देश भर में 1700 सांसदों-विधायकों पर आपराधिक मामले

कोर्ट में ट्रायल : सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार का हलफनामा नयी दिल्ली : 1700 से ज्यादा सांसद और विधायक इस वक्त करीब तीन हजार से ज्यादा आपराधिक मुकदमों में अलग-अलग अदालतों में ट्रायल का सामना कर रहे हैं. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दिये हलफनामे में यह जानकारी दी है. उनमें सबसे ज्यादा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 12, 2018 9:41 AM
कोर्ट में ट्रायल : सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार का हलफनामा
नयी दिल्ली : 1700 से ज्यादा सांसद और विधायक इस वक्त करीब तीन हजार से ज्यादा आपराधिक मुकदमों में अलग-अलग अदालतों में ट्रायल का सामना कर रहे हैं. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दिये हलफनामे में यह जानकारी दी है.
उनमें सबसे ज्यादा विधायक उत्तर प्रदेश के हैं. इसके बाद तमिलनाडु, बिहार और पश्चिम बंगाल का स्थान है. दक्षिणी राज्यों आंध्र प्रदेश, केरल और तेलंगाना में भी हालात अच्छे नहीं हैं. इन राज्यों में करीब 100 जनप्रतिनिधि अलग-अलग केसों में अदालती ट्रायल का सामना कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक देश भर के हाइकोर्ट से इस मामले में पिछले पांच मार्च को ये आंकड़े जुटाये गये थे.
टॉप पर यूपी, दूसरे नंबर पर तमिलनाडु, फिर बिहार और बंगाल
ट्रायल का सामना कर रहे माननीय
राज्यविधायक/सांसद
उत्तर प्रदेश248
तमिलनाडु 178
बिहार 144
पश्चिम बंगाल 139

3045 केसों पर सुनवाई जारी
3816 मुकदमों में से मात्र 125 मुकदमों में ही साल भर में फैसला आ सका है. शेष मुकदमे अभी भी अदालती प्रक्रिया में है. 2014 में ही सुप्रीम कोर्ट ने माननीयों पर चल रहे मुकदमों को एक साल के अंदर निबटाने का निर्देश दिया था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका है.
निचली अदालतें सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अमल नहीं कर पायी. इस तरह पिछले तीन सालों में मात्र 771 मुकदमों में ही ट्रायल पूरा हो सका है. शेष 3045 मुकदमों में सुनवाई जारी है. मालूम हो कि पिछले साल दिसंबर में न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ के निर्देशों के पालन में इस सूचना को कानून मंत्रालय ने अदालत को सौंपा.

क्या है मांग
लंबित मामले
यूपी 539
केरल 373
बिहार, बंगाल 300
तमिलनाडु
िपछले तीन साल में
1700 से ज्यादा विधायकों-सांसदों के खिलाफ मुकदमा 2014 से 2017 के बीच शुरू
3816 आपराधिक मामले दर्ज. एक साल में 125 का निबटारा

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