षमता, रेलवे की परसंपत्ति में किसी तरह की समस्या, मौसम की खराबी जैसे धुंध व बारिश. ऐसे में रेलवे लाइनों की क्षमता बढ़ाना, सुरक्षा मानकों को अधिक से अधिक अपनाना, ऑटोमेटिक सिग्नलिंग, बेहतर को-आर्डिनेशन अादि को बढ़ावा देना होगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें